रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी और एक्स BARC CEO पार्थो दासगुप्ता (Partho Dasgupta) के ख़िलाफ़ मुंबई पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट के बाद फेक TRP केस ने नया मोड़ ले लिया है। दिलचस्प यह है कि मुंबई पुलिस ने इस फर्जी केस को सही साबित करने के लिए सैकड़ों पन्नों की जिस चैट को ‘लीक’ किया है, उसमें मुद्दे से जुड़ा हुआ कुछ भी देखने को नहीं मिलता। न ही इसमें पैसों के लेन-देन की चर्चा है और न ही रेटिंग से छेड़छाड़ करने का कोई जिक्र है। यानी, चार्जशीट में कुल मिलाकर अर्णब की सिर्फ़ बातबीच को आधार बनाया गया है।
आपको शायद हैरानी हो सकती है कि पुलिस के इस कदम के पीछे क्या उद्देश्य रहे होंगे? आखिर कैसे पुलिस सोच सकती है कि दो लोगों की चैट टीआरपी मामले में लगे आरोपों को अधिक पुख्ता करती है। तो बता दें, तमाम नजरिए से देखने के बाद यही मालूम होता है कि ये सब केवल अर्णब गोस्वामी की छवि धूमिल करने के लिहाज से किया गया एक प्रयास जैसा है।
मामले में चार्जशीट दायर होने के बाद से लिबरलों की खुशी का ठिकाना नहीं है। वह बालाकोट जैसे मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता जाहिर कर रहे हैं कि आखिर अर्णब को इस विषय पर कैसे मालूम था? जबकि सच्चाई यह है कि जिस समय अर्णब इस बात को कह रहे थे कि ‘कुछ बड़ा होने वाला है’, उसी दौरान अन्य चैनल व वरिष्ठ पत्रकार भी उसी भाषा को दोहरा रहे थे।
इसके अतिरिक्त, एक अन्य पहलू भी इस चार्जशीट का है जिस पर अभी तक चर्चा नहीं की गई। मुंबई पुलिस ने इस आरोप पत्र में एक कंसल्टिंग फर्म ‘एक्वाइजरी’ द्वारा तैयार फॉरेंसिक रिपोर्ट को भी जोड़ा है। अब हम पहले ही बता चुके हैं कि इस फॉरेंसिक रिपोर्ट में BARC अधिकारियों और BARC के शोधकर्ताओं के बीच वो बातचीत संदिग्ध थी, जिसमें उन्हें ‘Sony Live’ (सोनी लाइव) को ‘अल्फा रिपोर्ट’ में जोड़ा जाना था क्योंकि वे IPL का प्रसारण कर रहे थे। वास्तव में, मुंबई पुलिस को इस पर खुद ही जाँच आगे बढ़ानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
टीआरपी मामले में रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ चार्जशीट, इंडिया टुडे के खिलाफ सबूत
रिपोर्ट दर्शाती है कि ये बातचीत समाचार चैनल ‘इंडिया टुडे’ के अधिकारियों और BARC के अधिकारियों में हुई थी और वो भी रिपब्लिक टीवी के लॉन्च होने से बहुत पहले। रिपोर्ट में संक्षेप में इस बात को कहा गया है कि रोमिल और पार्थो के बीच हुई चैट से मालूम होता है कि वह पहले से चैनल रेटिंग को फिक्स कर रहे थे।
ध्यान देने वाली बात है कि इस चैट में एक बातचीत का हिस्सा अप्रैल 12, 2016 का है। तब न रिपब्लिक टीवी लॉन्च हुआ था और न ही रिपब्लिक भारत अस्तित्व में आया था। इसमें रोमिल ने पार्थो से कहा था कि विवेक मल्होत्रा के लिए नंबर 2 तैयार करो। इसके बाद अप्रैल 26, 2016 की चैट में एबीपी को नंबर 3 में रखने की बात है।
आगे, सबसे पुख्ता सबूत यह है कि मई 10, 2018 को विवेक और रोमिल के बीच बात हुई। इसमें यह डिस्कस हुआ कि आजतक को नंबर 1 रखना होगा क्योंकि वह नंबर दो पर था, जैसा कि 2016 की बात में रोमिल ने निर्धारित किया था। फॉरेंसिक रिपोर्ट कहती है कि ये बातचीच रेटिंग जारी होने के ठीक बाद हुई थी।
विवेक मल्होत्रा के बारे में स्पष्ट करें कि वो उस समय इंडिया टुडे ग्रुप के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर थे और Linked IN में लिखे बायो के अनुसार वो अब भी इसी पद पर संस्थान से जुड़े हुए हैं।
अब ऐसे में आजतक को नंबर 1 और एबीपी को नंबर 3 रखने वाली चैट पर गौर देना अनिवार्य है। इनसे सवाल उठता है कि आखिर आजतक नंबर 1 था या फिर होना चाहता था। देख सकते हैं कि पहले बात होती है विवेक मल्होत्रा को नंबर 2 पर रखने की और बाद में कहा जाता है कि आजतक को नंबर 1 बनाने का वादा किया गया है।
पूरी बातचीत इतनी अधिक अस्पष्ट है कि पता चलता है कि विवेक अपने चैनल को नंबर 1 पर लाना चाहते थे, जबकि BARC अधिकारियों ने उन्हें नंबर 2 पर रखा हुआ था।
दूसरी चैट इंडिया न्यूज और एबीपी को लेकर है।
इस चैट से, यह पता लगता है कि पार्थो पूछ रहे हैं कि क्या वे नंबर 3 पर एबीपी को नहीं रख सकते? इससे उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा। जिस पर रोमिल कह रहा है कि शहरी क्षेत्र में एबीपी पहले से ही नंबर 3 पर है।
