Friday, November 22, 2024
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EVM से भाजपा को अतिरिक्त वोट: मीडिया ने इस झूठ को फैलाया, प्रशांत भूषण ने SC में दोहराया, चुनाव आयोग ने नकारा… मशीन बनाने वाली कंपनी ने बताई असली वजह

इस बीच ईवीएम बनाने वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने कहा, "कासरगोड में चार वीवीपैट में जो अधूरे चुनाव चिन्हों की लोडिंग हुई थी, वह केबल के डिस्कनेक्ट होने या प्रिंट पूरा होने से पहले वीवीपैट को अगले चरण में जाने के कारण हो सकती है।"

लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) को बदनाम करने और मतदाताओं में शंका पैदा करने की कोशिश की जा रही है। ऐसा ही एक प्रयास केरल के कासरगोड शहर में किया गया था, जहाँ कॉन्ग्रेस और CPIM ने मॉक पोल के दौरान एक तकनीकी गड़बड़ी का फायदा उठाते हुए अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि किसी को भी वोट देने पर वोट भाजपा को जा रही है।

बुधवार (17 अप्रैल 2024) को ऑनमनोरमा ने एक विवादास्पद रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि केरल के कासरगोड शहर में एक मॉक पोल के दौरान चार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) ने भाजपा के पक्ष में वोट दर्ज किए। इसके बाद CPIM नेता एमवी बालाकृष्णन और कॉन्ग्रेस उम्मीदवार राजमोहन उन्नीथन उर्फ नासर चेरकलाम ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी।

ऑनमनोरमा की रिपोर्ट की स्क्रीनशॉट

ऑनमनोरमा की रिपोर्ट के अनुसार, “नासर चेरकलाम ने कहा कि कासरगोड विधानसभा क्षेत्र में मतदान केंद्रों के लिए मशीनों के चालू होने के दौरान भाजपा के कमल को अतिरिक्त वोट मिल रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि कॉन्ग्रेस का ‘हाथ’ चिन्ह वोटिंग मशीनों पर मौजूद अन्य चिन्हों से छोटा है और उन्होंने अधिकारियों से इसे बदलने के लिए कहा।”

नासर चेरकलाम ने वोटिंग मशीनों की अखंडता पर संदेह जताया और पूछताछ की कि मॉक ट्रायल के दौरान ईवीएम ने गलती से सीपीआईएम या कॉन्ग्रेस पार्टी का पक्ष क्यों नहीं लिया। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कैसे 228 में से 6 मशीनों में तकनीकी खराबी थी। आयोग से मशीनों को बदलने की भी माँग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को निर्देश

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने गुरुवार (18 अप्रैल 2024) को सुप्रीम कोर्ट में चल रही ईवीएम-वीवीपीएटी मामले की सुनवाई के दौरान मनोरमा की रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से वीवीपैट पर्चियों के 100% सत्यापन की माँग की। उन्होेंने कोर्ट में कहा, “केरल के कासरगोड में एक मॉक पोल हुआ था, जिसमें 4 ईवीएम और वीवीपैट में बीजेपी के लिए एक अतिरिक्त वोट रिकॉर्ड हो रहा था।”

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) को इस मामले की जाँच करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, ”श्रीमान मनिंदर सिंह (ECI के वकील), कृपया इसे क्रॉसचेक करें।”

इस षडयंत्र में द न्यूज मिनट भी शामिल

इस बीच वामपंथी प्रोपेगेंडा आउटलेट द न्यूज मिनट ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें ईवीएम के गलत तरीके से भाजपा को वोट देने के बारे में ऑनमनोरामा की रिपोर्ट में किए गए दावों को दोहराया गया था।रिपोर्ट में आरोप लगाया गया, “बुधवार, 17 अप्रैल को केरल के कासरगोड में एक मॉक पोल के दौरान तीन वीवीपीएटी मशीनों ने भाजपा के कमल के चिन्ह के साथ एक अतिरिक्त पर्ची छापी।”

रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है, “मशीनों पर सबसे ऊपर विकल्प के रूप में बीजेपी का चिन्ह था। मॉक पोल के दूसरे दौर के दौरान भी उन्हीं तीन खराब वीवीपैट मशीनों ने एक बार फिर कमल के निशान वाली एक अतिरिक्त पर्ची छाप दी। समस्या को केवल तीसरे दौर के दौरान ठीक किया गया था।”

न्यूज मिनट में कॉन्ग्रेस और CPIM नेता का हवाला देते हुए कहा गया कि ईवीएम फुलप्रूफ नहीं है और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार द्वारा इसमें किसी तरह से छेड़छाड़ की गई है। वामपंथी प्रोपगेंडा आउटलेट की प्रधान संपादक धान्या राजेंद्रन ने भी अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से इसे पोस्ट किया है।

चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने गुरुवार (18 अप्रैल 2024) को ईवीएम द्वारा एक राजनीतिक दल को फायदा पहुँचाने को लेकर ऑनमनोरमा न्यूज और द न्यूज मिनट के दावों को खारिज कर दिया। वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त नितेश कुमार व्यास ने कहा, “ये खबरें झूठी हैं। हमने जिला कलेक्टर से आरोपों की पुष्टि की है और ऐसा प्रतीत होता है कि वे झूठे हैं। हम अदालत को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे।”

चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत में वीवीपैट की शुरुआत के बाद से 118 करोड़ से अधिक लोगों ने वोट डाला है। इस दौरान 4 करोड़ वीवीपैट पर्चियों की गिनती की गई और आयोग को केवल 25 शिकायतें मिलीं, जो झूठी निकलीं। इसको लेकर केरल में मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय कौल ने X पर एक पोस्ट किया।

उन्होंने कहा, “भ्रम तब पैदा हुआ जब आरोप लगाया गया कि कासरगोड निर्वाचन क्षेत्र में कमीशनिंग के हिस्से के रूप में किए गए मॉक पोल के दौरान अतिरिक्त वीवीपीएटी पर्चियाँ निकलीं। दरअसल चुनाव चिन्ह लोड करने के बाद परीक्षण मतपत्र पर्चियों की छपाई के समय, कुछ मशीनों को वीवीपैट परीक्षण पर्चियों का पूरा प्रिंट लिए बिना ही कमीशनिंग टेबल पर ले जाया गया था।”

इस बीच ईवीएम बनाने वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने कहा, “कासरगोड में चार वीवीपैट में जो अधूरे चुनाव चिन्हों की लोडिंग हुई थी, वह केबल के डिस्कनेक्ट होने या प्रिंट पूरा होने से पहले वीवीपैट को अगले चरण में जाने के कारण हो सकती है।”

(यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में लिखा गया है। इसे आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।)

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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