बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। शनिवार (जुलाई 11, 2020) को ही उनके बेटे अभिषेक बच्चन के भी कोरोना संक्रमित होने की ख़बर आई। पूरा देश महानायक की सलामती की प्रार्थना कर रहा है, क्योंकि उन्होंने 5 दशक तक देश-दुनिया का मनोरंजन किया है। लेकिन वामपंथियो ने इस मौके को भुनाने के लिए संवेदनहीनता का नया रूप दिखाना शुरू कर दिया है। इसमें नया नाम विद्या कृष्णन का जुड़ा है।
दरअसल, अमिताभ बच्चन के अस्पताल में भर्ती होने के बाद बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (BMC) के लोग उनके घर पर पहुँचे और उनके बंगलों ‘जलसा’ और ‘जनक’ में सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया पूरी की। दोनों ही बंगलों को ‘कन्टेनमेंट जोन’ घोषित कर दिया गया है और नोटिस भी चिपका दिया गया है। जुहू पुलिस ने अपने ब्रेकर्स वहाँ पर लगा दिए हैं। नानावती सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अमिताभ बच्चन का इलाज चल रहा है।
लेकिन, ‘कारवाँ मैगजीन’ और ‘द हिन्दू’ में लेख लिखने वाली और ख़ुद को विज्ञान व स्वास्थ्य पत्रकार बताने वाली विद्या कृष्णन को ये सब रास नहीं आया। उन्होंने अमिताभ बच्चन के बंगलों को सैनिटाइज किए जाने का विरोध किया। विद्या ने गाली बकते हुए पूछा कि क्या अमिताभ बच्चन अपने घर को साफ़ नहीं कर सकते? साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा कर के करदाताओं के पैसों को बर्बाद किया जा रहा है।
साथ ही उन्होंने पूछा कि क्या BMC मुंबई के प्रत्येक कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज के घर के लिए यही नियम अपनाने वाला है? साथ ही उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को दोष दे दिया। मुद्दा BMC से जुड़ा है लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी घृणा के कारण केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा दिया। बच्चन के घर को सैनिटाइज करने केंद्र के अधिकारी नहीं, बल्कि नगरपालिका के लोग गए थे।
इसके बाद विद्या ने दावा किया कि अगर कोई अमीर है तो ‘केंद्र सरकार के लोग’ उनके घर की साफ़-सफाई करने आएँगे और गरीबों को सड़क पर कुत्ते की तरह मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा और उन्हें कोई पूछने वाला तक नहीं होगा। साथ ही उन्होंने ‘वन नेशन, वन हेल्थ स्कीम’ की वकालत करते हुए लिखा कि या तो सभी को समान सेवाएँ मिलनी चाहिए या फिर किसी को भी नहीं मिलनी चाहिए।
Amitabh Bachchan can’t clean his own f#$@&* house?! This is taxpayer money wasted* on cleaning a rich man’s house.
— Vidya (@VidyaKrishnan) July 12, 2020
Or is BMC starting this service for every patient in Mumbai? https://t.co/EBufmbOIBT
साथ ही विद्या कृष्णन ने लिखा कि उन्हें ये बात समझ नहीं आती कि अमीर, फासिस्ट और बिगड़ैल लोग नगरपालिका से अपने घर की साफ़-सफाई करवाते हैं। विद्या कृष्णन का जैसा इतिहास है, वो झूठ फैलाने के लिए ही जानी जाती हैं। उनके लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के प्रति घृणा से सने होते हैं और वो देश को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़तीं। इस बार भी उन्होंने झूठ ही फैलाया।
सबसे पहले ये बता दें कि ये प्रोटोकॉल ही है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के घर और आसपास के क्षेत्र को नगरपालिका द्वारा सैनिटाइज किया जाएगा। अगर अमिताभ बच्चन प्रोटोकॉल के विरुद्ध कुछ करते, तब कहा जा सकता था कि वो अपनी पहुँच और पैसे का फायदा उठा रहे हैं। लेकिन क्या एक ‘स्वास्थ्य पत्रकार’ को कोरोना के साधारण प्रोटोकॉल्स भी नहीं मालूम? प्रोटोकॉल का पालन करने पर किसी को गाली क्यों?
दूसरी बात, इसमें विद्या कृष्णन ने करदाताओं और टैक्स वाला एंगल घुसाया। क्या अमिताभ बच्चन इस देश के नागरिक नहीं हैं? अकेले 2018-19 में उन्होने 70 करोड़ रुपए बतौर टैक्स दिए थे। ऐसे में विद्या कृष्णन को झूठ फैला कर टैक्स के नाम पर सवाल उठाने का अधिकार है क्या? अमिताभ का नाम हर साल उन सेलेब्रिटीज में टॉप की लिस्ट में आता है, जो सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं। ऐसे में इसमें टैक्स वाली बात घुसाना कहाँ तक उचित है?
