Wednesday, November 20, 2024
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‘कॉन्ग्रेस’ नाम आते ही NDTV ने बीप की Video: लखीमपुर खीरी हिंसा पर दर्शकों को चालाकी से बरगलाया

हर मीडिया संस्थान के पास अपनी संपादकीय स्वतंत्रता होती है। वो ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि कौन सी खबर किस एंगल से चलेगी या नहीं चलेगी। लेकिन इस तरह वीडियो से छेड़छाड़ कर दर्शकों को बरगलाना संपादकीय स्वतंत्रता के तहत नहीं आता।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में चल रही जाँच में एक पूर्व कॉन्ग्रेस सांसद के भतीजे के साथी से भी पूछताछ हुई। इसकी वीडियो सोशल मीडिया पर है। वायरल वीडियो में पुलिस एक घायल व्यक्ति से उसका नाम, पता और अन्य जानकारी ले रही है। जहाँ वह अपना नाम बताते हुए कह रहा है कि वो कॉन्ग्रेस नेता व पूर्व सांसद अखिलेश दास के भतीजे के साथ काम करता है और लखनऊ के चारबाग का निवासी है।

पूरी हिंसा मामले में जिस समय प्रोपगेंडा फैलाने का काम अपने चरम पर था तब कॉन्ग्रेसी पत्रकारों ने एक क्रॉप वीडियो शेयर की थी, ताकि वह अपना एजेंडा चला सकें। रोहिणी सिंह समेत तमाम पत्रकारों द्वारा शेयर की गई वीडियो में व्यक्ति सिर्फ ये बताता सुनाई पड़ रहा था कि थार को तेजी में लाया गया और उससे लोग कुचले गए। लेकिन जहाँ उसने ये बताया था कि वो कॉन्ग्रेस नेता के भतीजे का साथी है, उस भाग को पूरा काट दिया गया।

एनडीटीवी ने तो इस वीडियो को लेकर अपना प्रोपगेंडा एक अलग स्तर पर पहुँचा दिया। एनडीटीवी ने वायरल वीडियो से संबंधित एक रिपोर्ट पोस्ट की और अपने शीर्षक में कहा कि व्यक्ति ने हिंसा प्रभावित क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री के बेटे की उपस्थिति के बारे में बताया जबकि वह कॉन्ग्रेस नेता के भतीजे का नाम ले रहा था।

एनडीटीवी ने अपने आप ही मान लिया कि व्यक्ति यूपी के मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को ‘भैया’ कह रहा था जबकि सच यह है कि युवक अपनी वीडियो में अंकित दास को भैया कहकर संबोधित कर रहा था।

एनडीटीवी की भ्रांमक हेडलाइन

दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट ट्विटर पर 6 अक्टूबर को सुबह 11:28 पर शेयर हुई थी। उससे थोड़ी पूर्व एनडीटीवी ने वीडियो डाली थी जहाँ एंकर वायरल वीडियो के बारे में बात कर रही थीं और उस वीडियो को भी दिखाया जा रहा था। हालाँकि इसमें एनडीटीवी ने बड़ी बेशर्मी से कॉन्ग्रेस नेता का नाम छिपाने के लिए वहाँ ऑडियो डिस्टर्ब कर दिया।

वीडियो के 00:46 सेकेंड पर, जब वीडियो में दिख रहा व्यक्ति कहता है कि एक कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व सांसद का भतीजा फॉर्च्यूनर कार चला रहा था, NDTV ने ऑडियो में डिस्टर्बेंस जोड़ा ताकि नाम सुनाई न दे। वीडियो में उस जगह बीप को जोड़ा जाता है जहाँ वह अंकित दास का नाम लेता है। बस टिकर में लिखा होता है कि आदमी का दावा है कि फॉर्च्यूनर पूर्व कॉन्ग्रेस सांसद के भतीजे से संबंधित है।

मालूम हो कि ये वही वीडियो है जिसे रोहिणी सिंह समेत तमाम पत्रकारों ने शेयर किया था। हो सकता है कि इन कॉन्ग्रेसी पत्रकारों ने ऐसा इसलिए भी किया हो कि जब कोई व्यक्ति ऑडियो सुन या देख रहा होता है तो वो तेज-तेज स्क्रीन से हटने वाले टिकर पर ध्यान नहीं देता।

