Friday, November 22, 2024
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मेरे पिता का पूरा जीवन दुश्मनों से लड़ते हुए बीता: कारवाँ के ‘प्रोपेगेंडा’ लेख पर अदालत में विवेक डोभाल

लेख में ‘डोभाल परिवार’ को ‘डी कंपनी’ का नाम दिया गया, जिसका इस्तेमाल 1993 मुंबई बम धमाकों के आरोपी और कुख्यात आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के गैंग के लिए किया जाता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल द्वारा कारवाँ मैगज़ीन और कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि मामले पर सुनवाई पटियाला हाउस में हुई। इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल द्वारा की गई। विवेक डोभाल का प्रतिनिधित्व एडवोकेट डीपी सिंह ने किया। सुनवाई के दौरान विवेक डोभाल ने कहा कि यह मामला आने वाले वर्षों में उनके करियर पर एक धब्बे की तरह है। अपने पिता को लेकर उन्होंने कहा कि उनका पूरा जीवन इस देश के दुश्मनों से लड़ते बीता है, ऐसा कैसे हो सकता है कि वो अपने बेटे को अवैध गतिविधियों को अंजाम देने की अनुमति दे दें।

फ़िलहाल, अदालत ने सुनवाई के लिए 10 जुलाई का दिन मुक़र्रर कर दिया है। विवेक डोभाल को सुनवाई की अगली तारीख पर जिरह करनी होगी।

विवेक ने कहा कि कारवाँ के लेख से ऐसा लगता है जैसे कि डोभाल परिवार काले धन और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में शामिल हो। यह लेख बहुत ही व्यवस्थित तरीके से लिखा गया लेख था जिसे पढ़कर पाठकों को सच में ऐसा लग सकता था कि विवेक डोभाल, और उनका परिवार अवैध गतिविधियों में शामिल था। इस लेख में मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय विनियमन और विदेशी शाही परिवारों से कनेक्शन जैसे मुद्दों को शामिल किया गया।

ध्यान देने वाली बात यह है कि इस लेख में ‘डोभाल परिवार’ को ‘डी कंपनी’ का नाम दिया गया, जिसका इस्तेमाल 1993 मुंबई बम धमाकों के आरोपी और कुख्यात आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के गैंग के लिए किया जाता है। विवेक ने कहा कि यह सर्वविदित है कि दाऊद एक अंतरराष्ट्रीय आंतकवादी है। इस लेख का शीर्षक सबसे अधिक तकलीफ़ देने वाला था।

विवेक डोभाल ने कहा, “मेरे पिता (अजित डोभाल ) मेरे हीरो हैं। जब मैं दिल्ली वापस आया, तो मुझे इन कथनों की सत्यता पर अपने पिता का सामना करना पड़ा। मैं टूट गया। मैं असहाय महसूस कर रहा था, मेरा जीवन और करियर सालों की मेहनत से बनाया गया है। यहाँ तक पहुँचने के लिए मैंने केवल अपनी क्षमताओं पर भरोसा किया है। एक फंड मैनेजर के रूप में मेरे लिए जो महत्वपूर्ण है, वह मेरी प्रतिष्ठा है।”

डोभाल ने कहा, “मैंने यूट्यूब पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो देखा जिसमें कमेंट्स भीतर मेरे परिवार के ख़िलाफ़ बहुत ही अभद्र और अपमानजनक टिप्पणियाँ थीं ।” भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस वेबसाइट ने साक्षात्कार और इसकी ट्रांसस्क्रिप्ट भी जारी की। उन्होंने बताया कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन यूपीए काल में केंद्रीय मंत्री रहे जयराम रमेश द्वारा किया गया था।

विवेक डोभाल ने हैरानी जताते हुए कहा कि ग़लत तथ्यों और जानकारी के ज़रिए उनके और उनके परिवार की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि वो 16 जनवरी को किसी काम से क़तर के दोहा यात्रा पर थे, तब उनके पास उनके भाई का फोन आया कि कारवाँ मैगज़ीन ने आरोप लगाते हुए एक झूठा और भ्रामक लेख लिखा है।

जस्टिस समर विशाल ने 22 जनवरी को द कारवाँ, जयराम रमेश और लेख के लेखक कौशल श्रॉफ के ख़िलाफ़ विवेक डोभाल की आपराधिक मानहानि की शिकायत का संज्ञान लिया था। कारवां मैगज़ीन में लेख प्रकाशित होने के बाद डोभाल ने अदालत का रुख़ किया था। डोभाल ने अदालत का रुख़ इसलिए किया था, क्योंकि लेख में यह आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल केमैन आइलैंड, जो कि टैक्स-हेवन के रूप में जाना जाता है, में हेज फंड (निवेश निधि) चलाते हैं। रवीश कुमार ने यहाँ तक लिखा था कि “डी-कंपनी का अभी तक दाऊद का गैंग ही होता था और भारत में एक और डी कंपनी आ गई है”। इस पत्रिका के अनुसार यह हेज फंड 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के 13 दिन बाद रजिस्टर्ड किया गया था।

विवेक डोभाल ने अपनी नागरिकता की स्थिति, शैक्षिक योग्यता और पेशेवर स्थिति के विस्तृत वर्णन से शुरुआत कर के इस लेख के ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज कराई। इसमें उन्होंने पूछा था कि क्या ‘डी कंपनी’ शीर्षक से लिखा गया लेख उन्हें वास्तव में परेशान करने के लिए लिखा गया था?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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