विवादित न्यूज एंकर श्रीनिवासन जैन ने एनडीटीवी (NDTV) से इस्तीफा दे दिया है। श्रीनिवासन लगभग 30 सालों से कथित पत्रकारिता संस्थान एनडीटीवी के लिए सेवाएँ दे रहे थे। फिलहाल वह एनडीटीवी 24×7 चैनल में ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
श्रीनिवासन जैन ने एक ट्वीट के जरिए अपने फैसले का ऐलान किया। उन्होंने लिखा, “एनडीटीवी पर लगभग तीन दशक से चला आ रहा सिलसिला आज समाप्त हो गया। इस्तीफा देने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन… जो है यही है। बाकी बातें बाद में।”
Hi all. An amazing, nearly three-decade long run at NDTV comes to an end today. The decision to resign wasn’t easy, but .. it is what it is. More later.
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) January 28, 2023
वर्ष 1995 से NDTV के साथ काम कर रहे श्रीनिवासन जैन अपने करियर के दौरान लगातार विवादों में घिरे रहे। जुलाई 2022 में उन्होंने तथाकथित फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर को अपना मित्र बताते हुए उसके जमानत के लिए ₹50,000 का मुचलका भरा था।
कोरोना काल के दौरान अगस्त 2021 में जब देश ने अपना कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) विकसित किया, उस वक्त श्रीनिवासन ने इस वैक्सीन को लेकर झूठ फैलाया। उन्होंने दावा किया था कि नेशनल वैक्सीन एडवाइजरी ग्रुप के चेयरपर्सन ने कहा है कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन के शुरुआती बैच अच्छी क्वालिटी के नहीं थे। हालाँकि बाद में उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।
दिलचस्प बात यह है कि श्रीनिवासन जैन को उनके कार्यक्रमों में शामिल होने वाले मेहमानों ने कई मौकों पर आईना दिखाया है। एक बार एक कार्यक्रम के दौरान कारोबारी राकेश झुनझुनवाला ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा था, “मुझे लगता है कि आप और एनडीटीवी सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। प्रेस कोई राजनीतिक इकाई नहीं है। प्रेस को पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं बल्कि निष्पक्ष होना चाहिए।”
उन्होंने एक बार एचडीएफसी के अध्यक्ष दीपक पारेख से मोदी सरकार के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी करवाने का भी प्रयास किया था। उनकी इच्छा के विपरीत दीपक ने जवाब दिया था कि असंतोष और असहिष्णुता को लेकर चर्चा अतिशयोक्तिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार सुनने को तैयार नहीं है। सरकार इन मामलों पर चर्चा करने को भी तैयार है।
इन सब के अतिरिक्त श्रीनिवासन जैन के पूरे करियर का मुख्य आकर्षण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश करने वाली लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी इशरत जहाँ के जुर्म को कमतर बतलाना था। उन्होंने दावा किया था कि इशरत जहाँ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को मारने नहीं आई थी बल्कि छोटा-मोटा बम धमाका करने आई थी।
बता दें गुजरात पुलिस ने इशरत जहाँ को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था। इशरत जहाँ एनकाउंटर मामले की सीबीआई जाँच की जानकारी देने की आड़ में एनडीटीवी के कथित पत्रकार ने अपने दर्शकों को तर्क दिया था कि चूँकि इशरत जहाँ किसी छोटे-मोटे आतंकी वारदात को अंजाम देने आई थी, इसलिए गुजरात पुलिस को उसके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए था।
NDTV की होल्डिंग कंपनी पर अडानी समूह के नियंत्रण के बाद से ही वामपंथी एजेंडावादी पत्रकारों का इस्तीफा जारी है। इसके पहले रवीश कुमार ने चैनल से इस्तीफा दिया था। रवीश कुमार NDTV के हिंदी चैनल के माध्यम से लगातार मोदी विरोधी प्रोपेगंडा फैलाने में व्यस्त थे। उनका इस्तीफा तुरंत प्रभाव से लागू हो गया था। उन्हें चैनल में ‘सीनियर एग्जीक्यूटिव’ का पद दिया गया था। उन्होंने ‘हम लोग’, ‘रवीश की रिपोर्ट’, ‘देस की बात’ और ‘प्राइम टाइम’ समेत कई कार्यक्रमों में NDTV के लिए एंकरिंग की थी।