अब एक बात यहाँ स्पष्ट हो कि हर मीडिया संस्थान के पास अपनी संपादकीय स्वतंत्रता होती है। मीडिया संस्थान ये फैसला कर सकता है कि उन्हें कौन सी खबर कौन से एंगल से कवर करनी है और कौन सी नहीं। लेकिन मीडिया को मैनिपुलेट करना किसी भी कीमत पर संपादकीय स्वतंत्रता का हिस्सा नहीं माना जाता।

वीडियो में एनडीटीवी ने जानबूझकर एक नाम छिपाने के लिए आवाज में बीप की ध्वनि को जोड़ा। अब इसके पीछे यही मंशा हो सकती है कि वो चुनावों से पहले कॉन्ग्रेस नेता के भतीजे का नाम छिपाकर भाजपा नेता के बेटे का नाम दर्शकों तक पहुँचाना चाहते हों। एनडीटीवी ने जिस तरह से वीडियो को लेकर मैनिपुलेट किया है वो मीडिया के नाम पर किया गया अनैतिक काम है।

बता दें कि अंकित दास को पूर्व कॉन्ग्रेस सांसद अखिलेश दास का भतीजा बताया जाता है जो मनमोहन सिंह सरकार में जनवरी 2006 से मई 2008 तक इस्पात मंत्री थे। वह मई 1993 से नवंबर 1996 तक लखनऊ के मेयर भी रहे।

आशीष मिश्रा की तलाश में यूपी पुलिस

इस पूरे मामले में जब से अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष का नाम उछला है तभी से वह नजर नहीं आए हैं। यूपी पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के घर के बाहर नोटिस लगाया है। उनका नाम लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दर्ज एफआईआर में है। उन्हें आज 10 बजे क्राइम ब्रांच के सामने पेश होने को कहा गया था। उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 147, 148, 149,279, 338, 304ए, 302, 120बी के तहत केस दर्ज हुआ है।

लखीमपुर खीरी हिंसा और कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम

3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में भाजपा कार्यकर्ताओं की गाड़ी पर ‘किसानों’ ने पथराव किया था। जिसके बाद गाड़ी के शीशे टूटे और ड्राइवर से गाड़ी का कंट्रोल छूट गया। नतीजन गाड़ी भीड़ पर चढ़ गई और प्रदर्शनकारी मारे गए। घटना में कुल 8 लोगों के मरने की खबर है। इस घटना के बाद से कॉन्ग्रेसी समर्थक लगातार सारी हिंसा का ठीकरा भाजपा कार्यकर्ताओं पर फोड़ रहे हैं और उन कार्यकर्ताओं की बात तक नहीं हो रही जिनकी बुरी तरह लिंचिंग की गई और बाद में वीडियो वायरल आई।

घटना के बाद जहाँ यूपी प्रशासन हिंसा को कंट्रोल करने के लिए प्रयासरत था, वहीं मामले का राजनीतिकरण करने के लिए राकेश टिकैत ने ये तक कह दिया था कि जो कार्यकर्ता मारे गए उन्हें मुआवजा नहीं मिलना चाहिए क्योंकि वह बर्बर थे। हालाँकि, जब कॉन्ग्रेस नेता के नाम वाली वीडियो प्रकाश में आई तो पूरे इकोसिस्टम ने कोशिश की कि किसी तरह इस ऐसे फैलाया जाए कि सारा इल्जाम भाजपा पर लगे और कॉन्ग्रेस पर सवाल न उठें।

तथ्य यह है कि लखीमपुर खीरी में पहले प्रदर्शनकारियों ने काफिले पर हमला किया, इसके बाद गाड़ी अनियंत्रित हुई और 4 प्रदर्शनकारियों की जान गई। इसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं को मारा गया। स्पष्ट है कि कॉन्ग्रेसी तंत्र इस बात को पता लगाने में दिलचस्पी नहीं रखता कि हिंसा को किसने भड़काया या लिंचिंग में शामिल कौन था। उन्हें बस अजय मिश्रा और आशीष मिश्रा को फँसाना है क्योंकि इससे उन्हें यूपी चुनाव में मदद होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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