रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ अपनी मुंबई पुलिस ने अब एक और एफआईआर (FIR) दर्ज किया है। नई FIR 14 अप्रैल को बांद्रा में प्रवासी श्रमिकों के विरोध प्रदर्शन पर की गई उनकी टिप्पणी पर दर्ज की गई है। इस कारण से यह एफआईआर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के दायरे में नहीं आता, जिसमें कहा गया था कि पालघर की घटना को लेकर सोनिया गाँधी पर की गई टिप्पणी के आधार पर अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कोई नई FIR दर्ज नहीं की जाएगी।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रज़ा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के सचिव इरफ़ान अबुबकर शेख और दक्षिण मुंबई के नल बाज़ार के निवासी की शिकायत पर नई एफआईआर रविवार को पाइधोनी पुलिस स्टेशन (Pydhonie police station) में दर्ज की गई। शिकायत में कहा गया कि अर्नब गोस्वामी ने विरोध प्रदर्शन स्थल के पास की एक मस्जिद के साथ बांद्रा के विरोध को जोड़कर दूसरे समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा करने की कोशिश की थी, जबकि इसका आपस में कोई लिंक नहीं था।
शेख ने कहा कि अप्रैल में रिपब्लिक भारत के एक शो में एंकर अर्नब गोस्वामी द्वारा बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास प्रवासियों के विरोध का फुटेज इस्तेमाल किया गया था। आगे शिकायत में कहा कि प्रदर्शनकारी केवल मस्जिद के पास एक खुले स्थान पर एकत्र हुए थे। लेकिन मस्जिद और विरोध प्रदर्शनों के बीच कोई संबंध नहीं था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया, “अर्नब ने शहर में सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए मस्जिद को जानबूझकर उजागर किया।” इसके अलावा अर्नब ने कई बार अपने डिबेट्स में मजहब विशेष को टारगेट किया और यहाँ तक कि उनके द्वारा कोरोना वायरस फैलाने की बात भी कही।
अर्नब गोस्वामी के खिलाफ पाइधोनी पुलिस ने IPC की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पाइधोनी पुलिस ने मीडिया को बताया, “हमने अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के मालिक के खिलाफ नफरत के लिए मामला दर्ज किया है। और आगे की जाँच चल रही है। बयान लेने के बाद सबूत के तौर पर हमने एक पेन ड्राइव में क्लिप के साथ शो के फुटेज एकत्र किए हैं।”
आपको बता दें कि 27 अप्रैल को देश के विभिन्न राज्यों में कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा उनके खिलाफ 150 से अधिक एफआईआर दर्ज किए थे। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी एफआईआर को मिलाकर मुंबई स्थानांतरित कर दिया था। जिसके बाद अर्नब गोस्वामी से मुंबई पुलिस ने एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। उसी मामले में रिपब्लिक नेटवर्क के सीएफओ से भी कई घंटों तक पूछताछ की गई थी। इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने रिपब्लिक टीवी एडिटर को तीन सप्ताह की अंतरिम सुरक्षा भी दी थी।
अर्नब ने पालघर में दो हिंदू संतों और उनके ड्राइवर की बेरहमी से की गई हत्या पर सोनिया गाँधी की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े किए थे। साथ ही उनके जन्म के नाम का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद कॉन्ग्रेस पार्टी ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ युद्ध का मोर्चा खोल दिया। सोनिया गाँधी के खिलाफ इस हमले की शुरुआत करते हुए, अर्नब गोस्वामी ने सवाल किया था कि अगर पालघर में हुए भयावह लिंचिंग की घटना में हिंदू साधुओं की जगह ईसाई पादरियों को मार दिया जाता तो क्या वह मौन बनाए रखतीं। टिप्पणियों पर आपत्ति जताते हुए कॉन्ग्रेस पार्टी ने उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में पुलिस से शिकायतें दर्ज की थीं। इनमें से ज्यादातर कॉन्ग्रेस शासित राज्य थे।
इसके बाद अर्नब गोस्वामी पर कॉन्ग्रेस के दो गुंडों ने 22 से 23 अप्रैल के बीच की रात के बीच में हमला किया था। हालाँकि उन्होंने अर्नब गोस्वामी के सुरक्षा अधिकारी तथा पुलिस के सामने कॉन्ग्रेस के सदस्य होने की बात कबूल की थी। लेकिन मुंबई पुलिस ने इस बात का उल्लेख करने से इनकार कर दिया। दर्ज की गई एफआईआर में गोस्वामी ने आरोप भी लगाया कि पुलिस द्वारा हमले को नजरअंदाज किया जा रहा है।