‘दलित कार्यकर्ता’ मीना कंडासामी पिछले कुछ दिनों तक एक प्रकरण को लेकर चर्चा में रही हैं। यह पूरा प्रकरण उसके ट्वीट को लेकर उछला था, जिसमें उसने ‘ब्राह्मण d*cks’ आदि अपशब्द कहते हुए डींगें हाँकी थी। मीना के इस घृणित कमेंट का बचाव करने के लिए उसके कई कॉमरेड साथी इस मामले में कूद पड़े थे।
उसकी घृणित टिप्पणी के बाद काफी अधिक आक्रोश देखा गया। इसी दौरान उसके पति द्वारा दिया गया बयान भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। स्वतंत्र पत्रकार दीपिका भारद्वाज द्वारा शेयर किए गए पत्र के अनुसार मीना कंडासामी के पूर्व पति गुनशेखरन धर्मराज ने कहा कि मीना कंडासामी ने उनके खिलाफ फर्जी उत्पीड़न का केस दर्ज किया था, वो भी इसलिए क्योंकि उन्होंने उसके पिता के खिलाफ हमले का केस दर्ज कराया था। धर्मराज ने कहा कि उनके पास उसके द्वारा लिखे गए ईमेल और प्रूफ हैं जो उनके अलग होने के वास्तविक कारण का खुलासा करते हैं।
डॉ. धर्मराज ने यह भी दावा किया कि मीना कंडासामी की ‘दलित’ पहचान भी फर्जी है। उन्होंने कहा कि आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार कंडासामी की माँ फॉरवर्ड कम्युनिटी से थीं, जबकि उसके पिता ओबीसी थे। इस खुलासे के बाद लोगों ने उसे आड़े हाथों ले लिया। इस सबके बीच एक ऐसे मीडिया संगठन- Network of Women in Media (NWM) ने मीना के समर्थन में आवाज उठाई, जिसका नाम किसी ने शायद ही सुना हो। हाालँकि, वह फर्जी खबरों को फैलाने में काफी आगे रहा है।
This statement by NWMI about @meenakandasamy is an important one. The nuanced points it makes. https://t.co/WyoS7dwnrn
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) January 1, 2021
NWM द्वारा दिए गए बयान में कहा गया, “उसने अपने गृह राज्य तमिलनाडु और अन्य जगहों पर फासीवादी ताकतों, धार्मिक असहिष्णुता और जातिगत हिंसा के खिलाफ लगातार आवाज उठाई है।” वहीं मीना कंडासामी ने अपने आलोचकों को ‘संघी फासीवादी’ कहा। उसने उसके ब्राह्मण-विरोधी कमेंट की आलोचना करने वाले लोगों को भी ‘संघी फासीवादी’ करार दिया।
एनडब्ल्यूएम ने इस तथ्य को आसानी से नजरअंदाज कर दिया कि कंडासामी पर सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा उनकी दलित पहचान को धूमिल करने का आरोप लगाया गया। आरोप उनके पूर्व पति ने लगाए थे। उसके पूर्व पति द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर ‘ट्रोल’ करने के साथ ही उसे राजनीति से भी जोड़ा गया।
बयान में आगे कहा गया, “पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं ने उन पर अपने पूर्व पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दायर करने का आरोप लगाया। उन्होंने मीना पर मामले में 6 साल की देरी का भी आरोप लगाया है। 2014 से वर्तमान स्थिति के बारे में पता चलता है कि मामले का विवरण बदल गया है। इस तरह के आरोप और चरित्र हनन, ये ऐसी पुरानी चालें हैं जिसका इस्तेमाल महिलाओं की आवाज को शांत करने के लिए किया जाता है।”
यह आरोप पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं ने नहीं लगाए हैं। बल्कि यह आरोप उसके पूर्व पति ने लगाए हैं। आश्चर्य की बात ये है कि NWM उसके पूर्व पति द्वारा सोशल मीडिया पर उस पर लगाए गए आरोपों के लिए दूसरों को क्यों जिम्मेदार ठहरा रही है। यह उसके गलत इरादे को उजागर करती है।
NWM ने दावा किया, “मीना के खिलाफ सबसे अधिक दोषपूर्ण आरोप यह है कि एक फेमिनिस्ट के रूप में वह इस तरह के अपमानजनक शादी में नहीं रह सकती और यदि वह ऐसी शादी में थी, तो वह एक फेमिनिस्ट नहीं हो सकती।” यह मामले को जानबूझकर अलग ट्विस्ट देने का प्रयास था। दरअसल, उसके पूर्व पति ने दावा किया था कि मीना कंडासामी ने अपनी शादी के लिए दहेज दिया था। इसलिए, वह एक फेमिनिस्ट होने का दावा नहीं कर सकती।
डॉ. धर्मराज ने कहा, “मैं जनता के सामने यह भी घोषणा करता हूँ कि मैं न तो दहेज की माँग करता हूँ और न ही समर्थन करता हूँ। एफआईआर में जो तुमने दहेज के संबंध में दावे किए हैं, वो झूठे हैं। इसलिए दहेज दिए जाने का दावा करके या तो तुम नारीवादी आदर्शों के खिलाफ हो, जिनके लिए आप खड़े होने का दावा करते हो या फिर तुम पुलिस और अदालत को गलत जानकारी देकर उन्हें बरगला रही हो।”
इस सबसे ऐसा लग रहा है कि एनडब्ल्यूएम, कंडासामी के पति द्वारा लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी कर रहा है, लेकिन उसे उसी तरह दिखाने के बजाय, वे उसे ट्रोल करने की कोशिश कर रहा है। जो कि काफी घृणित काम है। एनडब्ल्यूएम के बयान से पता चलता है कि वामपंथी नारीवादी महिलाएँ किसी भी परिस्थिति में गलत नहीं कर सकती हैं। कंडासामी के हर आलोचक को एक ‘ट्रोल’ करार दिया गया। यह विचित्र और अटपटा है कि कंडासामी के ‘ब्राह्मण d*cks’ के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर लीपापोती करके उसे व्हाइटवॉश कर दिया गया।