असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने फेक न्यूज प्रकाशित करने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया को फटकार लगाई है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर में दावा किया है कि असम सरकार उल्फा (आई) आतंकवादियों के साथ बातचीत करने और संप्रभुता की माँग सहित अन्य मुख्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
सरमा ने टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट की तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि वह इस तरह के दावों को देखकर हैरान हैं।
I am aghast to see this news in @timesofindia. No Chief Minister can discuss Sovereignty of India with any one. This is non-negotiable. We all Indians, irrespective of our positions, are here to protect the sovereignty of India. I strongly refute the news report. This is FALSE. pic.twitter.com/LUjgeRr2ij
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) November 18, 2021
सरमा ने गुरुवार (18 नवंबर, 2021) को ट्वीट किया, “कोई भी मुख्यमंत्री भारत की संप्रभुता पर किसी के साथ चर्चा नहीं कर सकता है। यह बातचीत करने के लायक नहीं है। हम सभी भारतीय, चाहे हमारे पद कुछ भी हों, भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए यहाँ हैं। मैं इस खबर का पुरजोर खंडन करता हूँ। यह फर्जी है।” टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार (17 नवंबर 2021) को कहा कि उल्फा (आई) की संप्रभुता की मूल माँग पर चर्चा करनी होगी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 1979 में अविभाजित उल्फा की स्थापना के बाद पहली बार राज्य के एक मुख्यमंत्री ने उल्फा की मूल माँग पर सकारात्मकता के साथ चर्चा करने का साहस किया। सरमा से पहले के मुख्यमंत्री ने या तो सैन्य विकल्प चुना था या इस मुद्दे को संबोधित करने से कतराते थे। इसमें कहा गया है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 2005 में एक बार कहा था कि केंद्र ‘मुख्य मुद्दों’ पर चर्चा के लिए तैयार है। पद ग्रहण करने के तुरंत बाद, सीएम सरमा ने कहा था कि उल्फा से निपटने के लिए एक नए दृष्टिकोण की जरूरत है।
सितंबर में, सरमा ने कहा था कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के साथ बात की थी और शांति वार्ता शुरू करने के लिए उल्फा प्रमुख परेश बरुआ से बात करने की अनुमति ली थी। उन्होंने आगे स्पष्ट किया था कि यह शुरुआती स्तर पर है और इससे कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि गृह मंत्रालय ने उनसे कहा है कि उल्फा के साथ किसी भी तरह का संवाद एक स्ट्रक्चर्ड डायलॉग होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में असम में कई विद्रोही समूहों के साथ शांति प्रक्रिया पर सफलतापूर्वक बातचीत हुई है। जनवरी 2020 में, गृह मंत्री अमित शाह ने बोडो समूहों के साथ शांति समझौता किया था। इसके बाद, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार गुटों के 1600 से अधिक कार्यकर्ताओं ने अपने हथियारों को सरेंडर कर दिया था। इस ऐतिहासिक घटना के बाद समाज में उनका स्वागत किया गया। इस साल सितंबर में, छह विद्रोही समूहों ने केंद्र के साथ कार्बी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे कार्बी-आंगलोंग क्षेत्र में दशकों से चल रही हिंसा और अशांति का अंत हुआ।