भारतीय प्रेस परिषद ने बंगाल से छपने वाले वामी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ को कारण बताओ नोटिस जारी किया। द टेलीग्राफ को ये नोटिस राष्ट्रपति के नाम की तुलना कोरोना वायरस के साथ करने के कारण दिया गया। मंगलवार (मार्च 17, 2020) को जारी प्रेस रिलीज के अनुसार परिषद ने 17 मार्च 2020 को अखबार में प्रकाशित हुई एक हेडलाइन पर संज्ञान लेते हुए ये एक्शन लिया।
इस हेडलाइन में वामी समाचार पत्र ने ‘व्यंग्यात्मक’ शैली का इस्तेमाल करते हुए नियमों का उल्लंघन किया था। जिसके बाद पत्रकारिता नियमों के उल्लंघन के आरोप में ये नोटिस जारी किया गया।
जानकारी के अनुसार, प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया था और पत्रकारिता आचरण के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए द टेलीग्राफ के संपादक को नोटिस भेजा।
प्रेस काउंसिल ने लिखा कि देश के प्रथम नागरिक (राष्ट्रपति कोविंद) पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ, उपहास और उन्हें नीचा दिखाने की बात गैरजरूरी होने के साथ-साथ पत्रकारिता के उचित प्रतिमानों के विपरीत जाती हैं।
गौरतलब है राष्ट्रपति कोविंद ने सोमवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया था। जिसके बाद वामपंथियों में हलचल मच गई और वे पूर्व सीजेआई के फैसलों को इससे जोड़कर देखने लगे। इस बीच कल मंगलवार को नफरत की हर सीमा पार करते हुए द टेलीग्राफ ने पत्रकारिता की गरिमा को ताक पर रख दिया और प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ही वायरस कह दिया।
हालाँकि, इस हेडलाइन को देखने के बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स भड़क गए। उन्होंने इसे दलित समुदाय का अपमान बताया और राष्ट्रपति कोविंद को अपना दलित नेता। लोगों ने लिखा लिबरलों को दलित से इतनी घृणा है कि राष्ट्रपति की तुलना वायरस से कर सकते हैं तो फिर दलितों के लिए इनकी सोच क्या होगी। एक ने लिखा कि सिर्फ लिबरल ही राष्ट्रपति की तुलना घातक वायरस से कर सकते हैं।
इसके बाद इस मामले ने कल बहुत तूल पकड़े रखा और अंत में प्रेस परिषद के संज्ञान में ये मामला आया। प्रेस परिषद ने इस प्रयोग के लिए द टेलीग्राफ को फटकार लगाई और उससे ऐसी हरकत करने के पीछे की वजह को पूछा।