सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शुक्रवार (22मई,20) को लद्दाख का दौरा किया। ये दौरा बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से भारत और चीन के बीच सीमा पर अतिक्रमण को लेकर तनाव चल रहा है। सेना प्रमुख ने भारतीय सेना की तैयारियों का निरीक्षण भी किया।
जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के साथ बॉर्डर पर उत्तरी कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वायके जोशी भी मौजूद थे। इसके अलावा इन दोनों के साथ हालात का जायजा लेने के लिए 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट हरिंदर सिंह भी थे। हालाँकि, इस दौरे को लेकर आर्मी की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई। लेकिन कहा जा रहा है कि चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर जवाब देने के लिए कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय थल सेना ने पैंगोंग त्सो झील और गलवान घाटी, दोनों जगहों पर चीनी सैनिकों के बराबर ही अपने सैनिकों की तैनाती की है। क्योंकि पिछले दो हफ्तों में चीन ने पैंगोंग त्सो के पास अत्यधिक सैनिक बल को तैनात किया था और लद्दाख में गलवान नदी पर अस्थाई टेंट भी स्थापित किया था।
यह भी माना जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने पैंगोंग त्सो झील के किनारे भी स्थिति संभाली हुई है और क्षेत्र में भारतीय बलों को डराने के लिए मोटरबोट के साथ आक्रामक गश्त भी कर रहे हैं।
कथित तौर पर, चीनी पिछले साल बनी दरबूक-श्योक-दौला बेग ओल्डी (डीबीओ) सड़क को निशाना बना सकते हैं, जो सब सेक्टर नॉर्थ (एसएसएन) के लिए एक जीवन रेखा है। हालाँकि, भारतीय सेनाओं ने आक्रामक मोबिलिशन के साथ चीनी सैनिकों को ये करने से रोक लगा दिया है।
जाहिर है, चीन गालवान क्षेत्र में सड़क और पुल के निर्माण से नाखुश है, जो हाल ही में भारत द्वारा गश्त करने और स्थानीय आबादी की मदद के लिए कार्य शुरू किया गया है।
बता दें कि 5-6 मई को सिक्किम के नाकु ला सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हाथापाई हुई। जिसमें दोनों तरफ के सैनिकों को मामूली चोटें भी आई थी। इसके बाद दोनों ही देशों ने सीमा पर अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है, जिसमें लद्दाख में गलवान घाटी प्रमुख है। इस तनाव को कम करने के लिए इस हफ्ते में पाँच दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।