कॉन्ग्रेस-लेफ्ट इकोसिस्टम का प्रोपेगेंडा बढ़ाने वाले हिन्दू विरोधी अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र द हिन्दू ने एक हालिया इंटरव्यू को लेकर माफ़ी माँगी है। द हिन्दू ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का हाल ही में इंटरव्यू किया था, इसी को लेकर एक माफीनामा जारी किया गया है। द हिन्दू को इस इंटरव्यू का ऑफर एक पीआर एजेंसी काईजेन ने दिया था। इस इंटरव्यू के बाद केरल के भीतर बवाल चालू हो गया और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हुए।
द हिन्दू ने इस इंटरव्यू के लिए जारी किए एक माफीनामे में लिखा, “30 सितंबर के अंक में प्रकाशित केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के इंटरव्यू में पीआर एजेंसी के कहने पर कुछ लाइनों को जोड़ा गया था। इस इंटरव्यू की व्यवस्था पीआर एजेंसी ने ही की थी। ऐसा नहीं होना चाहिए था, और हम रिपोर्टर की ओर से निर्णय की इस गंभीर त्रुटि और इस मामले में संपादकीय गड़बड़ी लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं।”
द हिन्दू ने बताया कि यह इंटरव्यू 29 सितंबर को सुबह 9 बजे नई दिल्ली के केरल हाउस में पीआर एजेंसी के दो लोगों की मौजूदगी में हुआ था। माफीनामे में लिखा गया, “इंटरव्यू लगभग 30 मिनट तक चला। इसके बाद, पीआर के लोगों में से एक ने मलप्पुरम में सोने की तस्करी और हवाला लेनदेन और उसके आतंक में उपयोग किए जाने की जानकारी को इंटरव्यू में शामिल करने को कहा था।” अखबार ने कहा कि पिनराई विजयन ने यह बात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले कही थी।
क्यों द हिन्दू ने माँगी माफी
रिपोर्ट के अनुसार, विजयन ने द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि CPM पर RSS के साथ मिलने के आरोप इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार में पुलिस ने पिछले पांच वर्षों में सोने की तस्करी और हवाला धन के संबंध में पुलिस ने कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों के दौरान, पुलिस ने मलप्पुरम में करोड़ों का हवाला का पैसा जब्त किया।
इस घटनाक्रम के पहले नीलांबुर के विधायक पी वी अनवर द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सोने की तस्करी और अवैध रूप से धन संचय करने सहित आरोप लगाए थे। उन्होंने विजयन के साथ भारी मतभेद के बाद वामपंथी गठबंधन छोड़ दिया था।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और मुख्यमंत्री के कर्मचारियों के RSS नेताओं से मिलने के दावों पर CM विजयन ने कहा, “वामपंथी, खासकर CPM ने RSS और बाकी हिंदुत्ववादी ताकतों का कड़ा विरोध किया है। हमारे कई साथियों ने उनके खिलाफ बोलने के कारण अपनी जान गँवाई है। कोई भी इस झूठ पर विश्वास नहीं कर सकता। हमें ऐसे आरोपों के पीछे के कारणों को समझना चाहिए। केरल की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अल्पसंख्यक समुदायों का है।”
विजयन ने यह भी बताया कि ये लोग पहले कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के साथ थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यक अब LDF का समर्थन करते हैं। यह UDF द्वारा जानबूझकर भ्रम पैदा करने की कोशिश का हिस्सा है, क्योंकि उन्हें पता है कि इससे चुनावों में हम पर असर पड़ेगा। हम पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं कि RSSके प्रति हमारा रुख नरम है।”
