यह अब कोई छुपी हुई बात नहीं रह गई है कि भारत में कुछ ‘पाक ऑक्युपाइड पत्रकार’ (POP) पकिस्तान के हितों के लिए काम करते हैं। समय-समय पर पाकिस्तान इन पत्रकारों की भारत को खराब छवि में पेश करने ले लिए तारीफ भी करता है। इसी क्रम में पकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने ‘मुस्लिम पत्रकार राणा अयूब’ की तारीफ ‘फासिस्ट मोदी सरकार का पर्दाफाश’ करने के लिए की है।
पकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने अपने आधिकारिक अकाउंट से लिखा है कि सूचना एवं प्रसारण में विशेष सहयोगी डॉक्टर फिरदौस आशिक अवान ने मोदी के फासिस्ट एजेंडा को बेनक़ाब करने वाली मुस्लिम महिला जर्नलिस्ट राणा अयूब की तारीफ की है।
डॉक्टर फिरदौस आशिक अवान ने लिखा है- “शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वालों को इतिहास के सुनहरे पन्नों में याद रखा जाता है। जो साहस भारतीय मुस्लिम जर्नलिस्ट ने अपनी ड्यूटी में दिखाया है वह तारीफ के लायक है।”
بہادر لوگوں کا ظلمت اور جبر کےخلاف آواز حق بلند کرنا اور اسے للکارنا تاریخ کا ہمیشہ سے روشن اور یادگار باب رہا ہے۔ بھارتی مسلمان خاتون صحافی رانا ایوب نے جس دلیری سے اپنے پیشہ ورانہ فرائض انجام دئیے، وہ لائق تحسین ہے۔
— Dr. Firdous Ashiq Awan (@Dr_FirdousPTI) January 17, 2020
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कश्मीर को ‘इंडियन ऑक्युपाइड कश्मीर’ बताते हुए फिरदौस आशिक ने राणा अयूब की तारीफ की है।
फिरदौस आशिक अवान द्वारा शेयर किए गए वीडियो की शुरुआत मुहम्मद अली जिन्ना और नेल्सन मंडेला की शोषण के विरुद्ध संघर्ष की तारीफ से शुरू होती है। इसके बाद वो राणा अयूब को मुहम्मद अली जिन्ना की लिस्ट में शामिल करते हुए आगे बढ़ती हैं और बताती हैं वर्तमान में ही ऐसा उदाहरण शोषण से लड़ने वाली एक पत्रकार ने पेश किया है।
इसमें फिरदौस कश्मीर और नागरिकता संशोधन अधिनियम की ओर इशारा करते हुए कहती हैं कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और CAA, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे दमनकारी इस्लामी देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रयास करता है, आधुनिक विश्व में भारत के दमनकारी राज्य का उदाहरण पेश करते हैं।
इसके बाद वीडियो में बताया जाता है कि पाकिस्तान जैसे एक आतंक के पर्याय देश द्वारा ‘बहादुर मुस्लिम पत्रकार’ की तारीफ क्यों की जा रही है। हाल ही में, विवादास्पद पत्रकार राणा अय्यूब ने जम्मू-कश्मीर के भारतीय केंद्र शासित प्रदेश में एक विदेशी पत्रकार को अनुच्छेद-370 हटाने के बाद घाटी में मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट करने के लिए नियुक्त किया था। पत्रकार डेक्सटन फिल्किंस ने ‘न्यू यॉर्कर’ पर अपने लेख में बेशर्मी से स्वीकार किया था कि अयूब द्वारा उसे अवैध रूप से कश्मीर में घुसाया गया था।
फिल्किंस लिखते हैं कि उन्हें राणा अयूब द्वारा मुंबई आमंत्रित किया गया था, जहाँ से वे कश्मीर में विदेशी संवाददाताओं पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के आदेश की अवहेलना करने की कोशिश करने वाले थे। इसमें लिखा गया है कि राणा अयूब ने उसे स्कार्फ की एक जोड़ी सौंपी और उससे कहा कि वह एक कुर्ता, ठेठ भारतीय अंगरखा खरीदे, जिससे वह खुद को भारतीय समझ सके।
राणा अयूब का बयान लिखते हुए फिल्किंस ने लिखा है- “मुझे निन्यानबे प्रतिशत यकीन है कि आप पकड़े जाएँगे, लेकिन आपको वैसे भी आना ही चाहिए। लेकिन अपना मुँह मत खोलना।”
फिल्किंस ने लेख में आगे उल्लेख किया है कि जब वे श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरे थे, तो राणा अयूब ने उन्हें ‘विदेशियों के लिए पंजीकरण’ डेस्क पर दाखिला दर्ज किए बिना ही दूर ले गई। हवाई अड्डे पर पुलिसकर्मियों और हंगामे का फायदा उठाते हुए, फिल्किंस और राणा श्रीनगर के लिए निकल गए।
इस पूरे प्रकरण में राणा अयूब और फिल्किंस के इस कृत्य ने भारत सरकार द्वारा अनिवार्य कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन किया है। ‘विदेशियों के लिए आदेश, 1958‘ के अनुसार, विदेशी नागरिकों, पर्यटकों के साथ-साथ पत्रकारों को, ‘प्रतिबंधित क्षेत्रों’ या ‘संरक्षित क्षेत्रों’ में प्रवेश करने के लिए उन्हें सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।
पाकिस्तान द्वारा जारी वीडियो में आगे कहा गया है- “भारत में ब्राह्मण हिंदुओं के इतिहास को देखते हुए, ‘CJ पोस्ट’ राणा अयूब की जान की सुरक्षा को लेकर आशंकित है।” ब्राह्मण और हिन्दुओं से घृणा, पाकिस्तान और उसकी राणा अयूब जैसी बहनों के लिए कोई नया विषय नहीं है। हालाँकि, पाकिस्तान का यह प्रोपेगंडा आखिर में यही साबित करता है कि भारत में CAA जैसे कानून क्यों जरुरी हैं।
यह स्पष्ट है कि राणा अयूब और पाकिस्तान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिन्दू ब्राह्मणों से कितनी नफरत है। वास्तव में, पाकिस्तान ने राणा अयूब को ‘ब्राह्मण हिंदुओं’ से डरे हुए ‘मुस्लिम पत्रकार’ के रूप में संदर्भित किया, जो खुद उनकी बेशर्मी की ओर इशारा करता है।
दिलचस्प बात यह है कि, राणा अयूब की विवादास्पद पुस्तक- ‘गुजरात फाइल्स’, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मनगढ़ंत, बताते हुए कहा था कि सबूत के तौर इसकी कोई कीमत नही है, ने भी शुद्ध झूठ के आधार पर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। पाकिस्तान और राणा अयूब के बीच कम से कम यह बात तो कॉमन है। मुस्लिम भीड़ द्वारा एंटी-सीएए दंगों के बाद, राणा अय्यूब एक समाचार चैनल पर लाइव प्रसारण में झूठ भी बोला था कि समुदाय विशेष के लोग शांति से विरोध कर रहे थे। इस प्रकार, पाकिस्तान और राणा अयूब के बीच एक और समानता उजागर होती है। यानी, उम्माह की खातिर झूठ।