अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी पर कल रात हुए हमले के बाद कॉन्ग्रेस सवालों के घेरे में है। करीब 12 बजे हुई इस घटना पर अर्नब गोस्वामी ने खुद वीडियो जारी करके पूरे वाकये की जानकारी दी है। अब खबर है कि उन्होंने इस घटना पर लिखित शिकायत भी दर्ज करवा दी है। ये शिकायत उन्होंने मुंबई में हुए हमले के संबंध में आज सुबह ही करवाई है। अपनी शिकायत में उन्होंने 2 लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिपब्लिक भारत के हेडक्वार्टर से घर लौटते हुए उन पर व उनकी पत्नी पर हमला किया गया।
लिखित शिकायत के अनुसार, पहले उन दोनों लोगों ने अर्नब की गाड़ी में ये पहचानने की कोशिश की कि उसे कौन चला कौन कहा है। फिर उनमें से एक ने अर्नब की ओर उंगली से इशारा किया और बाइक को सामने खड़ा करके उनका रास्ता रोक लिया। इसके बाद उन्होंने ख़िड़की के शीशे तोड़ना चाहा, मगर जब वो नहीं टूटा तो उन्होंने अपनी जेब से कुछ तरल पदार्थ निकाला और पूरी कार पर छिड़क दिया।
Written complaint submitted to police by Republic TV editor-in-chief Arnab Goswami, after he and his wife were attacked early this morning in Mumbai by 2 unknown persons while they were driving home from their studios. pic.twitter.com/wTU1Dau1lC
— ANI (@ANI) April 23, 2020
अर्नब के अनुसार, इस बीच दोनों गुंडे उन्हें हिंदी में गालियाँ देते रहे और उनका रवैया हिंसक रहा। जब अर्नब ने ये सब देखते हुए अपनी गाड़ी आगे ले जाने की कोशिश की तो दोनों ने उनका रास्ता रोक लिया और फिर वहीं तरल पदार्थ फेंकने लगे। साथ ही उनकी कार का गेट भी थपथपाया। हालाँकि, थोड़े प्रयास करने के बाद वो अपनी गाड़ी आगे ले जाने में सफल रहे। आगे जाकर उन्होंने अपनी गाड़ी के बैक मिरर में देखा कि हमलावरों को मुंबई पुलिस की प्रोटेक्शन टीम के शिवाजी होस्मानी और उनके ऑफिस गार्ड ने पकड़ लिया था।
अपनी बिल्डिंग तक पहुँचने के बाद उन्होंने अपने ऑफिस गार्ड को इस बारे में पूछा। तो उसने बताया कि हमलावरों ने खुद को यूथ कॉन्ग्रेस का सदस्य बताया है, जो कह रहे थे कि वे उन्हें (अर्नब को) सबक सिखाने आए थे। अर्नब के मुताबिक इस बीच मुंबई पुलिस भी मौके में पहुँची और अर्नब की प्रोटेक्शन में तैनात शिवाजी होस्मानी ने उन्हें पूरा वाकया बताया कि उन पर हमला यूथ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया। इसके बाद डीसीपी खुद अर्नब की पार्किंग में 10-15 मिनट के बाद आ गए और यहाँ भी शिवाजी होस्मानी ने उन्हें तीसरी बार पूरा वाकया बताया। साथ ही ये भी कहा कि हमलावर यूथ कॉन्ग्रेस के थे।
अर्नब अपनी शिकायत में कहते हैं कि जब उन्होंने इस मामले पर एफआईआर की बात की तो डीसीपी ने उन्हें जल्दबाजी न करने को कहा। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें वे शिकायत दर्ज करेंगे और तथ्यों को सत्यापित करने के लिए उन्हें कॉल करेंगे। मगर, जब उन्हें डेढ़ घंटे तक कॉल नहीं आई तो उन्होंने अपने सहकर्मी को फोन किया जो कि पुलिस थाने पर था। उसने अर्नब को बताया कि डीसीपी इस समय कह रहे हैं कि ये जाँच का विषय है कि वे लोग यूथ कॉन्ग्रेस के थे या नहीं।
अर्नब का अपनी शिकायत में कहना है कि सब कुछ साफ होने के बाद भी ऐसी बात कहना तथ्यों को मोड़ने जैसा है। उनका दावा है कि डीसीपी के साथ बातचीत की उनके पास 2 रिकॉर्डिंग हैं। उन्होंने बताया कि वे ये सब जानकर साढ़े तीन बजे पुलिस थाने गए और वहाँ जाकर वे तब हैरान रह गए तब डीसीपी ने उनके मुँह पर झूठ बोला कि चूँकि वे उन हमलावरों को नहीं जानते हैं इसलिए ये जाँच करने का विषय है कि वे यूथ कॉन्ग्रेस से हैं भी या नहीं।
अर्नब का आरोप है कि उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि उन पर हमला करने वाले लोग वे थे, जो सत्ताधारी पार्टी से जुड़े थे। इसलिए बार-बार कहने पर भी उनकी बात को अनसुना किया जाता रहा। इस दौरान उनके सुरक्षा में तैनात प्रोटेक्शन टीम का हिस्सा रहे शिवाजी कहते रहे कि उन्होंने जिन्हें पकड़ा था, उन्होंने खुद स्वीकारा था कि वे लोग यूथ कॉन्ग्रेस से थे। जिनकी पहचान प्रतीक कुमार श्याम सुंदर मिश्रा और अरुण दिलीप बुराडे के रूप में हुई। जिनकी वीडियो और फोटोज भी उनके पास हैं।
इसके अलावा अपनी शिकायत में अर्नब ने अलका लांबा के ट्वीट का भी जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने इस हमले के तुरंत बाद यूथ कॉन्ग्रेस जिंदाबाद लिखा। उन्होंने सोनिया गाँधी, पालघर में साधु लिंचिंग को लेकर भी अपनी बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस व उसके शीर्ष नेता लगातार उनसे, उनकी टीम से असहज हैं क्योंकि वे उनके ख़िलाफ सवाल पूछते हैं, जिससे उन्हें परेशानी होती है।
बता दें कि इस मामले में मुंबई के एनएम जोशी थाने में दोनों आरोपितों के ख़िलाफ 341 और 504 के तहत मामला दर्ज हुआ है। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “हम वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर हमले की निंदा करते हैं। हम किसी भी पत्रकार पर हमले की निंदा करते हैं। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। जो लोग सहिष्णुता पर प्रवचन देते हैं वे उतने असहिष्णु हो गए हैं। यह अलोकतांत्रिक है।”