दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यूज़लॉन्ड्री के इन्वेस्टर महेश मूर्ति पर लगे यौन उत्पीड़न (MeToo) के मामले पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2017 के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत तमाम समाचार समूहों पर महेश मूर्ति पर लगाए गए आरोपों से संबंधित ख़बरें प्रकाशित करने पर रोक लगाई गई थी। न्यायालय ने आरोप लगाने वाली महिलाओं को इस मामले से जुड़ी ख़बरें न प्रकाशित करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
खबरों के मुताबिक़ सिंगल जज बेंच के मुखिया जयंत नाथ ने इस मामले पर आदेश जारी किया। सोमवार के दिन आदेश जारी करते हुए उन्होंने कहा, तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बचाव पक्ष (महेश के खिलाफ लिखने वाले) के अनुसार 1, 2, 15, 16 (चारों अभियुक्त) का अनुभव शिकायतकर्ता के साथ अत्यंत अप्रिय या शायद उससे भी ज़्यादा बुरा रहा है। बचाव पक्ष के तथ्यों को मद्देनज़र रखते हुए उन्हें पब्लिक डोमेन (सामाजिक विमर्श के मंच) में जगह मिलनी चाहिए।’
महेश मूर्ति जो बतौर वेंचर कैपिटलिस्ट उद्यमों में पूँजी लगाने के लिए जाने जाते हैं और घोर वामपंथी समाचार समूह न्यूज़लॉन्ड्री के निवेशक हैं। उन्होंने समाचार समूह न्यूज़ 18 के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसमें उनका आरोप है न्यूज़ 18 उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की कवरेज कर रहा है।
महेश मूर्ति ने मानहानि का यह मुकदमा रश्मि बंसल, पूजा चौहान और मीरा (बदला हुआ नाम) पर भी दायर किया है। जिन्होंने महेश द्वारा किए गए ज़्यादती भरे व्यवहार पर खुल कर बात की थी। महेश मूर्ति द्वारा दायर किए गए मानहानि मुक़दमे में कुछ पत्रकारों और कई मशहूर प्रकाशन जैसे डेक्कन क्रोनिकल, योर स्टोरी और शी द पीपल से जुड़े लोगों का भी नाम शामिल था। न्यायाधीश जयंत नाथ ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि बचाव पक्ष ने शिकायत कर्ता (महेश) का अपमान करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है।
न्यायालय ने मूर्ति के उन दावों को भी सिरे से खारिज किया है जिसमें उन्होंने यह कहा था कि शिकायत करने वालों ने निजी दुर्भावना के चलते इस तरह के आरोप लगाए हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि महेश मूर्ति ने उनके वेंचर में पूँजी नहीं लगाई थी। इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि महेश द्वारा दायर की गई याचिका में कई घटनाओं का उल्लेख बहुत बेतरतीब तरीके से था। और तो और वह एक ही मामले में सारे आरोपों से राहत चाहते थे।
वहीं दूसरी तरफ महेश मूर्ति का यह कहना है कि तमाम समाचार समूहों ने उनके विरोध में ऐसी ख़बरें चलाई जैसे उन्हें युवा महिला उद्यमियों और महिलाओं के साथ उत्पीड़न की आदत हो। उस तरह की ख़बरों से आम जनता में उनको लेकर बहुत गलत संदेश जाएगा जो की असलियत में सही नहीं है। महेश ने उन पर आरोप लगाने वाली महिलाओं को और उन पर लगाए गए आरोपों पर खबर लिखने वालों को अपने मुक़दमे में एक ही श्रेणी में रखा था। इसके अलावा महेश ने अपने दो पार्टनर्स पर भी मुकदमा दर्ज कराया है।
न्यायालय का यहाँ तक कहना है कि बचाव पक्ष के पास अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार है। अगर मामलों की सुनवाई के बाद बचाव पक्ष की दलीलें और तथ्य गलत साबित होते हैं तब शिकायत कर्ता हानि का भुगतान करने के लिए स्वतंत्र होंगे। मानवाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता दीपिका नारायण भारद्वाज ने आदेश का स्वागत करते हुए ट्वीट किया। ट्वीट में उन्होंने कहा महेश मूर्ति के झूठे मुक़दमे के चलते उनके अलावा बचाव पक्ष के तमाम लोग कुछ कह या लिख नहीं पा रहे थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।
Three years ago, #MaheshMurthy dragged me into a bogus defamation case at Delhi High Court first & then took a gag order on me & 18 more defendants to stop anyone from speaking about his misdemeanor. I was dragged even tho I made no public comment. Gag is lifted
— Deepika Narayan Bhardwaj (@DeepikaBhardwaj) July 8, 2020
NOW I WILL TALK
साल 2017 के दौरान 6 महिलाओं ने न्यूज़लॉन्ड्री के मुखिया महेश मूर्ति पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जिसकी कवरेज ऑपइंडिया समेत कई समाचार समूहों ने की थी। इन 6 महिलाओं में से 3 ने सामने आकर आरोपों का ज़िक्र किया और अपने अनुभव साझा किए। सारे आरोपों के मामले साल 2003 से 2016 के बीच के थे। तकनीकी वेबसाइट फैक्टर डेली के फाउंडर ने ट्वीट की शृंखला में महेश मूर्ति पर आरोप लगाया था।
तमाम रिपोर्ट्स में महेश मूर्ति पर लगाए गए आरोपों के मामले से जुड़ी कई जानकारी प्रकाशित हुई। जिसमें यह लिखा था कि रश्मि बंसल नाम की लेखक और एक महिला पत्रकार के साथ उन्होंने ज्यादती और दुर्व्यवहार किया था। इसमें संदेश, मौखिक उत्पीड़न और शारीरिक उत्पीड़न का भी उल्लेख था। महेश मूर्ति ने दिल्ली की एक प्रशासनिक अधिकारी को कुछ ऐसा संदेश भी भेजा था
“Hey babe, one’s supposed to ce।ebrate Diwali by b।owing a pataka. So can I go down on you p।ease? :-)”
इसके अलावा महेश मूर्ति ने एक डिजिटल मीडिया कंपनी की कर्मचारी को साल 2006 में यह संदेश भेजा था,
“Are you a virgin”