एनडीटीवी की पूर्व पत्रकार निधि राजदान शुक्रवार (15 जनवरी 2021) से ही चर्चा में बनी हुई हैं। उन्होंने खुद को ‘फिशिंग अटैक’ का शिकार बताते हुए कहा था कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जो ऑफर मिला था, वह फेक था। कुछ महीने पहले निधि ने बताया था की मैसाचुसेट्स के कैम्ब्रिज स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उन्होंने बतौर एसोसिएट प्रोफेसर (जर्नलिज्म) का ऑफर मिला है।
निधि द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई थी, हार्वर्ड ने बताया है कि उसके कैम्पस में न तो पत्रकारिता का कोई विभाग और न ही कोई कॉलेज है। यहाँ तक कि पत्रकारिता के एक भी प्रोफेसर नहीं हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी स्थित नीमन फाउंडेशन के जर्नलिज्म लैब के सीनियर डायरेक्टर और पूर्व डायरेक्टर जोशुआ बेंटन ने ये खुलासा किया है। उन्होंने ये भी बताया कि हार्वर्ड में जर्नलिज्म पर फोकस रख कर सिर्फ मास्टर्स ऑफ लिबरल आर्ट्स नामक डिग्री की पढ़ाई होती है, जिसे कार्यरत पत्रकारों द्वारा ही पढ़ाया जाता है।
(Technically, you can also get a “Master of Liberal Arts (ALM) in Extension Studies, field: Journalism” via @HarvardExt, but that is a separate open-admission program designed for adult learners, taught by adjuncts, and with no full-time journalism faculty.)
— Joshua Benton (@jbenton) January 15, 2021
उधर अशोका यूनिवर्सिटी ने उन सभी ट्वीट्स को डिलीट करने का फैसला लिया है, जिसमें उसने निधि राजदान का परिचय हार्वर्ड के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में दिया था। उसने इस मामले में क्रॉस वेरिफिकेशन करने की बात भी कही है। कौटिल्य वेबसाइट ऑफ पब्लिक पॉलिसी ने भी अपनी वेबसाइट पर कई जगह निधि राजदान का परिचय इसी रूप में दिया था। अब वो भी चुपके से इसे एडिट कर बदल रहा है।
अब उसने निधि राजदान का परिचय वरिष्ठ पत्रकार एवं NDTV की पूर्व एग्जीक्यूटिव एडिटर के रूप में दिया है। कई अन्य संस्थानों ने भी ट्वीट्स और पोस्टर्स डिलीट करने शुरू कर दिए हैं। लेकिन, उन सभी के स्क्रीनशॉट्स लोगों के पास पड़े हुए हैं और वो लगातार पोस्ट कर के याद दिला रहे हैं कि बिना पुष्टि किए इन संस्थानों ने लोगों को धोखा दिया। सितम्बर 2020 में ही एक व्यक्ति ने ध्यान दिलाया था कि ऐसा कोई कोर्स हार्वर्ड में है ही नहीं।
निधि ने बताया था कि वो ज्वाइनिंग का समय पहले सितंबर 2020 मानकर चल रही थीं और अपनी नई जिम्मेदारियों को उठाने की तैयारी कर रही थीं। बाद में उन्हें कहा गया कि जनवरी 2021 में उनकी क्लास शुरू होगी। धीरे-धीरे उन्हें हर चीज इतना डिले होने पर असामान्य लगना शुरू हुआ। शुरुआत में वह कोरोना महामारी के कारण सब चीजों को नजरंदाज करती रहीं। लेकिन हाल ही में उन्हें इन चीजों को लेकर शक गहराया और उन्होंने यूनिवर्सिटी के शीर्ष प्रशासन से संपर्क किया।
बाद में यूनिवर्सिटी के अनुरोध पर निधि की ओर से हर वह प्रमाण पेश किए गए जिसे देख वह सोच रहीं थीं कि उन्हें यह सब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से मिल रहा है। आखिर में उन्हें पता चला कि वास्तविकता में हार्वर्ड ने उन्हें प्रोफेसर बनने के लिए कोई ऑफर भेजा ही नहीं, बल्कि वह तो एक तरह के ऑनलाइन हमले का शिकार हुईं हैं। धोखाधड़ी करने वालों ने बड़ी चालाकी से उनके पर्सनल डेटा, कम्युनिकेशन को एक्सेस करने के लिए सारा खेल खेला।