बेंगलुरु में एक फेसबुक पोस्ट में पैगंबर मुहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी पढ़कर आहत हुई मुस्लिम भीड़ ने अल्लाह-हू-अकबर और नारा-ए-तकबीर के नारों के बीच पथराव और आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। उन्होंने इस हिंसा में कॉन्ग्रेस विधायक के घर को जलाया और 60 से अधिक पुलिस वालों को घायल भी किया।
अब ऐसी स्थिति में कोई भी यही समझेगा कि इस घटना के बाद मीडिया जाहिर तौर पर इस्लामिक भीड़ के ख़िलाफ़ सख्त रुख अख्तियार करेगी और इस बात का विश्लेषण करेगी कि कैसे मुस्लिम समुदाय के लोग जरा सी बात पर दंगों के लिए तैयार हो जाते हैं। खासतौर पर ईशनिंदा के आरोपित कमलेश तिवारी की हत्या के बाद से तो यह उम्मीद मीडिया से की ही जा रही थी कि वह निष्पक्ष होकर सच्चाई बोले।
हालाँकि, मीडिया ने इस बार भी ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होंने फेसबुक पोस्ट करने वाले कॉन्ग्रेस विधायक के भतीजे नवीन को अपना निशाना बना लिया। डेक्कन हेराल्ड ने नवीन के ख़िलाफ़ एक ऐसी रिपोर्ट लिखी जिसमें उसे serial offender बताया गया है। रिपोर्ट में लिखा गया कि नवीन की यह आदत है कि वह पैगंबर मुहम्मद का अपमान करता है और उन्हें लेकर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग भी करता है।
डेक्कन हेराल्ड ने अपने सूत्रों का हवाला देते हुए कि विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति का भतीजा नवीन का ऐसा इतिहास है जिसमें वह लगातार आपत्तिजनक कंटेंट डालकर नफरत फैलाने की कोशिश करता है। उन्होंने 5 अगस्त को पदराणयपुर की घटना के बारे में अपमानजनक सामग्री पोस्ट की थी।
पदरायणपुर हिंसा के बारे में याद दिला दें कि ये हिंसा 19 अप्रैल को भड़की थी, जब कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वाले अन्य लोगों ने क्वारंटाइन होने से मना कर दिया था और हंगामा भी किया था। इस पूरी हिंसा में पुलिस ने 119 लोगों को गिरफ्तार किया था।
दिलचस्प बात ये हैं कि डेक्कन हेराल्ड कहता है कि इन दोनों घटनाओं में नवीन ने भावनाओं को आहत किया। जबकि वास्तविकता ये है कि चाहे पदरायणपुर की हिंसा हो या नवीन के पोस्ट के बाद भड़की हिंसा, हर जगह मुस्लिम समुदाय के लोग उसमें शामिल रहे। लेकिन, तब भी मीडिया संस्थान ने हिंसा का विरोध नहीं किया, बल्कि नवीन को लगातार अपराध दोहराने वाला बताया।
यहाँ ये बात गौर करने वाली है कि एक ओर जहाँ हजारों लोगों की भीड़ ने एक मात्र फेसबुक पोस्ट पर इतनी हिंसा भड़का दी और डेक्कन हेराल्ड तब भी नवीन को जिम्मेदार बताता रहा। तो आखिर पाठक कैसे इस बात को समझेगा कि मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथी कैसे काम करते हैं और कैसे एक-दूसरे को समर्थन के नाम पर बढ़ावा देते हैं। मीडिया संस्थान की यह कोशिशें बिलकुल ऐसी हैं, जैसे वह जिहादियों को उनके उद्देश्य को पूरा करने के निर्देश दे रहे हो।
