हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस-प्रशासन की टीम पर हुए हमले और मुस्लिमों द्वारा किए गए दंगों के बाद अब वामपंथी उनके बचाव में उतर आए हैं। इसी क्रम में ‘न्यूजलॉन्ड्री’ ने शनिवार (17 फरवरी, 2024) को इस्लामी कट्टरपंथी दंगाइयों द्वारा मचाए गए उत्पात को ढँकने और दंगाई मुस्लिमों को पीड़ित दिखाने का प्रयास किया। उनके साथ कुछ और वामपंथी पत्रकार इस मुहिम में जुट गए। यह सब उन्होंने न्यूजलॉन्ड्री पर होने एक पॉडकास्ट में किया।
इसी पॉडकास्ट में 14:55 पर सुमेधा मित्तल ने अपना प्रोपेगंडा आगे रखते हुए बताया, “प्रशांत और मैं वहाँ पर 5 दिनों के लिए गए हुए थे। हमें नहीं लगता है कि हम दंगे की असल तस्वीर बना पाए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वहाँ हमें जाने ही नहीं दिया जा रहा था।”
आगे सुमेधा ने अपना प्रोपेगंडा जारी रखा, “8 फरवरी को जिस रात हिंसा चालू हुई, पूरे शहर भर में कर्फ्यू लगा दिया गय था। जैसे जैसे समय आगे बढ़ा, बाकी शहर में कर्फ्यू में हट गया लेकिन जिस बनभूलपुरा में अवैध मदरसा और मस्जिद गिराए गए थे, वहाँ ऐसा नहीं किया गया।” सुमेधा पूरे समय यह दावा करती रही कि हल्द्वानी में लोगों को जानकारियाँ नहीं दी जा रही थी कि दंगा कैसे चालू हुआ और यह रोकने का काम प्रशासन ने किया। हालाँकि, सुमेधा ने एक बार भी इस बात का जिक्र नहीं किया कि बनभूलपुरा में इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ के दंगे के कारण ही यहाँ कर्फ्यू लगाने की नौबत आई थी।
मनीषा पांडे ने दंगाइयों को बताया ‘भीड़’, पीड़ित दिखाने का प्रयास
इस प्रोपेगंडा में न्यूजलॉन्ड्री का कोई भी व्यक्ति पीछे नहीं रहना चाहता था। इसी क्रम में न्यूजलॉन्ड्री की मैनेजिंग एडिटर मनीषा पांडे ने एक नया शिगूफा छोड़ा। मनीषा पांडे ने यह तो स्वीकार किया कि हल्द्वानी में दंगा-फसाद हुआ, लेकिन यह नहीं बताया कि यह दंगा मुस्लिमों ने किया और भीड़ बता कर किनारे हो गई।
मनीषा ने बताया, “मुझे लगता है हल्द्वानी में भीड़ नियन्त्रण से बाहर हो गई और यह सब हुआ। लगता है कि वह गुस्सा कर हमलावर हो गए और पुलिस पर हमला कर दिया। लेकिन, आप उनको इस तरह से परेशान करोगे तो फिर…।”
मनीषा पांडे ने इसके बाद भी अपना एजेंडा जारी रखा। मनीषा ने आगे बताया, “आप उनके घर गिराने आ रहे हो, मस्जिद, स्कूल गिराने के लिए बिना किसी नोटिस के आ रहे हो, आपको पता है विवाद तो होगा ही।” मनीषा की इस बात में सच्चाई का 1% हिस्सा भी नहीं था। दरअसल, जो मस्जिद और मदरसा गिराया गया था वह अवैध था और उसके लिए पहले ही नोटिस दी जा चुकी थी। इसके लिए अनुमति भी ली जा चुकी थी। हालाँकि, मनीषा ने मुस्लिमों के दंगों को सही ठहराने के लिए हिंसा को भी जायज ठहरा दिया।
येन-केन प्रकारेण, हल्द्वानी के दंगाइयो को बचाता दिखा ‘न्यूजलॉन्ड्री’
जब न्यूजलॉन्ड्री के सभी प्रोपगैंडाबाज थक हार कर भी हल्द्वानी में मुस्लिमों के दंगे का बचाव नहीं कर पाए तो उनके मुखिया रमन कृपाल ने मोर्चा संभाला। रमन कृपाल न्यूजलॉन्ड्री के एडिटर इन चीफ हैं। इन्होने अपना निशाना नैनीताल की डीएम वन्दना सिंह को बनाया। कृपाल ने दंगाइयों पर गोली मारने के आदेश देने को लेकर वन्दना सिंह के खिलाफ प्रलाप किया।
कृपाल ने कहा, “पहले फायरिंग बड़ी बात हुआ करती थी लेकिन अब तो इसके विषय में कोई बात ही नहीं कर रहा।” हालाँकि, कृपाल यह भूल गए कि भीड़ कितनी अराजक थी जिसके कारण प्रशासन को फायरिंग करनी पड़ी। यदि वह ऐसा नहीं करते तो और भी नुकसान होता। ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी। ऑपइंडिया के पत्रकार राहुल पाण्डेय ने हल्द्वानी में ग्राउंड पर जाकर बताया था कि वहाँ कैसे हालात थे।
न्यूजलॉन्ड्री की ही जयाश्री अरुणाचलम ने दावा किया कि मुस्लिम भीड़ को सरकार ने भड़काया था। अरुणाचलम ने कहा, “ये एक पैटर्न है, आप मुस्लिमों पर खूब हमले करो और फिर जब वह जवाब दें तो बल प्रयोग को सही ठहराओ।”
हल्द्वानी दंगे
8 फरवरी को उत्तराखंड के हल्द्वानी के एक इलाके बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने गई नगर निगम और प्रशासन की टीम पर मुस्लिम भीड़ ने हमला बोल दिया था। मुस्लिमों ने पुलिस को घेर कर पथराव किया जिसमें बड़ी सँख्या में पुलिसकर्मी घायल हुए। उन्होंने पुलिस को जलाने तक का प्रयास किया। इसके बाद जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की तो पेट्रोल बम भी फेंके गए। इस पूरी कार्रवाई में 6 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद हल्द्वानी में कर्फ्यू लगा दिया गया था।