तमिलनाडु के थेनी जिले की 47 वर्षीय महिला ने अपनी 28 वर्षीय बेटी के साथ राज्य सेवा आयोग की परीक्षा पास करके ये साबित कर दिया है कि पढ़ने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती। मन में अगर ललक और मजबूत इच्छाशक्ति हो तो उम्र या परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं।
तीन बच्चों की माँ एन शांतिलक्ष्मी और उनकी बेटी आर तेनमोजी ने राज्य सेवा आयोग ग्रुप-4 की परीक्षा पास करके सरकारी नौकरी हासिल की है। शांतिलक्ष्मी की नियुक्ति स्वास्थ्य विभाग में हुई है जबकि तेनमोजी की नियुक्ति धर्मस्व विभाग में।
5 साल पहले तक शांतिलक्ष्मी एक गृहिणी थीं। लेकिन 2014 में पति के निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारियाँ उन पर आ गईं। इसके बाद कला में स्नातक (बीए) व बीएड कर चुकीं शांतिलक्ष्मी ने नौकरी की तलाश शुरू कर दी।
वो दिन जब बदल गई शांतिलक्ष्मी की सोच
एक दिन शांतिलक्ष्मी अपनी बड़ी बेटी आर तेनमोजी का दाखिला एक नि:शुल्क कोचिंग में करवाने गईं। वो वहाँ पर गई तो थीं अपनी बेटी का दाखिला करवाने मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था। बातचीत में जब उस कोचिंग के संचालक जी. सेंथिलकुमार ने उन्हें बताया कि वो भी परीक्षा दे सकती हैं तो शांतिलक्ष्मी ने भी बेटी के साथ कोचिंग जाने का मन बना लिया। फिर दोनों माँ-बेटी एक साथ कोचिंग जाने लगीं।
जब कभी किसी पारिवारिक जिम्मेदारियों या फिर किसी अन्य कारणों से माँ कोचिंग नहीं जा पाती थीं, तो बेटी ही माँ को घर पर पढ़ा देती थी। कोचिंग के सँचालक के मुताबिक इस पद के लिए दसवीं तक की योग्यता अनिवार्य थी और उम्र सीमा में असीमित छूट भी। आयुसीमा में यही छूट शांतिलक्ष्मी के लिए वरदान साबित हुआ। सेंथिलकुमार बताते हैं कि कक्षा में अन्य छात्र शांतिलक्ष्मी की बेटी के उम्र के थे, लेकिन शांतिलक्ष्मी ने प्रश्न पूछने में कभी हिचकिचाहट महसूस नहीं की।
हाल ही में तमिलनाडु राज्य सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम घोषित हुए हैं। इसमें दोनों माँ- बेटी का चयन हो गया है। शांतिलक्ष्मी को उम्मीद है कि उनकी पोस्टिंग होम-टाउन में ही होगी। लेकिन वो दृढ़संकल्प से यह भी कहती हैं कि अगर ऐसा ना भी हुआ तो भी वो नौकरी को ना नहीं कहेंगी।