मुख्यधारा का मीडिया भी वैसे तो हमेशा सच्चाई बताने की बातें करता है। लेकिन जब भी ऐसे कोई भी मौके आते हैं तो वह इनसे खुद को अलग कर लेता है। वास्तविकता में ये सब इसलिए नहीं होता कि वह इंसान के दुश्मनों की छवि निर्माण चाहते हैं। बल्कि इसलिए होता है क्योंकि संस्थान खुद को इस तरह ढाल लेते हैं कि वह अपनी निष्ठाओं को ही धोखा देने लगते हैं।
ये भी ध्यान रखने की बात है कि मुस्लिम समुदाय के सबसे घटिया तत्वों के लिए मुख्यधारा का मीडिया प्रचार तंत्र में बदल गया है। उनकी रिपोर्टें में इस बात का खास तौर पर ध्यान दिया जाता है कि वह मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथियों के मनमुताबिक हो और इसके लिए वह पूर्ण रूप से अपनी सारी कोशिश करते हैं।
इस संबंध में हमें याद रखना चाहिए कि आलोचकों की हत्यााओं का सिलसिला खुद पैगंबर मुहम्मद के समय से चला आ रहा है। ट्रिब्यूट, स्पॉइल्स एंड रुलरशिप (किताब अल-खराज, वाल-फे ‘वाल-इमराह में) में इस्लाम के पैगंबर के समय के दौरान एक दिलचस्प घटना का उल्लेख किया गया है।
इसमें बताया गया है कि काब बिन अल अशरफ एक ऐसा व्यक्ति था जो पैगंबर मोहम्मद पर व्यंग्य करता था और पैगंबर और उनके अनुयायियों को आहत करता था। जब उसने नबी के अपमान को न करने की बात पर इनकार किया तो मोहम्मद ने उसकी हत्या का आदेश दिया।
व्यंग्यकार को मारने के लिए मुहम्मद बिन मसमल्लाह को भेजा गया। इस घटना के बाद से यहूदियों और बहुदेववादियों को डर लग गया और वह नबी से मिलने आए। फिर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए कि गैर मुस्लिम कभी भी पैगंबर का अपमान नहीं करेंगे।
इस्लामिक उलेमाओं काब बिन अल अशरफ को भी सीरियल ऑफेंडर के तौर में पेश करते हैं। वे इस कहानी को ऐसे समझाते हैं कि कैसे अल्लाह ने मुहम्मद के अपमान पर शुरू में उन्हें धैर्य रखने व क्षमा करने का आदेश दिया। लेकिन जब उस समय भी उसने इस बात को नहीं माना तो उन्होंने उसे मार दिया।अब बेंगलुरु पर डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट भी बिलकुल इसी तरह है।
21वीं सदी में आने के बाद भी पैगंबर के अपमान पर भयानक हिंसा की प्रथा आज भी चालू है। ऐसे में कोई मुख्यधारा मीडिया से उम्मीद की जा सकती है कि वह हिंसा की संस्कृति को खत्म करने की बात करें, जो एक समुदाय में बढ़ती ही जा रही है। लेकिन नहीं, वह तो अब भी उन लोगों की छवि निर्माण करते हैं जिन्होंनें हिंसा को जन्म दिया।
जब डेक्कन हेराल्ड ने नवीन को serial offender बताया तो यह सर्वविदित है कि आगे क्या परिणाम होंगे। कमलेश तिवारी के साथ जो हुआ इसके बाद कोई इनसे इनकार नहीं कर सकता। लेकिन तब भी ये ऐसा करने को आगे आए और ऐसा किया भी। जब बात आगे बढ़ जाएगी तो कोई भी मीडिया संस्थान के इन निष्कर्षों को दोष नहीं दे पाएगा कि ये लोग मानते थे कि पैगंबर पर बोलने के लिए नवीन को मौत की सजा हो।
एक ओर जहाँ इस पूरे मामले पर मेनस्ट्रीम मीडिया बोलने से बचती रही। वहीं डेक्कन हेराल्ड ने सभी सीमाओं को लांघ दिया है। उन्होंने नवीन को serial offender कहकर हिंसा को वाजिब ठहराया है। जिसके कारण आगे कई अनहोनी हो सकती हैं और तब मीडिया ऐसी घटनाओं पर पछतावा करने को आगे आएगा।