मध्य प्रदेश के डीजीपी वीके सिंह ने मध्य प्रदेश में बढ़ती अपहरण की घटनाओं पर कहा, “एक नया ट्रेंड आईपीसी 363 के रूप में दिखा है। लड़कियाँ स्वतंत्र ज़्यादा हो रहीं हैं, आज के समय में लड़कियों की बढ़ती स्वतंत्रता एक तथ्य है। ऐसे केसेज़ में इंक्रीज (इजाफ़ा) हुआ है जिसमें वो घर से चली जाती हैं और रिपोर्ट होती है किडनैपिंग की।”
#WATCH MP DGP,VK Singh,”Ek naya trend IPC 363 ke roop mein dikha hai. Ladkiyaan swatantra zada ho rahi hain,aaj ke samaj mein ladkiyon ki badhti swatantrata ek tathya hai.Aise cases mein increase hua hai jismein wo ghar se chali jati hain aur report hoti hai kidnapping ki” (4Jul) pic.twitter.com/M42uCRquM1
— ANI (@ANI) July 7, 2019
बात पर ज़बान पकड़ने की ज़िद के बजाय अगर मर्म समझने का प्रयास करें तो यह साफ़ है कि उनके कहने का तात्पर्य था कि लड़कियों को आजकल शिक्षा और एक्सपोज़र की उच्चतम गुणवत्ता मुहैया है। उन्हें परिवारों से आज़ादी मिल रही है, जिससे उन्हें लड़कों से ज़्यादा घुलने-मिलने की आज़ादी मिल रही है। उनका इशारा उन कुछ चुनिंदा मामलों की ओर है, जिनमें वह माँ-बाप की इच्छा के खिलाफ शादी करने के लिए चली जातीं हैं, और उनके परिवार वाले लड़कों से बदला लेने के लिए नकली अपहरण का केस कर देते हैं।
यह बात पूरी तरह गलत भी नहीं है। कई मामलों में ऐसा हुआ है कि लड़कियों के भाग जाने के बाद उनका परिवार अपनी शान के खातिर लड़के के खिलाफ झूठा केस कर देते हैं। अक्सर ऐसा सामाजिक या आर्थिक रूप से विषम रिश्तों में, इंटर-कास्ट या विभिन्न मज़हबों वाली शादी में होता है।
और उनके इसी बात को तोड़-मरोड़कर टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे ने पेश किया कि डीजीपी अपहरण के लिए लड़कियों के लड़कों से घुलने-मिलने को ही दोषी मान रहे हैं।
जबकि कोई अगर उनके वक्तव्य के बारे में एक मिनट भी सोचे तो यह साफ़ हो जाएगा कि वह असली नहीं, नकली, फर्जी या झूठे निकलने वाले किडनैपिंग के मामलों की बात कर रहे थे।