रविवार (सितंबर 20, 2020) को सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामे में सुदर्शन न्यूज ने कहा कि चैनल अपने “बिंदास बोल” शो के “यूपीएससी जिहाद” कार्यक्रम के शेष एपिसोड प्रसारित करते हुए कानूनों का कड़ाई से पालन करेगा। चैनल की तरफ से यह भी कहा गया है कि वह सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रोग्राम कोड का पालन करेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चैनल की तरफ से हलफनामा प्रस्तुत किया गया था।
इसके साथ ही, सुदर्शन न्यूज ने हलफनामे में NDTV द्वारा ‘हिंदू आतंकवाद’ पर प्रसारित कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया। चैनल ने बताया कि कैसे NDTV ने अपने कार्यक्रमों में हिंदू संतों की काल्पनिक छवि का इस्तेमाल किया था।
सुदर्शन टीवी ने ‘हिंदू आतंक’ पर NDTV के कार्यक्रम का उल्लेख किया
बता दें कि NDTV ने 2008 और 2010 में ‘हिंदू टेरर’ पर दो कार्यक्रमों का प्रसारण किया था। सुदर्शन न्यूज ने हलफनामे में इन कार्यक्रमों का हवाला दिया और कहा कि इन पर अधिकारियों और सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान नहीं गया। हलफनामे में दोनों कार्यक्रम के लिंक थे और इस पर आपत्ति जताई गई कि कैसे चैनल ने हिंदू प्रतीकों और संतों को कहानियों में दिखाया। बरखा दत्त ने दोनों कार्यक्रमों की मेजबानी की थी।
हलफनामे में कहा गया है,“17.09.2008 को एनडीटीवी ने ‘Hindu Terror: Myth or fact?’ शीर्षक से एक कार्यक्रम प्रसारित किया था, जिसकी एंकरिंग बरखा दत्त ने की थी। इस कार्यक्रम में प्रोग्राम के कैप्शन के ठीक बगल में एक हिंदू संत को ‘तिलक’ और ‘चिलम’ के साथ दिखाया गया था। इसके साथ ही संत के हाथ में त्रिशूल भी दिखाया गया था, जो हिंदुओं के सबसे पवित्र प्रतीकों में से एक है और हिंदुओं के देवता भगवान शिव से जुड़ा हुआ है।”
हलफनामा में आगे 26 अगस्त 2010 को एनडीटीवी द्वारा प्रसारित एक अन्य कार्यक्रम का उल्लेख किया गया है। इस कार्यक्रम को भी बरखा दत्त ने ही होस्ट किया था और इसका शीर्षक “Is ‘Saffron Terror’ real?” दिया गया था। सुदर्शन न्यूज ने बताया कि उक्त एनडीटीवी कार्यक्रम में भगवा रंग के कपड़ों में एक हिंदू सांस्कृतिक सभा दिखाई गई।
NDTV के कार्यक्रमों का उल्लेख महत्वपूर्ण है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में समुदाय विशेष वालों को चित्रित करने के लिए हरे रंग की टी-शर्ट, दाढ़ी और टोपी के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई थी। अदालत ने कहा कि चैनल पूरे समुदाय को रूढ़िबद्ध करने की कोशिश कर रहा है।
अदालत ने आँकड़े या इन्फोग्राफिक्स दिखाते हुए समुदाय विशेष के पात्रों की पृष्ठभूमि में आग की लपटों के उपयोग पर भी आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चैनल के संपादक सुरेश चव्हाणके से उन परिवर्तनों के बारे में सवाल किया था जो यह सुनिश्चित कर सके कि चित्रण एक विशेष समुदाय पर हमला नहीं करता है।
अपने हलफनामे में चैनल ने फिर से उल्लेख किया कि यह किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है। चैनल सिविल सेवाओं में किसी भी समुदाय से किसी भी योग्य उम्मीदवार के प्रवेश का विरोध नहीं करता है। अदालत ने निषेधाज्ञा आदेश जारी किया था और सुनवाई समाप्त होने तक चैनल को शेष एपिसोड प्रसारित करने से रोक दिया था।
चव्हाणके ने अपने हलफनामे में अदालत से अनुरोध किया कि सभी मानदंडों का पालन करने के उनके आश्वासन पर उन्हें शेष एपिसोड को प्रसारित करने की अनुमति दी जाए। मामले में सुनवाई सोमवार (सितंबर 21, 2020) को जारी रहेगी।