Sunday, December 22, 2024
Homeरिपोर्टमीडिया'सरकारी पैसे से चलता है BBC': ट्विटर के लेबल पर बोला मीडिया संस्थान- हम...

‘सरकारी पैसे से चलता है BBC’: ट्विटर के लेबल पर बोला मीडिया संस्थान- हम स्वतंत्र, एलन मस्क ने पूछा- आखिर बीबीसी का मतलब क्या होता

ट्विटर पर देख सकते हैं कि बीबीसी के अकॉउंट के साथ नीचे में ‘गवर्नमेंट फंडेड मीडिया’ लिखा आ रहा है। बीबीसी के अलावा ट्विटर ने यह ठप्पा पीबीएस, एनपीआर और वॉयस ऑफ अमेरिका पर भी लगाया है।

एलन मस्क के ट्विटर खरीदने के बाद सोशल मीडिया साइट पर नए-नए कारनामे होते रहते हैं। कुछ दिन पहले ट्विटर की डिस्प्ले पिक्चर से लोगो बदल दिया गया था। अब खबर है कि ट्विटर ने बीबीसी के ऊपर ‘सरकार द्वारा पोषित (गवर्नमेंट फंडेड मीडिया)’ होने का ठप्पा लगा दिया है।

ट्विटर पर देख सकते हैं कि बीबीसी के अकॉउंट के साथ नीचे में ‘गवर्नमेंट फंडेड मीडिया’ लिखा आ रहा है। बीबीसी के अलावा ट्विटर ने यह ठप्पा पीबीएस, एनपीआर और वॉयस ऑफ अमेरिका पर भी लगाया है।

दिलचस्प बात यह है कि बीबीसी के मुख्य अकॉउंट जिसपर 2.2 मिलियन (22 लाख) के करीब फॉलोवर हैं उसी पर सरकार द्वारा पोषित होने का ठप्पा लगाया गया है। ये लेबल बीबीसी के अन्य ट्विटर अकॉउंट (बीबीसी न्यूज, वर्ल्ड, बीबीसी ब्रेकिंग न्यूज) पर नहीं है।

बीबीसी पर लगा ठप्पा

बीबीसी ने कहा कि वो इस मामले में ट्विटर से बात करके मामले को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। मीडिया हाउस के मुताबिक, “बीबीसी हमेशा से स्वतंत्र रहा है। हमें लाइसेंस फीस के जरिए सिर्फ ब्रिटेन की पब्लिक फंड देती है।” वहीं गवर्नमेंट फंडेड मीडिया का अर्थ होता है कि उस चैनल को सरकार सहयोग दे रही है और कभी भी उस चैनल की नीतियों को अपने फैसलों के अनुसार प्रभावित कर सकती है।

इस बदलाव के बाद कई जगह ट्विटर यूजर्स सफाई दे रहे हैं कि कैसे ट्विटर ने यह गलत किया है और बीबीसी अभी भी स्वतंत्र ही है। हालाँकि इस बीच कुछ लोग इस बदलाव का मजाक भी उड़ा रहे हैं जिसमें एलन मस्क ने भी बीबीसी की चुटकी ली और एक ट्वीट पर रिप्लाई देते हुए कहा, “आखिर ये बीबीसी का पूरा मतलब क्या है? मैं हर बार भूल जाता हूँ।”

ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि बीबीसी पर अक्सर ब्रिटिश सरकार का प्रोपेगेंडा चलाने का आरोप लगता रहा है। इसके अलावा उसकी फुल फॉर्म भी ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन है। लोग बीबीसी की तिलमिलाहट देख पूछ रहे हैं कि क्या तुम ब्रिटिश सरकार से कुछ पैसा नहीं लेते? अगर जवाब हाँ है तो फिर विरोध क्यों कर रहे हो।

बता दें कि इससे पहले बीबीसी ने अमेरिकन एनपीआर नेटवर्क पर भी राज्य पोषित मीडिया होने का ठप्पा लगाया था। इसके बाद एनपीआरल ने कहा था कि वो अपने अकॉउंट से तब तक कोई ट्वीट नहीं करेंगे जब तक कि ये ठप्पा उनके ऊपर से नहीं हटाया जाता।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

8 दिन पीछा कर पुलिस ने चोर अब्दुल और सादिक को पकड़ा, कोर्ट ने 15 दिन बाद दे दी जमानत: बाहर आने के बाद...

सादिक और अब्दुल्ला बचपने के साथी थी और एक साथ कई घरों में चोरियों की घटना को अंजाम दे चुके थे। दोनों को मिला कर लगभग 1 दर्जन केस दर्ज हैं।

बाल उखाड़े, चाकू घोंपा, कपड़े फाड़ सड़क पर घुमाया: बंगाल में मुस्लिम भीड़ ने TMC की महिला कार्यकर्ता को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, पीड़िता ने...

बंगाल में टीएमसी महिला वर्कर की हथियारबंद मुस्लिम भीड़ ने घर में घुस कर पिटाई की। इस दौरान उनकी दुकान लूटी गई और मकान में भी तोड़फोड़ हुई।
- विज्ञापन -