Friday, April 19, 2024
Homeरिपोर्टमीडियातब अलर्ट हो जाती निधि राजदान तो आज हार्वर्ड पर नहीं पड़ता रोना

तब अलर्ट हो जाती निधि राजदान तो आज हार्वर्ड पर नहीं पड़ता रोना

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी मामले के सामने आने के बाद निधि का 2018 का ये पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है। लोग इस पर काफी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर मान भी लिया जाए कि यह सही बोल रही हैं तो ये किस तरह की पत्रकार हैं, जो असली हार्वर्ड और नकली हार्वर्ड के मेल को नहीं पहचान सकी।

आज खुद को ‘फिशिंग अटैक’ की पीड़ित बता रहीं निधि राजदान का पत्रकारिता का पूरा करियर प्रोपेगेंडा के इर्द-गिर्द रचा रहा है। वे उस लिबरल गैंग की प्रमुख सदस्य हैं, जो खुद के विचार से इत्तेफाक नहीं रखने वालों को ‘उपदेश’ देने का कोई मौका नहीं छोड़ते। 2014 के बाद हर मौके पर वह सरकार को कोसती नजर आईं हैं। एनडीटीवी में रहीं निधि कश्मीर पर पाकिस्तानी सुर अलापने के लिए भी विख्यात रही हैं।

यही कारण है कि शुक्रवार (जनवरी 15, 2021) को जब उन्होंने ट्वीट कर अपने साथ हुए गंभीर ऑनलाइन फर्जीवाड़े का खुलासा किया तो सोशल मीडिया में कई लोगों ने उनकी मंशा पर शक जाहिर किया। इस ट्वीट में उन्होंने बताया था कि हार्वर्ड से मिला ऑफर फेक था।

राजदान के अनुसार उन्हें हाल ही में पता चला कि उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पढ़ाने का जो ऑफर दिया गया था, वह फर्जी है। उन्होंने पिछले साल NDTV में अपने 21 साल के करियर को अलविदा कह दिया था, ताकि वे हार्वर्ड (Harvard University)में जाकर अध्यापन कार्य कर सकें।

निधि ने फरवरी 2018 में भी ऑनलाइन फर्जीवाड़े को लेकर एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने बताया कि उनका इनकम टैक्स डिटेल हैक कर लिया गया और उनके सारे डिटेल्स को भारत सरकार के पोर्टल पर बदल दिया गया। उनका कहना था कि उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भी इसका कोई अलर्ट का मैसेज नहीं आया। उस समय उन्होंने सरकार से सवाल किया था, “हमें कैसे विश्वास करना चाहिए कि हमारा डेटा सुरक्षित है?”

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी मामले के सामने आने के बाद निधि का 2018 का ये पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है। लोग इस पर काफी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर मान भी लिया जाए कि यह सही बोल रही हैं तो ये किस तरह की पत्रकार हैं, जो असली हार्वर्ड और नकली हार्वर्ड के मेल को नहीं पहचान सकी। ऐसे में उनकी पत्रकारिता की क्या विश्वसनीयता है। वो फेक सोर्स पर भी विश्वास कर सकती हैं, जो कि पहले भी दिख चुका है।

एक यूजर ने लिखा कि सामान्य नागरिक ऐसी परिस्थिति में एफआईआर दर्ज करवाते हैं, आईटी विभाग के पास शिकायत दर्ज करवाते हैं लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सिर्फ ट्वीट करते हैं और गरीबों को अपना सारा काम बंद करके मैडम के पास जाना पड़ता है।

बता दें कि निधि द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई थी, हार्वर्ड ने बताया है कि उसके कैम्पस में न तो पत्रकारिता का कोई विभाग और न ही कोई कॉलेज है। यहाँ तक कि पत्रकारिता के एक भी प्रोफेसर नहीं हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी स्थित नीमन फाउंडेशन के जर्नलिज्म लैब के सीनियर डायरेक्टर और पूर्व डायरेक्टर जोशुआ बेंटन ने ये खुलासा किया है। उन्होंने ये भी बताया कि हार्वर्ड में जर्नलिज्म पर फोकस रख कर सिर्फ मास्टर्स ऑफ लिबरल आर्ट्स नामक डिग्री की पढ़ाई होती है, जिसे कार्यरत पत्रकारों द्वारा ही पढ़ाया जाता है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 21 राज्य-केंद्रशासित प्रदेशों के 102 सीटों पर मतदान: 8 केंद्रीय मंत्री, 2 Ex CM और एक पूर्व...

लोकसभा चुनाव 2024 में शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) को पहले चरण के लिए 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 संसदीय सीटों पर मतदान होगा।

‘केरल में मॉक ड्रिल के दौरान EVM में सारे वोट BJP को जा रहे थे’: सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण का दावा, चुनाव आयोग...

चुनाव आयोग के आधिकारी ने कोर्ट को बताया कि कासरगोड में ईवीएम में अनियमितता की खबरें गलत और आधारहीन हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe