इस्लामी कट्टरपंथियों और वामपंथी लॉबी के दबाव में आकर ब्लूम्सबरी पब्लिकेशन ने दिल्ली दंगों पर किताब ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ का प्रकाशन वापस ले लिया। इस पर जारी बहस के बीच ‘द प्रिंट’ के संस्थापक शेखर गुप्ता ने लेखकों संजीव सान्याल, डॉ. आनंद रंगनाथन और संजय दीक्षित के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं।
अपने वीडियो शो ‘Cut The Clutter’ में, गुप्ता ने दिल्ली दंगा 2020 पर आधारित पुस्तक प्रकाशित न करने के लिए ब्लूम्सबरी पर वामपंथियों द्वारा डाले गए दबाव पर लीपापोती तो किया ही, साथ ही लेखकों संजीव सान्याल, डॉ. आनंद रंगनाथन और संजय दीक्षित पर ब्लूम्सबरी को धमकी देने का दोष मढ़ा।
शेखर गुप्ता ने अपने वीडियो शो में उन लोगों, ‘सेक्युलर-लिबरलों’ का नाम नहीं लेते हैं, जिन्होंने वास्तव में ब्लूम्सबरी पर उक्त पुस्तक को डी-प्लेटफॉर्म करने के लिए दबाव डाला था।
बता दें कि शेखर गुप्ता, द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रोसिडेंट भी हैं। उन्होंने वीडियो में आरोप लगाया कि ब्लूम्सबरी द्वारा दिल्ली दंगा 2020 पर आधारित पुस्तक के प्रकाशन को रद्द करने का निर्णय संजीव सान्याल, डॉ. आनंद रंगनाथन और संजय दीक्षित जैसे लेखकों की धमकी के बाद लिया गया था। इसमें कहा गया कि इन लेखकों ने पब्लिकेशन हाउस से अपनी कई पुस्तकें प्रकाशित करवाई हैं और इन्होंने ऑर्गेनाइजेशन के साथ अपने संबंध तोड़ने की धमकी दी है।
सच्चाई यह है कि प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया द्वारा मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा की पुस्तक ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ के प्रकाशन को वापस लेने के मनमाने फैसले पर संजीव सान्याल, डॉ. आनंद रंगनाथन, संजय दीक्षित, शेफाली वैद्य और कई अन्य लेखकों ने ट्विटर पर इसकी निंदा की।
ब्लूम्सबरी के गैर पेशेवर रवैए की वजह से कई लेखकों ने यह भी घोषणा की कि वे अब एक ऐसे संगठन के साथ नहीं जुड़े रहेंगे, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
शेखर गुप्ता के वीडियो शो में लेखकों के जिस ट्वीट को ब्लूम्सबरी के लिए ‘धमकी’ बताया जा रहा है, वह दिल्ली दंगों से जुड़ी किताब को प्रकाशित न करने के फैसले के फलस्वरूप उभरा विरोध था। वह ट्वीट ब्लूम्सबरी द्वारा किताब के प्रकाशन के वापस लेने के फैसले के बाद किया गया था।
हालाँकि, गुप्ता ने पब्लिकेशन हाउस के अस्वीकार्य व्यवहार के बारे में लेखकों द्वारा की गई शिकायतों को गलत ठहराया और उन्हें गलत तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने दावा किया कि ब्लूम्सबरी ने इन लेखकों द्वारा पोस्ट किए गए ट्वीट के बाद पुस्तक के प्रकाशन को वापस ले लिया।
शेखर गुप्ता की धूर्तता को लेकर संजीव सान्याल ने उन्हें निशाने पर लिया। संजीव सान्याल ने ‘द प्रिंट’ के फाउंडर को उनको और डॉ. आनंद रंगनाथन के ट्वीट को गलत तरीके से पेश करने के लिए स्पष्टीकरण माँगा। उन्होंने कहा कि उनके शो में जो दिखाया गया, इसके विपरीत वह और डॉ. रंगनाथन फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की वकालत कर रहे थे और पब्लिकेशन हाउस द्वारा पुस्तक के प्रकाशन को रद्द करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं।
This is dishonest, especially since you did not once name the individuals were actually responsible for the shocking act of ideological censorship. I expect you to correct the video and make a clarification 2/n
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) August 24, 2020
डॉ. आनंद रंगनाथन ने भी शेखर गुप्ता को उनके और संजीव सान्याल के बारे में झूठ बोलने को लेकर तीखे आलोचनात्मक ट्वीट किए। रंगनाथन ने कहा कि गुप्ता अपने पेशे के लिए शर्मिंदगी हैं और ब्लूम्सबरी द्वारा बुक रद्द करने पर उनका विश्लेषण अपरिपक्व और झूठ से भरा था। उन्होंने शेखर गुप्ता पर उनके और संजय सान्याल के ट्वीट्स को गलत तरीके से पेश करने के लिए मुकदमा करने की धमकी भी दी।
Astonishingly puerile analysis, delivered in trademark crude articulation, and laced with more lies per metre cube than what Pinocchio could manage on desi tharra.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 24, 2020
This man is an embarrassment to his profession, whatever it is.
Cut the crap or Sanjeev Sanyal and I will sue you. pic.twitter.com/6L1uqJUnQp
गुप्ता और द प्रिंट द्वारा की गई धूर्तता के पकड़े जाने के तुरंत बाद, YouTube पर पोस्ट किए गए वीडियो को ‘प्राइवेट’ कर दिया गया, ताकि यूजर्स इसे न देख सकें।
गौरतलब है कि अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा की पुस्तक ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ का प्रकाशन ब्लूम्सबरी ने वापस ले लिया है। प्रकाशन संस्थान ने इस्लामी कट्टरपंथियों और वामपंथी लॉबी के दबाव में आकर ऐसा किया।