बता दें कि इंडिया न्यूज लंबे समय से 3 नंबर है। इस संबंध में कई न्यूज आर्टिकल भी हैं। जुलाई, 2016 में Exchange4Media ने भी इस पर रिपोर्ट की थी और बताया था कि कैसे DAS III के वापसी के बाद निर्धारित सूची में चैनल को फायदा पहुँचा है।
उसी दौरान इंडिया न्यूज के सीईओ वरुण कोहली ने भी इस कामयाबी के लिए अपनी पूरी टीम को सराहा था कि उन्होंने कम समय में चैनल को इतना आगे पहुँचाया। कोहली ने DAS III रोल ऑउट होने पर कहा था कि इससे उन्हें बाजार में काफी हिस्सेदारी मिली है क्योंकि उनके पास अन्य चैनलों की तुलना में एक विशाल ग्रामीण दर्शकों की संख्या है और इससे उन्हें अपने रैंक में वृद्धि करने में मदद मिली व नवीनतम BARC डेटा इस तथ्य का प्रमाण है।
इसके बाद, साल 2018 में ‘भड़ास मीडिया’ का कहना था कि इंडिया न्यूज अपना चैनल देखने के लिए लोगों को 500 रुपए देता है। हालाँकि, ऑपइंडिया इस बात की पुष्टि नहीं करता। लेकिन सामने आई बातचीत से पता चलता है कि इंडिया टुडे समूह इस पूरे टीआरपी स्कैम का हिस्सा है। हंसा रिसर्च की रिपोर्ट में भी इंडिया टुडे का नाम था। उसमें भी कहीं से कहीं तक रिपब्लिक टीवी का उल्लेख नहीं था। इसी प्रकार जो एफआईआर हुई उसमें भी रिपब्लिक मीडिया समूह का नाम नहीं था।
चैट बताती हैं कि टीआरपी के साथ छेड़छाड़ का खेल पहले से खेला जा रहा था। फॉरेंसिक रिपोर्ट भी कहती है कि समाचार चैनल ‘आज तक’ को नंबर 1 पर रखने का वादा हुआ था। इससे पूर्व, ऑपइंडिया आपको बता चुका है कि कैसे इंडिया टुडे पर BARC ने 5,00,000 की पेनेल्टी लगाई हुई थी और सवाल पूछा था कि उनकी व्यूअरशिप कैसे बढ़ रही है।
हमारे सूत्रों ने हमें जानकारी दी थी कि इंडिया टुडे को 5 लाख रुपए का फाइन भरने को कहा गया था, क्योंकि उन्होंने अपनी व्यूअरशिप बढ़ने के पीछे जो स्पष्टीकरण BARC Disciplinary Council (BDC) को सौंपा, वह उन्हें संतोषजनक नहीं लगा।
व्यूअरशिप में नजर आ रही गड़बड़ी के संबंध में ‘टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड’ और BARC को अप्रैल 27, 2020 को कारण बताओ नोटिस भी भेजा गया था। इसके बाद टीवी टुडे द्वारा दिया गया जवाब BARC डिसिप्लिनरी काउंसिल को संतोषजनक नहीं लगा। बीडीसी ने इंडिया टुडे की प्रतिक्रिया पर कहा, “चुनिंदा भौगोलिक क्षेत्रों (मुंबई और बेंगलुरु) में इंडिया टुडे चैनल की व्यूअरशिप में इतने उछाल के संबंध में दिया गया जवाब संतोषजनक नहीं है।“
TRP मामले में ECIR हुई रजिस्टर, इंडिया टुडे से जारी है पूछताछ
टीआरपी स्कैम में मुंबई पुलिस का रिपब्लिक टीवी और उसके एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ ‘विच हंट’ जारी है। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर इंडिया टुडे के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) दिनेश भाटिया और डिस्ट्रीब्यूशन हेड केआर अरोड़ा को मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है।
इससे पहले, संयुक्त निदेशक के कार्यालय ने 8 जनवरी, 2021 को ग्रुप सीएफओ को तलब किया था। मामले से जुड़े सूत्रों ने ऑपइंडिया को बताया कि इंडिया टुडे के शीर्ष प्रबंधन के दोनों सदस्य से सोमवार (जनवरी 18, 2021) सुबह से ही एजेंसी गहन पूछताछ कर रही है। फर्जी टीआरपी मामले में दर्ज मूल एफआईआर में इंडिया टुडे के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि नेटवर्क टीआरपी में हेरफेर के लिए लिए भुगतान कर रहा था।
ईडी ने फर्जी टीआरपी मामले में एन्फोर्समेंट केस इनफार्मेशन रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की है जो कि पुलिस की एफ़आईआर के समानांतर होती है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों की जाँच कर रहा है और रिपोर्ट्स में यह बात भी सामने आई थी कि एफ़आईआर में जितने चैनल्स के नाम शामिल हैं सभी की जाँच होगी। मूल एफ़आईआर में शामिल किए गए नामों के अलावा (जिसमें रिपब्लिक का नाम शामिल नहीं है) मुंबई पुलिस की पड़ताल भी जाँच के दायरे में आ सकती है। ईडी इस मामले से जुड़ने वाली दूसरी केन्द्रीय एजेंसी है, इसके पहले सीबीआई ने इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की थी।