प्रवर्तन निदेशायल (ED) द्वारा मंगलवार (फरवरी 9, 2021) को न्यूजक्लिक (Newsclick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ के घर छापेमारी किए जाने के बाद मीडिया गिरोह ने इस पर बवाल मचाना शुरू कर दिया है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस क्लब, सीपेजी एशिया ने इस छापेमारी की निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने तो इसे अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने वाला बताया है।
इस बीच ईडी के सूत्रों से पता चला है कि इस छापेमारी में उन्हें बेहद चौंकाने वाली जानकारी मिली। सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के बाद ईडी को पता चला कि न्यूजक्लिक को FDI से वो 10 करोड़ रुपए मिले, जिनके बारे में वेबसाइट के मालिक प्रबीर को मालूम तक नहीं है कि वो आखिर उन्हें क्यों दिए गए।
इसके अलावा एक दूसरी अमेरिकी कंपनी से न्यूजक्लिक को 20 करोड़ मिले हैं। कथिततौर पर यह रुपया Export Remittence के रूप में दिया गया। आगे, करीब 1.5 करोड़ रुपए मेंटेनेंस के नाम पर प्रबीर द्वारा लिया गया, जिसका काम एक इलेक्ट्रिशियन के हाथ में है और वह केवल 9वीं तक पढ़ा हुआ है।
सूत्र बताते हैं कि न्यूजक्लिक के मालिक के पास इन सब चीजों का कोई डॉक्यूमेंट तक नहीं हैं। इसलिए ईडी के पूछने पर भी वह कोई प्रमाण पेश नहीं कर पाए। लेकिन इस दौरान एक चीज और ईडी को पता चली कि कैसे इस कंपनी का संबंध एक राजनीतिक पार्टी से है।
दरअसल, न्यूजक्लिक में काम करने वाले एक शख्स को अमेरिकी कंपनी ने 52 लाख रुपए दिए थे, जिसका खुलासा भी ईडी के सामने हुआ। सूत्रों का कहना है कि ये व्यक्ति कम्युनिस्ट पार्टी से है। ये शख्स न केवल वामपंथी पार्टी का आईटी सेल सदस्य है बल्कि सीपीआई नेताओं के ट्विटर हैंडल भी संभालता है।
अब वामपंथी मीडिया गिरोह की तमाम निंदा के बावजूद इस छापेमारी से ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर पत्रकारिता के नाम पर किस तरह प्रोपगेंडे को हवा दी जा रही है। विदेशी फंडिग और सीपीआई एंगल से साफ पता चलता है कि इनका सरोकार जर्नलिज्म से नहीं है।
इस वेबसाइट को एक ही जगह रजिस्टर्ड अलग-अलग कंपनियों से बड़े पैमाने पर धन मिलने की बात भी ईडी के सामने आई है। इनमें एक डिफेंस सप्लॉयर कंपनी है, जिसने प्रबीर को भीमा कोरेगाँव दंगों के मुख्य आरोपित गौतम नवलखा के साथ मिल कर कंपनी खोलने के लिए 20 लाख रुपए दिए।
गौरतलब है कि इससे पहले प्रबीर की कंपनी पर 3 साल में 30 करोड़ रुपए से अधिक धन प्राप्त करने का आरोप लगा था। सूत्रों का कहना था कि अवैध तरीके से कमाई गई इस धनराशि का कंपनी की मुख्य व्यावसायिक गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है।
कहा गया था कि यह धन पत्रकारों या कार्यकर्ताओं को वेतन के नाम पर बाँटा गया । लाभार्थियों में तीस्ता सीतलवाड़ से जुड़े लोग भी शामिल हैं। अन्य लाभार्थियों में गौतम नवलखा, प्रंजॉय गुहा ठाकुरता आदि शामिल हैं।