मुख्यमंत्री विजयन ने इसके बाद कहा, “केरल सरकार मुस्लिम कट्टरपंथियों के विरुद्ध काम कर रही है, ये ताकतें यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि हम मुसलमानों के खिलाफ काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, पिछले 5 सालों में मलप्पुरम में पुलिस ने ₹123 करोड़ का 150 किलोग्राम सोना और हवाला का पैसा जब्त किया गया। यह पैसा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए केरल पहुँचता है। जहां तक अनवर का सवाल है, हमने उनके दावों की जांच के लिए पहले ही एक SIT गठित कर दी है।”
इंटरव्यू पर विवाद, प्रदर्शन भी
विजयन के इस बयान के बाद उनकी कड़ी आलोचना हुई। उन्हें इसके लिए सफाई भी जारी करनी पड़ी। कई संगठनों ने कहा कि उन्होंने मलप्पुरम जिले का अपमान किया है। वामपंथी गुटों ने भी इसको लेकर प्रदर्शन किया। मुस्लिम लीग, केरल मुस्लिम जमात, केरल सुन्नी छात्र संघ (SKSF) और सुन्नी युवजन संघम (SYS) समेत अन्य समूहों ने भी मुख्यमंत्री की आलोचना की।
इसके बाद मंगलवार (8 अक्टूबर, 2024) विपक्षी UDF दलों की ने सड़कों पर उतरकर मुख्यमंत्री विजयन से मलप्पुरम और कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के कथित आरएसएस से जुड़े होने के बारे में दिए गए बयानों को लेकर इस्तीफा देने की माँग की। 3 अक्टूबर को, विजयन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कह दिया कि ना उन्होंने या ना ही उनके कार्यालय ने राष्ट्रीय मीडिया के साथ संपर्क करने के लिए एक पीआर एजेंसी को काम पर रखा था।
पिनराई विजयन ने कहा कि पीआर एजेंसी के व्यक्ति को वह नहीं जानते। विजयन ने कहा कि जब रिपोर्ट प्रकाशित हुई, तो उसमें ऐसे बयान शामिल थे जो मैंने कभी नहीं दिए। विजयन ने दावा किया कि वह बयान कहाँ से आए, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
राडिया टेप ने खोला था पत्रकार-पीआर नेक्सस
पिनराई विजयन के इंटरव्यू पर विवाद और उसमें पीआर एजेंसी के शामिल होने को लेकर हुआ हंगामा कोई नई बात नहीं है। इससे पहले राडिया टेप मामले में भारत ने पीआर एजेंट और पत्रकार तथा नेता आपस में कैसे नेक्सस बनाते हैं, इसका पर्दाफाश हुआ है।
2010 में सामने आए राडिया टेप विवाद में जब एक कॉर्पोरेट लॉबिस्ट, नीरा राडिया की राजनेताओं, पत्रकारों, उद्योगपतियों और नौकरशाहों समेत कई हाई-प्रोफ़ाइल लोगों के साथ बातचीत को इनकम टैक्स विभाग ने रिकॉर्ड किया था। यह बातचीत टैक्स चोरी की जाँच के लिए रिकॉर्ड हुई थी।
इन टेपों से पता चला था कि नीरा राडिया टाटा समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कम्पनियों के लिए भारत सरकार में मंत्री पदों के वितरण को प्रभावित कर रहीं थी। नीरा राडिया ने कोशिश 2009 में यूपीए-2 सरकार के गठन के दौरान की थी। राडिया की कुछ पत्रकारों ने सहायता की थी।
राडिया टेप में अब प्रोपेगेंडा पोर्टल एमके वेणु, बरखा दत्त समेत कई पत्रकारों का नाम आया था। इस टेप के सामने आने के बाद काफी बवाल हुआ था। इस टेप ने तब की कॉन्ग्रेस सरकार और देश के कॉर्पोरेट के बीच के रिश्ते को भी जगजाहिर कर दिया था।
इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि विजयन ने अपने लिए एक पीआर एजेंसी को काम पर रखा हो। हालाँकि, इस विवाद के बाद पिनराई विजयन बैकफुट पर हैं। इस मामले में अब केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने भी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजने की तैयारी की है। उन्होंने पूछा था कि आखिर किसके खिलाफ मलप्पुरम में कार्रवाई हुई थी और क्या कार्रवाई हुई।
यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में रुकमा राठौड़ द्वारा लिखा गया है। इसे आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।