गुजरात की एक अदालत ने अडानी ग्रुप द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में पत्रकार प्रंजॉय गुहा ठाकुरता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। यह गिरफ्तारी वारंट मंगलवार (जनवरी 19, 2021) को गुजरात के कच्छ जिले के एक अदालत द्वारा जारी किया गया। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप सोनी ने नई दिल्ली की निजामुद्दीन थाना पुलिस को निर्देश जारी करते हुए आरोपित को गिरफ्तार करने और अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया। उन्होंने बताया कि आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत आरोप तय किया गया है।
ठाकुरता ने कथित तौर पर अरेस्ट वारंट के आदेश पर अनभिज्ञता व्यक्त की और साथ ही इस मामले में अपने वकील आनंद याग्निक से बात करने के लिए कहा। आनंद याग्निक ने कहा कि उनके मुवक्किल को अदालत से कोई सूचना नहीं मिली है। उन्हें इस बारे में मीडिया से पता चला। उन्होंने बताया कि अडानी ग्रुप ने ठाकुरता को छोड़कर सभी के खिलाफ शिकायतें वापस ले ली हैं।
याग्निक ने कहा, “लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है। सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है लेकिन आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस नहीं ले रहे हैं। हमने अदालत में मुकदमा ख़ारिज करने की अर्जी दी है।”
ठाकुरता ने लेख में आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अडानी ग्रुप के लाभ के लिए ‘नियमों को बदल दिया’
दरअसल, साल 2017 में ठाकुरता इकॉनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली पत्रिका (ईपीडब्ल्यू) के संपादक थे और उन्होंने अडानी समूह को मोदी सरकार की ओर से 500 करोड़ रुपए का लाभ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। लेख को पहली बार ईपीडब्ल्यू में प्रकाशित किया गया था। यह लेख सामने आने के बाद अडानी ग्रुप ने प्रकाशन को कानूनी नोटिस भेजकर मानहानि होने का दावा करने वाले लेख को हटाने के लिए कहा। इसके बाद दिल्ली में हुई समीक्षा ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में संपादकीय विभाग को दोनों लेखों को हटाने का आदेश दिया गया, जिसके बाद ठाकुरता ने इस्तीफा दे दिया था और फिर बाद में ‘द वायर’ में लेख प्रकाशित किया था।
अडानी ग्रुप ने लेख को पुनः प्रकाशित करने के लिए वायर के खिलाफ मामला दायर किया
नोटिस का पालन करने से इनकार करते हुए, वायर ने लेख को पुनः प्रकाशित किया जिसको लेकर अडानी ग्रुप ने अदालत में निषेधाज्ञा की माँग की। ग्रुप ने गुजरात के दो अलग-अलग अदालतों में वायर के लेखकों और संपादकों के खिलाफ दो मानहानि का मुकदमा दायर किया- एक नागरिक मानहानि का मुकदमा भुज में और एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा मुंद्रा में।
जुलाई 2018 में, आपराधिक मानहानि का मुकदमा अदालत द्वारा अलग रखा गया था। मई 2019 में, अडानी समूह ने वायर और ठाकुरता को छोड़कर अन्य सभी अभियुक्तों के खिलाफ मामला वापस ले लिया।
जब 18 जनवरी को अदालतें खुलीं तो ठाकुरता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना था। उनके वकील ने सूचित किया था कि उन्होंने ठाकुरता को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने की अपील की थी लेकिन अदालत ने इसके लिए सहमति नहीं दी। ठाकुरता के लेख को आगे बढ़ाने वाले वामपंथी पोर्टल द वायर ने एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि यह लेख मानहानिकारक नहीं है और वो यह देखकर निराश हैं कि ठाकुरता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा वापस नहीं लिया गया।