हाल ही के कुछ वर्षों में ‘MEME संस्कृति’ ने इंटरनेट से लेकर लोगों के आम बोलचाल के तरीकों को बहुत हद तक प्रभावित किया है। व्यंग्य हो या फिर हंसी-मजाक के तौर पर अपनी बात रखनी हो, लोग MEME के माध्यम से राजनीति से लेकर सामाजिक गतिविधियों पर अपनी राय रखते नजर आते हैं।
इसी क्रम में भारतीय राजनीति में ये दौर तब शुरू हुआ जब उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सोशल मीडिया MEME वायरल होने शुरू हुए। इन MEME में योगी आदित्यनाथ को लोगों को फोन कॉल पर इलाहाबाद से प्रयागराज की तर्ज पर उनके नाम बदलते हुए दिखाया जाता है।
MEME ही जीवन जैसे ‘Fun Liners’ को टाइम्स ऑफ़ इंडिया (TOI) ग्रुप ने सत्य मान लिया और एक कदम आगे जाते हुए MEME का भी फैक्ट चेक कर उसकी पुष्टि कर डाली। इसी तरह से ‘दी लल्लनटॉप‘ नाम की एक वेबसाइट ने भी एक बार MEME बनाने वाले फेसबुक पेजों पर निबंध लिखकर ब्राह्मणवाद से लेकर पितृसत्ता तक को गाली देकर पत्रकारिता में नए कीर्तिमान स्थापित किए थे।
लेकिन TOI जैसे मुख्यधारा के समाचार चैनलों द्वारा इस तरह की पहले से ही भंडाफोड़ ख़बरों का भंडाफोड़ करना हास्यास्पद और निराशाजनक है। TOI ने वेस्टइंडीज के क्रिकेटर क्रिस गेल की एक तस्वीर को ये कहते हुए बताया है कि यह आदमी कृष्णा गोयल नहीं बल्कि क्रिस गेल है और इन्होने बीजेपी जॉइन नहीं की है, ना ही क्रिस गेल भाजपा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
Welcome Krishna Goyal urf (Chris Gayle) in BJP??__||@virendersehwag @henrygayle @SanjayS2022 @lionsdenkxip pic.twitter.com/wYKcgBVWAQ
— kunal parira (@parira_kunal) April 27, 2018
यह बात एक औसत IQ वाला प्रत्येक व्यक्ति जनता है कि कौन-सी चीज हास्य के लिए और कौन-सी चीज गंभीर तरीके से इस्तेमाल की जा सकती है। इसी तरह की एक बेवकूफाना हरकत कुछ दिन पहले कुछ मीडिया गिरोहों द्वारा भी की गई थी। यह प्रमाणित करता है कि जिन लोगों को ये मीडिया गिरोह फैक्ट चेक के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास करते हैं, उनका हास्य और जानकारी का स्तर फैक्ट चेकर्स से कहीं ज्यादा है।