केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को टीवी चैनलों के TRP रेस को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हमें टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट या टीआरपी-उन्मुख कार्यक्रमों की वर्तमान प्रणाली पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। सरकार को मीडिया और प्रेस की स्वतंत्रता में विश्वास है, लेकिन मीडिया को यह सुनिश्चित करने के लिए एक तरीके से काम करना चाहिए कि इसकी स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित की जाती है।
पत्रकारिता में निश्चित ही सुधार की जरूरत है। यह सुधार मीडिया जगत स्वयं लाये, यही बेहतर है। हमारी सरकार मीडिया की स्वतंत्रता में विश्वास करती है परन्तु मीडिया का भी यह कर्तव्य है कि अपनी स्वतंत्रता का उपयोग संयम से करे। इसके लिए TRP के अनावश्यक दबाव से बाहर निकलने की आवश्यकता है। pic.twitter.com/LzKzYBYK7K
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) October 7, 2020
बता दें टीआरपी एक टूल है जिसका उपयोग इम्प्रूवमेंट को मापने के लिए कुछ हज़ार दर्शकों के घरों में टेलीविज़न सेट से जुड़े डिवाइस के माध्यम से प्रोग्राम की लोकप्रियता को देखा जाता है।
संघ प्रमुख मोहन राव भागवत की मौजूदगी में बुधवार को पत्रकार और साहित्यकार माणिकचंद वाजपेयी ‘मामाजी’ के जन्मशताब्दी वर्ष के समापन समारोह में केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा, “पहले पीत पत्रकारिता ऐसा एक शब्द होता था। फिर पेड न्यूज, फिर फेक न्यूज हुआ। अब टीआरपी पत्रकारिता हो गई है। पहले एक प्राइवेट संस्था टैम टीआरपी निकालती थी जो बताती थी कि कौन से चैनल पर कौन सा कार्यकम ज्यादा देखा जा रहा है। फिर टीवी वालों ने अपना सिस्टम बनाया जिसे बार्क नाम दिया। तब मैंने कहा था कि ये एक अच्छा सेल्फ रेग्युलेशन है। इसे करना चाहिए लेकिन अब उसमें शामिल लोग ही आकर शिकायत कर रहे हैं। जो संस्थापक थे वो ही शिकायर्ता हो गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “आज टीआरपी के हमले के कारण पिछले दो सप्ताह या दो महीने में कैसी रिपोर्टिंग हुई है। पत्रकारिता कहाँ तक पहुँच गई है। ये टीआरपी का अनावश्यक बोझ मीडिया को कभी न कभी बंद करना पड़ेगा, सुधारना पड़ेगा या उसे कुछ अच्छा रूप देना पड़ेगा।”
जावड़ेकर ने कहा, “लोकप्रियता गिनने की मशीन और तरीका होना चाहिए। लेकिन उसके कारण लोग अपना कार्यक्रम बदलें। उकसाने वाली खबरें चलाएँ ये तो पत्रकारिता नहीं होगी। सरकार मीडिया और मीडिया की आजादी पर विश्वास रखती है। मीडिया अपनी स्वतत्रंता पर संयम से कैसे काम करे, इस पर नियंत्रण खुद तैयार करे।”
उन्होंने कहा, सरकार किसी का अधिकार नहीं हथियाना चाहती है, आजादी पर आँच नहीं आने देना चाहती। लेकिन एक रिस्पांसिबल जर्नलिज्म हो। वो रिस्पांसिबिलिटी खुद तय करनी होती है इसके लिए किसी के हुक्म की जरूरत नहीं होती है। हमारी इच्छा है एक रिस्पांसिबल जर्नलिज्म हो।