दरअसल, भले ही सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया प्रोटोकॉल के तहत राज्य सरकार और BMC द्वारा किया जा रहा हो, जहाँ दोनों ही जगह शिवसेना की सत्ता है। लेकिन, विद्या कृष्णन ने इसे केंद्र सरकार पर हमले का मौका बनाया, क्योंकि अमिताभ बच्चन वामपंथी गैंग की हाँ में हाँ नहीं मिलाते। गुजरात में बिना एक भी रुपया लिए उन्होंने पर्यटन के लिए अपना चेहरा दिया।
विद्या कृष्णन के बारे में बताया दें कि उन्होंने कारवाँ के अपने लेख में दावा किया था कि आईसीएमआर के टास्क फोर्स में 21 वैज्ञानिक हैं जो मोदी सरकार को कोरोना से निपटने के उपायों पर सलाह देने वाले थे, लेकिन उन्हें नज़रंदाज़ किया जा रहा है। एक अनाम सदस्य के हवाले से ये सूचना दी गई थी कि एक सप्ताह में टास्क फोर्स की एक भी बैठक नहीं हुई। सच्चाई ये है कि 15 अप्रैल तक 1 महीने में 14 बैठकें हुई थीं। साथ ही ये दावा भी किया गया था कि पीएम मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने से पहले भी उनकी कोई सलाह नहीं ली।
अमिताभ बच्चन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का देश के लिए उठाए गए हर क़दम के बाद समर्थन किया था। सीएए हिंसा के दौरान भी वामपंथी उनसे दंगाइयों के पक्ष में बोलने की अपील कर रहे थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अमिताभ ने लॉकडाउन से पहले पीएम मोदी की अपील पर दीये भी जलाए थे और 1 दिन के ‘जनता कर्फ्यू’ का समर्थन किया था। इससे भी लिबरल गिरोह उनसे नाराज़ है।
अगर लॉजिक को ताक पर रख कर आलोचना करनी ही है तो विद्या ने BMC और महाराष्ट्र सरकार की जगह भारत सरकार पर निशाना क्यों साधा? सिर्फ इसीलिए, क्योंकि शिवसेना आजकल लिबरलों की चहेती बनी हुई है। शिवसेना और भाजपा वरोधी पार्टियाँ हैं, इसीलिए भाजपा के विरोधियों की आलोचना तो वामपंथियों की डिक्शनरी में आता ही नहीं। अमिताभ बच्चन को जान-बूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
कुछ इसी तरह का कारनामा रूपा सुब्रह्मण्यम ने भी किया। उन्होंने अमिताभ बच्चन के एक ट्वीट को लेकर अपनी असंवेदनशीलता दिखाई। बकौल रूपा, बच्चन ने अपने ट्वीट में ‘जनता कर्फ्यू’ का समर्थन करते हुए लिखा था कि इसे रणनीतिक रूप से अमावस्या के दिन रखा गया है, क्योंकि उस दिन ताली बजाने से पॉजिटिव वाइब्रेशन होगा, जिससे कोरोना का असर कम होगा। उनका दुःख ये है कि 22 मार्च को पीएम मोदी की अपील पर हुए ‘जनता कर्फ्यू’ का बच्चन ने समर्थन क्यों किया।
Wasn’t he the same guy who said Modi’s Janta curfew on March 22 which happened to be Amavasya was strategically planned, and that clapping on that day as requested by the PM would produce vibrations that would reduce or destroy the potency of Covid-19? https://t.co/dXKyxQjWGj
— Rupa Subramanya (@rupasubramanya) July 11, 2020
अगर किसी ने अपनी आस्था के अनुसार कुछ ट्वीट किया या फिर किसी ने अपने विचार रखे तो फिर उसे उसकी बीमारी के वक़्त याद करना और फिर असंवेदनशीलता दिखाना कहाँ तक उचित है? रूपा ने अपना पूरा टाइमलाइन अमिताभ बच्चन के प्रति घृणा से भर रखा रखा है। उनका कहना है कि बच्चन तुरंत अस्पताल में भर्ती हो गए, ये दिखाता है कि मुंबई के अस्पतालों में स्थिति नियंत्रण में है। उनका ये भी पूछना है कि जब उनमें कोरोना के लक्षण कम थे तो फिर अस्पताल में क्यों भर्ती किया गया?
किसी की मौत पर या फिर किसी की बीमारी पर मजाक बनाना वामपंथियों और इस्लामी कट्टरवादियों की साझा फितरत है। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद भी कुछ लोगों ने खुशियाँ मनाई थीं। पीएम मोदी या फिर भाजपा से जुड़े या फिर जिसे उनके करीब माना जाता हो, उनकी मौत की दुआ माँगना सोशल मीडिया के इन वॉरियर्स के लिए कोई नई बात नहीं है। हालाँकि, अमीरों को गाली देने वाली खुद अमीरों से मिलने वाले फ़ायदों का लाभ उठाने से नहीं हिचकते।