दैनिक भास्कर के पत्रकार तरुण सिसोदिया की मौत हो गई है। वे कैंसर और कोरोना से संक्रमित थे। उन्होंने दिल्ली AIIMS में चौथी मंजिल से कूद कर आत्महत्या की कोशिश की थी। बाद में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
तरुण सिसोदिया के साथी पत्रकारों का कहना है कि तरुण सिसोदिया पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से काफ़ी तनाव में रहते थे। तरुण दिल्ली के भजनपुरा में अपने परिवार के साथ रहते थे। साथी पत्रकारों का कहना है कि ‘दैनिक भास्कर’ ने 2 महीने पहले उनका इस्तीफा ले लिया था लेकिन बाद में उनकी नौकरी बच गई थी।
उनकी शादी लगभग 3 साल पहले ही हुई थी। उनकी दो बेटियाँ हैं, जिनमें से एक की उम्र 2 साल है और दूसरे की उम्र मात्र कुछ ही महीने है। वो भास्कर के आधिकारिक ग्रुप में भी डिप्रेशन के बारे में अपने साथियों को बताते रहते थे। उन्होंने अपनी परेशानियों से लोगों को अवगत कराते हुए उन्हें बचाने की बात कही थी।
तरुण सिसोदिया के बारे में पता चला है कि वो काफी दिनों से अपने घर पर ही थे। उनकी मानसिक हालत भी ठीक नहीं थी। कैंसर पीड़ित होने के साथ-साथ उन्हें मानसिक बीमारी भी थी। बाद में वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित हो गए थे।
दिल्ली स्थित ‘ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ (AIIMS) में उनका इलाज चल रहा था। 35 साल के तरुण सिसोदिया 2017 से ही ‘दैनिक भास्कर’ में कार्यरत थे। उनके साथी पत्रकारों द्वारा उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने की बात बताई गई है।
तरुण सिसोदिया के बारे में बता दें कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को लेकर ही रिपोर्टिंग की थी। उन्होंने ही बताया था कि दिल्ली सरकार कह रही है कि अब तक 982 मौत कोरोना से हुई है, जबकि 1500 से ज्यादा डेडबॉडी का अंतिम संस्कार श्मशान और कब्रिस्तानों में हो चुका है। उन्होंने प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ भी सोशल मीडिया में कुछ ट्वीट्स का समर्थन किया था।
दिल्ली सरकार कह रही है कि अब तक 982 मौत कोरोना से हुई हैं, जबकि 1500 से ज्यादा डेडबॉडी का अंतिम संस्कार श्मशान और कब्रिस्तानों में हो चुका है। अभी भी सरकार मौत पर झूठ ही बोल रही है। @KapilMishra_IND#COVID__19 pic.twitter.com/mmWBuTZdNL
— तरुण सिसोदिया (@tarunsisodiaN18) June 10, 2020
‘दैनिक भास्कर’ के पत्रकार तरुण सिसोदिया के साथियों ने बताया कि वो काफी मिलनसार व्यक्ति हैं और सबसे हँस-बोल कर मिलते थे। इससे पहले वो ‘संडे टाइम्स’ में कार्यरत थे। ‘दैनिक भास्कर’ में उन्हें सामान्यतः MCD और एजुकेशन से जुड़ी बीट कवर करनी होती थी। वो अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भी खबरें डालते रहते थे।
उनका एक स्क्रीनशॉट भी हमें मिला है, जिसमें वो अपनी जान खतरे में होने की बात करते हुए पुलिस से बात कराने को कह रहे थे और साथ ही उन्हें ‘बचाने’ की भी गुहार लगा रहे थे। साथ ही AIIMS की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हुए उन्होंने ग्रुप में बताया था कि डॉक्टर किसी को कोई भी इंजेक्शन दे रहे हैं। वहाँ जिस तरह से मरीजों को ट्रीट किया जा रहा था, उससे वो नाराज़ थे।
इस स्क्रीनशॉट से साफ पता चलता है कि वो मानसिक पीड़ा से गुजर रहे थे। जिस तरह से संस्थान ने उनका इस्तीफा ले लिया था या उनके साथ काम कर रहे लोगों को निकाला, उसका उनकी दिमागी हालत पर क्या असर पड़ा था- ये भी जाँच का विषय है। इससे ये भी प्रतीत होता है कि कोरोना संक्रमितों के मेन्टल काउंसलिंग की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
उधर हैदराबाद से भी एक ऐसी ही दुःखद ख़बर आई, जहाँ 34 साल के एक व्यक्ति ने हुसैन सागर झील में कूद कर आत्महत्या कर ली क्योंकि उसे डर था कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया है। उसका इलाज एक प्राइवेट क्लिनिक में चल रहा था। इससे पहले भी ऐसी घटनाएँ हुई हैं।