लखीमपुर खीरी में ‘किसान प्रदर्शनकारियों’ की हिंसा का बचाव करने और भाजपा को बदनाम करने के लिए मीडिया का गिरोह विशेष मैडम में उतर गया है, जिसमें विनोद कापड़ी भी शामिल हैं। विनोद कापड़ी ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष की तस्वीर क्रॉप कर दी, ताकि वो ये दिखा सकें कि हिंसा के दौरान वही कार ड्राइव कर रहे थे। उन्होंने लिखा, “कल के कपड़े। क्या कपड़ों से कातिल की पहचान की जा सकती है?”
साथ ही उन्होंने ‘लखीमपुर नरसंहार’ का टैग भी लगाया। इस ट्वीट के साथ उन्होंने दो तस्वीरें शेयर करते हुए बताया कि एक कार चला रहे ड्राइवर का है, दूसरा आशीष मिश्रा ‘मोनू’ का। हालाँकि, इस दौरान उन्होंने जानबूझ कर आशीष मिश्रा की इंटरव्यू वाली तस्वीर को क्रॉप कर दी, ताकि लोगों को ये न पता चले कि वो आधे बाजू वाली टीशर्ट पहने हुए थे। जबकि ड्राइवर फुल बाजू वाला कपड़ा पहने दिख रहा है।
आशीष मिश्रा की उस तस्वीर को ANI ने शेयर की थी। जब विनोद कापड़ी दावा कर रहे हैं कि दोनों तस्वीरों में कपड़े समान हैं, करीब से देखने पर ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता। ड्राइवर ने पूरे बाजू का शर्ट पहना है, जबकि आशीष मिश्रा ने आधी बाजू का। विनोद कापड़ी ने इस तरह से ‘किसान आंदोलनकारियों’ को क्लीन चिट देने की कोशिश की, जिनकी हिंसा की बलि 8 लोग चढ़ गए। इनमें शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर निषाद जैसे भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा पत्रकार रमन कश्यप और ड्राइवर हरिओम मिश्रा भी शामिल हैं।
हालाँकि, इसके बाद जब उनकी पोल खुली तो विनोद कापड़ी ने बिना माफ़ी माँगे और बिना कोई स्पष्टीकरण दिए अपनी इस ट्वीट को डिलीट कर दिया। लेकिन, उस समय तक 4200 से अधिक लोग उसे आगे बढ़ा चुके थे। हालाँकि, फेक न्यूज़ फैलाने में वो नए नहीं हैं। उन्होंने अप्रैल 2020 में दावा किया था कि प्रोटेक्टिव गियर की कमी होने के कारण आगरा के डॉक्टरों को पॉलीथिन पहनने के लिए कहा गया है।
उन्होंने बाद में बेशर्मी दिखाते हुए और भी ट्वीट्स किए और भाजपा समर्थकों पर अजीबोगरीब टिप्पणियाँ करते हुए अपने दावे का बचाव किया। उन्होंने आशीष मिश्रा को बिना किसी सबूत के ‘नरसंहार का आरोपित’ भी करार दिया। उन्होंने कपड़ों की जाँच करने की भी माँग की। बाद में वो दावा करने लगे कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे ने इंटरव्यू से पहले शर्ट बदल ली थी। तस्वीरों में जबकि देखा जा सकता है कि कार के शीशे फूटे हुए हैं।
IT cell के पालतुओं ,
— Vinod Kapri (@vinodkapri) October 5, 2021
ये रहा ट्वीट।
नरसंहार के आरोपी मोदी के मंत्री के बेटे को बचाने के लिए अब कोई नया झूठ लाओ।मुझे “आज तक” से जानकारी मिली है कि आशीष मिश्रा ने इंटरव्यू नरसंहार की रात 9 बजे दिया था। ANI interview रात 2 बजे
कपड़ों से पहचानने में तो तुम लोग उस्ताद हो ही। https://t.co/ToNNsDYCwN pic.twitter.com/N5TtJbkewz
कार पर पत्थर व लाठी-डंडों से हमला किया गया, जिससे उसे क्षति पहुँची। ड्राइवर की तरफ से हमला होने का मतलब है कि उसका बैलेंस बिगड़ा होगा। जब वहाँ एक खून की प्यासी भीड़ जमा थी, आशीष मिश्रा बिना किसी चोट के निशान के वहाँ से कई निकल गए? मिश्रा का कहना है कि वो वहाँ थे ही नहीं। उन्होंने कई इंटरव्यू दिए, किसी में उन्हें घायल या जख्म के निशान के साथ नहीं देखा गया। भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीट कर ‘किसानों’ ने हत्या कर दी।
इसमें एक नाम एक नाम शुभम मिश्रा का भी है। शुभम मिश्रा युवा थे। डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी। वो भाजपा से जुड़े हुए थे। उनका एक छोटा सा बच्चा भी है। परिवार की स्थिति बदहाल है। शुभम के पिता विजय मिश्रा ने पुलिस में जो तहरीर दी है, उसमें उन्होंने बताया है कि न सिर्फ उनके बेटे को मार डाला गया, बल्कि उनका पर्स और सोने की चेन भी गायब है। पिता ने तजिंदर सिंह विर्क नाम के एक नेता का नाम लिया है, जो सपा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।