Thursday, November 21, 2024
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हिन्दुओं पर हमला किया इस्लामी भीड़ ने, दोष भारत को दे रहा जर्मन मीडिया DW: हिन्दू विरोधी हिंसा को फर्जी साबित करने में जुटा, कह रहा – ये राजनीतिक

हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को झुठलाने के लिए DW ने एक कथित विशेषज्ञ की राय भी ले ली। थॉमस कीन नाम के इस विशेषज्ञ ने दावा किया कि यह हमले धार्मिक आधार पर हुए, यह स्पष्ट नहीं है। कीन ने कहा कि यह हमले भारत में धार्मिक रूप से प्रेरित बताए गए हैं, लेकिन ऐसा साफ़ तौर पर है नहीं।

बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता तख्तापलट में छिनने के बाद से लगातार इस्लामी कट्टरपंथी हिन्दू समुदाय को निशाना बना रहे हैं। बड़ी संख्या में उनके घरों पर हमले किए गए हैं। उनके मंदिरों को नष्ट किया गया है और साथ ही कुछ के साथ बर्बरता भी हुई है। इन सब के बावजूद विदेशी वामपंथी मीडिया डायचे वेले (DW) इस्लामी कट्टरपंथियों के पापों को धुलने में लगा है। वह हिन्दुओं पर अत्याचारों के दावों को फर्जी साबित करने में जुट गया है। उसने भी बाकी विदेशी मीडिया संस्थाओं की राह पर चलते हुए इन हमलों को राजनीतिक बताने का प्रयास किया है।

सोमवार (19 अगस्त, 2024) को DW ने एक वीडियो प्रकाशित किया। वीडियो में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों को दबाने का प्रयास किया गया और भारतीय मीडिया पर फर्जी जानकारी फ़ैलाने का आरोप लगाया। यह वीडियो 2 मिनट 29 सेकंड का है।

DW ने अपनी रिपोर्ट में बांग्लादेश के जेशोर में हजरत गरीब शाह मजार शरीफ पर आगजनी के हमले का हवाला दिया, जिसे कथित तौर पर सोशल मीडिया पर एक हिंदू मंदिर पर हमले के रूप में साझा किया गया था। DW ने बताया, “इस वीडियो में, बांग्लादेश में एक हिंदू मंदिर कथित तौर पर जल रहा है। इस वीडियो को 280,000 से अधिक बार देखा जा चुका है, लेकिन यह फर्जी है। बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर जलाए गए हिंदू मंदिरों या घरों के वीडियो हजारों बार साझा किए गए और देखे गए। यहाँ ऐसे हमले हो रहे हैं, लेकिन सारे सच नहीं हैं।”

हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को आगे और झुठलाने के लिए DW ने एक कथित विशेषज्ञ की राय भी ले ली। थॉमस कीन नाम के इस विशेषज्ञ ने दावा किया कि यह हमले धार्मिक आधार पर हुए, यह स्पष्ट नहीं है। कीन ने कहा कि यह हमले भारत में धार्मिक रूप से प्रेरित बताए गए हैं, लेकिन ऐसा साफ़ तौर पर है नहीं।

DW ने इसके बाद हमलों पर लीपापोती को लेकर एक और लतीफा छोड़ा। DW ने भी अन्य विदेशी मीडिया संस्थानों की तरह हिन्दुओं पर हमले का कारण धार्मिक ना बता कर उन्हें राजनीति के कारण पीड़ित बताने का प्रयास किया है। DW का दावा है कि हिन्दू इसलिए बांग्लादेश में निशाने पर लिए जा रहे हैं क्योंकि शेख हसीना को हिन्दुओं के संरक्षक के तौर पर देखा जाता था।

DW ने लिखा, “विशेषज्ञों के अनुसार, कई घटनाएँ पहले सता में रही अवामी लीग के खिलाफ राजनीति से प्रेरित थीं इसके अलावा कानून व्यवस्था ना होने के कारण हमले हुए। वहीं दूसरी ओर, बांग्लादेश में लगभग 8% हिंदू हैं, जो मुस्लिम देश में अल्पसंख्यक हैं। पूर्व प्रधानमंत्री की अवामी लीग को हिंदुओं जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के मुख्य संरक्षक के रूप में देखा गया है।”

