Friday, November 15, 2024
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अर्णब 14 दिन की न्यायिक हिरासत में, अदालत ने कहा- हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं: आज होगी सुनवाई

अदालत ने कहा- पुलिस हिरासत में रखने का कोई आधार नहीं, आत्महत्या और अर्नब गोस्वामी के बीच किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं और अदालत की अनुमति के बिना पुराने मामले की फाइल को दोबारा खोला गया

मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 14 दिन की पुलिस हिरासत में रखने के लिए मुंबई की अदालत में याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। साथ ही, अर्णब को जल्द ही जमानत मिलने की भी सम्भावना है, जिसका आशय है कि शायद उन्हें न्यायिक हिरासत में भी न रहना पड़े।

मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को बीते दिन एक पुराने ‘बंद मामले’ में गिरफ्तार किया था। आधी रात में चली सुनवाई के बाद अलीबाग न्यायालय ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसका मतलब यह है कि इस दौरान मुंबई पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर पाएगी। 

बुधवार (नवम्बर 04, 2020) की सुबह पुलिसकर्मियों के एक बड़े समूह जिनके पास एके 47 जैसे हथियार तक मौजूद थे, उन्होंने अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार किया था। शुरुआत में अदालत के भीतर पेशी के दौरान, अदालत ने उनके मेडिकल परीक्षण का आदेश दिया क्योंकि पुलिस ने अर्णब गोस्वामी के साथ हिंसा भी की थी। मेडिकल परीक्षण के बाद अर्नब को शाम 4:45 बजे के आस-पास दोबारा अदालत में पेश किया गया था जिसमें 14 दिन की न्यायिक हिरासत की माँग की गई थी। 

मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को साल 2018 के एक बंद मामले में गिरफ्तार किया गया था जिसमें उनके विरुद्ध कोई सबूत नहीं मिला था। इस मामले में साल 2018 के दौरान अन्वय नायक नाम के व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली थी, उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि कि अर्नब गोस्वामी समेत कुल दो लोगों के पास कुछ रूपए मौजूद हैं और वह वापस करने से इनकार कर रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए वह आत्महत्या कर रहे हैं। रिपब्लिक ने इस तरह के तमाम आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उन्होंने अनुबंध के मुताबिक़ सारे भुगतान कर दिए थे। 

अदालत द्वारा उल्लेखित बिंदु 

  • पुलिस हिरासत में रखने का कोई आधार नहीं
  • आत्महत्या और अर्नब गोस्वामी के बीच किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं
  • अदालत की अनुमति के बिना पुराने मामले की फाइल को दोबारा खोला गया

मुंबई पुलिस ने दावा करते हुए कहा था कि जिस मामले को अदालत ने साल 2018 में बंद कर दिया था उसमें पुलिस को नए सबूत हासिल हुए हैं। इसकी वजह से उन्हें मामले की जाँच के लिए अर्णब गोस्वामी को पुलिस हिरासत में रखने की माँग उठाई थी। 6 घंटे की मैराथन सुनवाई के बाद अदालत ने पुलिस हिरासत की माँग को ठुकराते हुए अर्णब को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 

अदालत ने कहा इस मामले में पुलिस हिरासत के लिए कोई अर्थपूर्ण आधार नहीं हैं। इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा कि मामले आत्महत्या और अर्णब गोस्वामी की भूमिका के बीच संबंधों की कोई कड़ी नज़र नहीं आती है। न्यायाधीश ने इस बात का भी उल्लेख किया कि यह एक पुराना मामला है जिसकी फाइल बंद हो चुकी थी और इसे बिना अदालत की अनुमति के शुरू किया गया है। 

आधी रात में सुनवाई पूरी होने के और फैसला आने के बाद अर्णब गोस्वामी ने कहा, “पुलिस हार चुकी है।”

रिपब्लिक टीवी की रिपोर्ट्स के अनुसार अदालत ने अर्णब गोस्वामी के वकील को जमानत संबंधी दस्तावेज़ तैयार रखने के लिए कहा है। आज सुबह अलीबाग अदालत में इस मामले की सुनवाई होगी। इसी दौरान मुंबई उच्च न्यायालय साल अर्नब गोस्वामी द्वारा दायर की गई 2018 के इस मामले को ख़त्म करने की याचिका पर भी सुनवाई करेगी।

इसके अलावा,  मुंबई उच्च न्यायालय रिपब्लिक टीवी की मुंबई पुलिस के विरुद्ध दायर की गई याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस ने इंडिया टुडे समूह का बचाव करते हुए उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ का आरोपित बताया है। जबकि इंडिया टुडे का नाम इस मामले में प्राथमिक रूप से दर्ज था।  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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