जैक डोर्सी के ट्विटर से इस्तीफा देने के बाद भारतीय मूल के पराग अग्रवाल को ट्विटर के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी नियुक्ति के साथ ही भारत में लेफ्ट-लिबरलों ने उनकी जाति को लेकर उन्हें गाली दी थी। लेफ्ट-लिबरलों, दलित कार्यकर्ताओं और श्वेत वर्चस्ववादियों ने अग्रवाल को ब्राह्मण समझकर उन्हें निशाना बनाया था। लेकिन अब जब उन्हें पता चल गया है कि वह ब्राह्मण नहीं हैं, तो वे उनका ऐसे व्यक्ति के रूप में स्वागत कर रहे हैं, जिन्होंने ट्विटर पर ‘ब्राह्मण वर्चस्व’ को तोड़ा है।
द प्रिंट के हिंदी संस्करण पर प्रकाशित एक लेख में, प्रोफेसर दिलीप मंडल ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर शीर्ष पद पाने के लिए पराग अग्रवाल की सराहना करते हुए कहा कि वह आईआईटी में ब्राह्मणों के प्रभुत्व को हिलाने वाले अकेले नहीं हैं। गॉसिप वेबसाइट मिसमालिनी की संस्थापक मालिनी अग्रवाल के एक ट्वीट का हवाला देते हुए (जिसमें उन्होंने कहा था कि यह बनिया पावर का एक उदाहरण है) दिलीप मंडल ने दावा किया कि बनिया के ट्विटर सीईओ बनने के बाद बनिया पावर एक हकीकत है।
दिलीप मंडल ने यह दावा तब किया जब मालिनी अग्रवाल ने अपने जातिवादी ट्वीट को हटा दिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से आलोचना के बाद इसके लिए माफी माँगी। उन्होंने आगे दावा किया कि उन्हें ट्वीट को हटाने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि भारत में केवल ब्राह्मण या ठाकुर ही अपनी जातियों पर गर्व का प्रदर्शन करते हैं और जब अन्य जातियों के लोग अपनी जाति की पहचान पर गर्व करते हैं, तो यह अटपटा लगता है।
Ugh. I apologise. I shall be more mindful going forward. Have learned a valuable lesson today. All I can say is that was absolutely not my intent. 🙏💙
— Malini Agarwal (@maliniagarwal) November 30, 2021
दिलीप मंडल का कहना है कि पराग अग्रवाल का शिखर पर जाना कोई संयोग नहीं है और बनिया पेशेवरों ने हाल के वर्षों में आईटी और आईटी से संबंधित क्षेत्रों में अच्छी सफलता हासिल की है। उन्होंने दावा किया कि यह क्षेत्र कभी ब्राह्मणों का प्रभुत्व था जो अब ढहने वाला है। मंडल ने आगे दावा किया कि भारत की आईटी क्रांति मुख्य रूप से दूसरी या तीसरी पीढ़ी की शिक्षित उच्च जातियों के नेतृत्व में थी, और उनमें से अधिकांश ब्राह्मण थे।
प्रिंट लेख में, दिलीप मंडल ने दावा किया कि ज्ञान, पावर, इंजीनियरिंग शिक्षा आदि सब कुछ में ब्राह्मणों का प्रभुत्व था और अब बनिया समुदाय उन्हें उन क्षेत्रों में चुनौती दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि हालाँकि दिलीप मंडल खुशी के साथ नाच रहे हैं कि ब्राह्मण नहीं एक बनिया पराग अग्रवाल ट्विटर का सीईओ बन गया, जबकि सच यह है कि अग्रवाल उस SC/ST समुदाय से नहीं हैं जैसा मंडल समझ रहे हैं। अग्रवाल एक व्यापारिक समुदाय है जो व्यापार और अपनी संपत्ति में विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है और उन्हें ‘उत्पीड़ित’ समुदाय के रूप में नहीं माना जाता है। राजस्थान के अग्रवाल (पराग अग्रवाल के मूल राज्य) उच्च जाति के हैं और वे सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, ब्राह्मणों के समान श्रेणी में।
इसलिए, यह स्पष्ट नहीं है कि एक दलित कार्यकर्ता इस बात से खुश क्यों है कि आईआईटी और आईटी इंडस्ट्री में एक उच्च जाति दूसरी उच्च जाति की जगह ले रही है। वह बनिया समुदायों की एक विस्तृत श्रृंखला से भ्रमित हो सकते हैं, क्योंकि कुछ बनिया समुदाय, विशेष रूप से पूर्वी भारत में, अनुसूचित जाति के अंतर्गत आते हैं और वे पश्चिमी भारत के बनिया की तरह अमीर नहीं हैं।
यह भी मजेदार है कि जैक डोर्सी की जगह पराग अग्रवाल के आने से दिलीप मंडल खुश हैं, क्योंकि उन्हें अभी तक ब्राह्मणों पर जैक डर्सी के विचार शायद ज्ञात नहीं हैं। बता दें जैक का ब्रह्मणों के प्रति घृणास्पद नजरिया था। 2018 में अपनी भारत यात्रा के दौरान, उन्होंने एक तख्ती के साथ तस्वीरें खिंचवाई थीं, जिस पर लिखा था, “ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को तोड़ो।”
गौरतलब है कि इससे पहले 2019 में दिलीप मंडल ने ट्विटर पर जातिवादी होने का आरोप लगाया था क्योंकि उन्हें वेरिफाइड ब्लू टिक नहीं दिया गया था। उन्होंने ट्विटर इंडिया के तत्कालीन प्रमुख मनीष माहेश्वरी को कथित तौर पर दलितों के साथ अन्याय करने और उनके ट्विटर हैंडल को वेरिफाइड त नहीं करने के लिए जातिवादी कट्टर कहा था। लेकिन जब ट्विटर ने उनकी अकाउंट को वेरिफाई कर दिया तो उन्होंने ट्विटर पर सभी को ‘समान दर्जा’ मिलने की बात कहते हुए इसे हटाने की माँग की थी।