दिलचस्प बात यह है कि डीडब्ल्यू न्यूज़ ने इस तथ्य को नज़रअंदाज़ कर दिया कि बांग्लादेश की 91% आबादी मुसलमानों की है (जिनमें से ज़्यादातर सुन्नी हैं)। बांग्लादेश में इस्लामी मौलाना अक्सर मज़ारों पर आने वाले लोगों का मज़ाक उड़ाते हुए देखे जाते हैं, जो उन्हें ‘काफ़िर’ हिंदुओं के समान बताते हैं। ऐसे में यह कोई अजीब बात नहीं कि यहाँ इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने हज़रत गरीब शाह मज़ार शरीफ़ में आग लगा दी। कट्टरपंथी भारतीय उपमहाद्वीप में शिया, सूफ़ी, हज़ारा और अहमदिया से धार्मिक स्थलों पर हमला करने के लिए जाने जाते हैं।

हिन्दुओं पर हमलों पर पर्दा डालने के बाद DW भारत पर दोष मढ़ने लगता है। DW का दावा है कि भारत में बांग्लादेश के मुद्दे पर इसलिए ज्यादा बात हुई क्योंकि मोदी सरकार और शेख हसीना के रिश्ते अच्छे थे। DW ने कहा कि बांग्लादेश में सत्ता बदलने को भारत ने खतरे के तौर पर देखा इसलिए उसने इन खबरों को चलने दिया। DW पूरी रिपोर्ट में इस्लामी कट्टरपंथियों का नाम लेने में शर्माता रहा। हालाँकि, उसने हिन्दुओं और उनकी आवाज उठाने वालों को कठघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

पहले भी विदेशी मीडिया करता रहा है प्रपंच

DW हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को नकारने वाला कोई पहला विदेशी मीडिया संस्थान नहीं है। इससे पहले अल जजीरा, BBC, न्यूयॉर्क टाइम्स, द न्यूयॉर्कर और ABC भी ऐसे प्रयास कर चुके हैं। इन सभी की लाइन यही है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले राजनीतिक कारणों से हो रहे हैं और इन हमलों में बढ़ोतरी इसलिए हुई है क्योंकि भारत में हिन्दुओं की प्रताड़ना की खबरें दिखाई जा रही हैं। इससे पहले BBC, अल जजीरा, ABC यही दावा कर चुका है कि हिन्दू राजनीतिक कारण से निशाने पर हैं।

हाल ही में अमेरिकी पत्रिका द न्यूयॉर्कर ने अपनी हिन्दू घृणा का नया कीर्तिमान बनाते हुए एक और नया शिगूफा भी छोड़ा था। द न्यूयॉर्कर का दावा था कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले इसलिए हो रहे हैं क्योंकि भारत एक हिन्दू बहुल राष्ट्र है। इसके अलावा द न्यूयॉर्कर के लिए हमले की जिम्मेदार भारत में एक कथित हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार होना भी था। हालाँकि, इन सब के बीच हिन्दुओं पर हमले को मानते हुए द न्यूयॉर्कर ने यह मानने से इनकार कर दिया कि BNP और इस्लामी कट्टरपंथी हिन्दुओं पर हमले के लिए जिम्मेदार हैं।

द न्यूयॉर्कर मात्र यहीं नहीं रुका बल्कि उसने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हिंसा की खबरों को भाजपा भारत के भीतर हवा दे रही है। उसने इसके पीछे तर्क दिया कि भाजपा इसलिए यह कर रही हैं क्योंकि कथित तौर पर भारत में उसका समर्थन कम हो रहा है। न्यूयॉर्कर भारत, दक्षिणपंथ, भाजपा और भारतीय मीडिया सभी को इस हिंसा के पीछे दोषी बताता रहा लेकिन उसकी हिम्मत यह नहीं हुई कि वह इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा को उजागर करे।

यह विदेशी मीडिया ही कर सकता है कि भारत में किसी सड़क हादसे में मारे जाने वाले मुस्लिम की मौत को भी वह मुस्लिमों पर अत्याचार के रूप में पेश कर दे, लेकिन बांग्लादेश में हिन्दुओं का मारा जाना और उनके मंदिरों पर हमला होना उसे बड़ी बात नहीं लगता। इस पर वह लीपापोती करने का प्रयास करता है।

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अर्पित त्रिपाठी
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