पत्रकार विनोद कापड़ी ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि वो और उनकी पत्नी साक्षी जोशी कूड़ेदान में पड़ी मिली एक बच्ची को गोद लेंगे। लेकिन अब एक दूसरे पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने यह आरोप लगाया है कि यह महज़ साक्षी की नेटफ्लिक्स फिल्म ‘पीहू’ के प्रमोशन का स्टंट था। गौरतलब है कि ‘पीहू’ भी माँ द्वारा पैदा होते ही त्यागी गई एक बच्ची के जीवन पर आधारित है।
3-Vinod Kapri plants the fake rescue and adoption story of the newborn baby, found in a garbage dump in websites like CNN and Gulf News. He even shares them on his wall. Dainik Bhaskar reveals names of original savers, the ordinary villagers. Here screenshots. #Shameonhumanity pic.twitter.com/k4Or3hPyXZ
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 29, 2019
ट्विटर पर जड़े आरोप
अभिषेक ने ट्विटर पर ट्वीट-शृंखला में यह दावा किया कि न केवल कापड़ी का बच्ची को गोद ले चुके होने का दावा गलत था, बल्कि इसको लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जो ‘हाइप’ बना, वह भी कापड़ी द्वारा ही ‘प्लांटेड स्टोरीज़’ थीं। नागौर, जहाँ यह बच्ची मिली थी, के अधिकारियों ने यह साफ कर दिया कि औपचारिकताएँ अभी शुरू नहीं हुईं हैं, और एक समिति बनेगी, जो बच्ची को गोद लेने वाले माँ-बाप का निर्धारण करेगी।
1- Stunning reality of Vinod Kapri’s adoption ‘game’ comes out. Nagore collector Dinesh Yadav tells all. No adoption procedure even initiated till date While kapri fakes her rescue story, takes credit for adoption and disappeares quitely. Listen to collector. #shameonhumanity pic.twitter.com/HNYtCM60lH
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 29, 2019
कूड़े से बच्ची को ग्रामीणों ने बचाया, कापड़ी ने नाम रख दिया?
नागौर के निकट बरनेल गाँव में ग्रामीणों ने एक नवजात बच्ची को कूड़े में से निकाल कर नागौर, राजस्थान के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन कुछ मीडिया हाउसों ने यह खबर चला दी कि बच्ची को बचाने वाले ही कापड़ी दम्पति थे। जैसे ही बच्ची के मिलने की खबर मीडिया में फैली, विनोद कापड़ी ने ट्वीट कर दिया कि वे इस बच्ची को गोद लेना चाहते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया यूज़र्स से उन्हें मामले की विस्तारपूर्वक जानकारी देने की भी अपील की। जल्दी ही कापड़ी दम्पति ने नागौर के अस्पताल पहुँच बच्ची को भी देखा, और नागौर के जिलाधिकारी से मिल कर बच्ची के गोद लिए जाने के बाबत क़ानूनी प्रक्रिया की भी जानकारी ली।
कापड़ी की पत्नी साक्षी जोशी ने तो उस बच्ची को ‘हमारी बेटी’ सम्बोधित करते हुए ट्वीट भी करना शुरू कर दिया।
Our daughter is safe now. Thank u all for helping us find her. https://t.co/26wRCqPxvn
— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) June 14, 2019
विनोद कापड़ी ने और आगे जाकर लड़की का नाम भी रख दिया- ‘पीहू’। यही नाम कापड़ी की पत्नी साक्षी जोशी की कुछ दिन पहले नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म का भी था।
कल तक इस परी के नाम के आगे “ अज्ञात “ लिखा था। और आज इसके पास नाम है : “पीहू “. Till yesterday she was UNKNOWN in hospital records , but now she has a name : PIHU. #HappyFathersDay . @sakshijoshii pic.twitter.com/tZBx4gF682
— Vinod Kapri (@vinodkapri) June 16, 2019
लेकिन अभिषेक उपाध्याय के मुताबिक कापड़ी ने अभी तक कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है बच्ची को गोद लेने के लिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विनोद कापड़ी ने केवल बच्ची के साथ फोटो खिंचवाने आदि के बहाने ‘पीहू’ फिल्म के प्रचार के लिए अस्पताल का रुख किया था।
5- Vinod Kapri stoops one more low. He visits the baby in hospital, ties “Pihu” tag on her feet, gets himself photographed and shares on his twitter/facebook.After few days his film Pihu is released on Netflix.Kapri tries to trend it as “Pihu on Netflix.” Game!#Shameonhumanity
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 29, 2019
अभिषेक उपाध्याय ने यह भी जोड़ा कि बच्चे को गोद लेना एक शांत प्रक्रिया होती है, ताकि बड़े होकर बच्चे को अपने गोद लिए हुए होने को लेकर किसी असहज स्थिति का सामना न करना पड़े। अतः अगर कापड़ी दम्पति का सच में बच्ची को गोद लेने का इरादा होता, तो वे इतना शोर-शराबा न करते। वह तो बस वाहवाही लूटकर मौके से गायब हो गए।
Adoption is a silent process, those who are serious, goes for it silently so that the baby doesn’t bear any shame in future. They did nothing. Just faked the story of her rescue and adoption, took limelight and disappeared https://t.co/U59246GJDt
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 30, 2019
कापड़ी दावा, हमने प्रक्रिया शुरू कर दी है
वहीं पत्रकार शेफ़ाली वैद्य द्वारा इस मामले में आड़े हाथों लिए जाने के बाद विनोद कापड़ी ने दावा किया है कि उन्होंने बच्चे गोद लेने के इच्छुक दम्पति के तौर पर पंजीकरण 18 जून को करा लिया था। लेकिन यहाँ उनके सामने सवाल यह है कि जब उन्होंने 18 जून को प्रक्रिया प्रारम्भ मात्र की, तो 16 जून से ही वह किस आधार पर बच्ची को गोद ‘ले लेने’ का दम भर रहे थे?
प्रिय शेफाली,कभी तो जीवन में इंसान बनो।ये झूठ की ज़िंदगी जी कर,फैला कर आप सब सो कैसे पाते हैं?आप भी माँ,बहन,बेटी होंगी।मत कीजिए ये सब-निवेदन है।कब तक अपनी आत्मा को मारेंगी?बच्ची से मिलने के दूसरे दिन ही 18जून को हम CARA में रजिस्टर हो गए।मेल देख लीजिए।एहसास हो तो माफ़ी माँगिए। pic.twitter.com/qKkjL8KuUs
— Vinod Kapri (@vinodkapri) June 30, 2019