भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत पालने वाले ‘बुद्धिजीवियों’ की उस लिस्ट में NDTV के ‘पत्रकार’ रवीश कुमार भी शामिल हो गए हैं जो भारत के आंतरिक मामले में रिहाना जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के दखल देने के प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय गायिका रिहाना, जिसका भारत के साथ कोई संबंध नहीं है, ने पिछले दिनों देश के आंतरिक मामले में नाक घुसेड़ने की कोशिश की थी। पिछले 3 महीनों से दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे तथाकथित किसानों के पक्ष में उनके ट्वीट से यह पता चला कि उनका समर्थन एक समन्वित अभियान का हिस्सा था। जब भारत के खिलाफ चल रहे इस पूरे प्रोपेगेंडा का खुलासा हुआ तो देश के खेल जगत और मनोरंजन जगत के तमाम दिग्गजों ने खुलकर इसका विरोध किया। साथ ही लोगों से ऐसे विरोधी ताकतों के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए कहा। जिसके बाद ट्विटर पर #IndiaAgainstPropaganda #IndiaTogether नाम से हैशटैग ने काफी ट्रेंड किया।
इस मसले पर NDTV के ‘पत्रकार’ रवीश कुमार, जिन्होंने अपने शानदार करियर में झूठ के अलावा कुछ नहीं बोला, ने सोशल मीडिया पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा। इस पोस्ट में भारत सरकार के समर्थन में खड़े फिल्मी कलाकार और भारतीय क्रिकेटर्स पर भी उन्होंने निशाना साधा। जबकि भारतीय हस्तियों ने वही किया, जो इस स्थिति में प्रत्येक देशवासी को करना चाहिए।
रवीश कुमार ने लिखा, “एक पॉप स्टार के ट्वीट से क्यों हिल गई भारत सरकार। हमारे फ़िल्म कलाकारों को देखिए। जिन साठ प्रतिशत किसानों से देश बनता है। सीमाएँ सुरक्षित होती हैं। उन किसानों के लिए नहीं बोले। लेकिन रिहाना के ट्वीट से सारे के सारे सरकार को बचाने आ गए। लगता है इन लोगों ने दिल्ली की सीमाओं पर कीलें देखी नहीं हैं, हाइवे के बीच में खोदी जा रही खाई नहीं देखी हैं, वरना वे उसका भी समर्थन कर देते। किसान आंदोलन ने विदेशों में भारत सरकार की छवि खराब की है। आंतरिक मामला बता कर एकजुटता दिखाने का प्रयास घबराहट में लिया गया है। एक पॉप स्टार की इतनी ताकत कि पूरी भारत सरकार अकेली पड़ गई। गोदी मीडिया अकेला पड़ गया तो अक्षय कुमार से लेकर लता मंगेशकर को बुलाना पड़ गया।”
रवीश कुमार विदेशी हस्तियों की निंदा करने वाले भारतीय हस्तियों से नाराज थे
एक अन्य फेसबुक पोस्ट में, रवीश कुमार ने उन भारतीय हस्तियों पर कटाक्ष किया, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा की गई टिप्पणियों के आलोक में एकता का आह्वान किया और उन्हें भारत के आंतरिक मामलों में मध्यस्थता करने की निंदा की। उन्होंने लिखा, “लोकतंत्र भीतर पहनने वाला बनियान नहीं है जो अंदर की बात है।” उन्होंने कहा कि इन भारतीय हस्तियों ने इतने लंबे समय तक एक शब्द नहीं बोला, लेकिन जैसे ही अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाई, वे यह कहने लगे कि यह भारत का आंतरिक मामला है।
खैर, मोदी सरकार के लिए वामपंथी मीडिया और प्रोपेगेंडा फैलाने वालों की नफरत कोई नई बात नहीं है। NDTV के पत्रकार और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता रवीश कुमार, जो इस ब्रिगेड का हिस्सा हैं, ने लगातार केंद्र सरकार को एक क्रूर दमनकारी शासन के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है, भले ही इसके लिए उन्हें फेक न्यूज या प्रोपेगेंडा का सहारा ही क्यों न लेना पड़ा हो।
रवीश कुमार ने लाल किले पर हुई हिंसा पर की लीपापोती
हाल ही में, रवीश कुमार ने दंगाइयों द्वारा की गई बेलगाम हिंसा की भयावहता पर लीपापोती करने का प्रयास किया, जिन्होंने गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगे का अपमान किया। देश के खिलाफ तथाकथित किसानों द्वारा हिंसक अपमान के बावजूद विवादास्पद न्यूज एंकर रवीश कुमार ने उनके हिंसक विरोध-प्रदर्शनों को ‘शांतिपूर्ण आंदोलन’ का नाम देकर दंगाइयों के करतूत को ढँकने की कोशिश की। इतना ही नहीं, NDTV ने दंगाइयों को यह कहते हुए मानवतावादी दिखाने का भी प्रयास किया कि उन्होंने ट्रैक्टर रैली की हिंसक भीड़ में एंबुलेंस को बाहर जाने का रास्ता दिया।