राजधानी दिल्ली में सोमवार (जनवरी 20, 2019) को पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पत्रकारों को रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले पत्रकारों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पत्रकारिता के मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर की।
Fake news has emerged a new menace, whose purveyors proclaim themselves as journalists and taint this noble profession: President Kovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 20, 2020
उन्होंने कहा, “पत्रकारिता एक कठिन दौर से गुजर रही है। फर्जी खबरें नए खतरे के रूप में सामने आई हैं, जिसका प्रसार करने वाले खुद को पत्रकार के रूप में पेश कर इस महान पेशे को कलंकित करते हैं।”
In the din of the “breaking news” syndrome that has consumed the media now, this fundamental principle of restraint and responsibility has been undermined substantially: President Kovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 20, 2020
राष्ट्रपति ने कहा, “ब्रेकिंग न्यूज सिंड्रोम के शोर-शराबे में संयम और जिम्मेदारी के मूलभूत सिद्धांत की अनदेखी की जा रही है। पुराने लोग फाइव डब्ल्यू एंड एच (what, when, why, where, who and how) के मूलभूत सिद्धांतों को याद रखते थे, जिनका जवाब देना किसी सूचना के खबर की परिभाषा में आने के लिए अनिवार्य था।”
I am aware that journalists tend to wear many hats in the line of their duty. These days, they often assume the role of an investigator, a prosecutor and a judge – all rolled into one: President Kovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 20, 2020
उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारों को अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान कई तरह का काम करना पड़ता है। मगर इन दिनों वे अक्सर एक साथ जाँचकर्ता, अभियोजक और न्यायाधीश की भूमिका निभाने लगते हैं।
It requires a great deal of inner strength and incredible passion for journalists to play so many roles at a time to arrive at truth. Their versatility is praiseworthy. But that prompts me to ask if such a sweeping exercise of power is accompanied by genuine accountability?
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 20, 2020
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘सच्चाई तक पहुँचने के लिए एक समय में कई भूमिका निभाने की खातिर पत्रकारों को काफी आंतरिक शक्ति और अद्भुत जुनून की आवश्यकता होती है। पत्रकारों की बहुमुखी प्रतिभा प्रशंसनीय है। लेकिन वह मुझे यह पूछने के लिए प्रेरित करता है कि क्या इस तरह की व्यापक शक्ति के इस्तेमाल से वास्तविक जवाबदेही होती है?”
The quest for truth is, of course, difficult and easier said than done. But it must be pursued.
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 20, 2020
A democracy like ours deeply relies on the uncovering of facts and a willingness to debate them.
Democracy is meaningful only when the citizen is well informed: President Kovind
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मौजूद पत्रकारों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सत्य की खोज निश्चित रूप से कठिन है। यह कहना आसान है और करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि हमारे जैसा लोकतंत्र तथ्यों के उजागर होने और उन पर बहस करने की इच्छा पर निर्भर करता है। लोकतंत्र तभी सार्थक है, जब नागरिक अच्छी तरह से जानकार हो।
Stories exposing great social and economic inequalities are ignored, and their place is taken by trivia. Instead of helping promote scientific temper, some run after irrational practices in their search for eyeballs and ratings: President Kovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 20, 2020
उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करने वाली खबरों की अनदेखी की जाती है और उनका स्थान तुच्छ बातों ने ले लिया है। वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने में मदद के बजाय कुछ पत्रकार रेटिंग पाने और ध्यान खींचने के लिए अतार्किक तरीके से काम करते हैं।