Sunday, November 17, 2024
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तब अलर्ट हो जाती निधि राजदान तो आज हार्वर्ड पर नहीं पड़ता रोना

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी मामले के सामने आने के बाद निधि का 2018 का ये पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है। लोग इस पर काफी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर मान भी लिया जाए कि यह सही बोल रही हैं तो ये किस तरह की पत्रकार हैं, जो असली हार्वर्ड और नकली हार्वर्ड के मेल को नहीं पहचान सकी।

आज खुद को ‘फिशिंग अटैक’ की पीड़ित बता रहीं निधि राजदान का पत्रकारिता का पूरा करियर प्रोपेगेंडा के इर्द-गिर्द रचा रहा है। वे उस लिबरल गैंग की प्रमुख सदस्य हैं, जो खुद के विचार से इत्तेफाक नहीं रखने वालों को ‘उपदेश’ देने का कोई मौका नहीं छोड़ते। 2014 के बाद हर मौके पर वह सरकार को कोसती नजर आईं हैं। एनडीटीवी में रहीं निधि कश्मीर पर पाकिस्तानी सुर अलापने के लिए भी विख्यात रही हैं।

यही कारण है कि शुक्रवार (जनवरी 15, 2021) को जब उन्होंने ट्वीट कर अपने साथ हुए गंभीर ऑनलाइन फर्जीवाड़े का खुलासा किया तो सोशल मीडिया में कई लोगों ने उनकी मंशा पर शक जाहिर किया। इस ट्वीट में उन्होंने बताया था कि हार्वर्ड से मिला ऑफर फेक था।

राजदान के अनुसार उन्हें हाल ही में पता चला कि उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पढ़ाने का जो ऑफर दिया गया था, वह फर्जी है। उन्होंने पिछले साल NDTV में अपने 21 साल के करियर को अलविदा कह दिया था, ताकि वे हार्वर्ड (Harvard University)में जाकर अध्यापन कार्य कर सकें।

निधि ने फरवरी 2018 में भी ऑनलाइन फर्जीवाड़े को लेकर एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने बताया कि उनका इनकम टैक्स डिटेल हैक कर लिया गया और उनके सारे डिटेल्स को भारत सरकार के पोर्टल पर बदल दिया गया। उनका कहना था कि उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भी इसका कोई अलर्ट का मैसेज नहीं आया। उस समय उन्होंने सरकार से सवाल किया था, “हमें कैसे विश्वास करना चाहिए कि हमारा डेटा सुरक्षित है?”

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी मामले के सामने आने के बाद निधि का 2018 का ये पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है। लोग इस पर काफी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर मान भी लिया जाए कि यह सही बोल रही हैं तो ये किस तरह की पत्रकार हैं, जो असली हार्वर्ड और नकली हार्वर्ड के मेल को नहीं पहचान सकी। ऐसे में उनकी पत्रकारिता की क्या विश्वसनीयता है। वो फेक सोर्स पर भी विश्वास कर सकती हैं, जो कि पहले भी दिख चुका है।

एक यूजर ने लिखा कि सामान्य नागरिक ऐसी परिस्थिति में एफआईआर दर्ज करवाते हैं, आईटी विभाग के पास शिकायत दर्ज करवाते हैं लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सिर्फ ट्वीट करते हैं और गरीबों को अपना सारा काम बंद करके मैडम के पास जाना पड़ता है।

बता दें कि निधि द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई थी, हार्वर्ड ने बताया है कि उसके कैम्पस में न तो पत्रकारिता का कोई विभाग और न ही कोई कॉलेज है। यहाँ तक कि पत्रकारिता के एक भी प्रोफेसर नहीं हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी स्थित नीमन फाउंडेशन के जर्नलिज्म लैब के सीनियर डायरेक्टर और पूर्व डायरेक्टर जोशुआ बेंटन ने ये खुलासा किया है। उन्होंने ये भी बताया कि हार्वर्ड में जर्नलिज्म पर फोकस रख कर सिर्फ मास्टर्स ऑफ लिबरल आर्ट्स नामक डिग्री की पढ़ाई होती है, जिसे कार्यरत पत्रकारों द्वारा ही पढ़ाया जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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