कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (CDM) द्वारा किए गए एक आंतरिक अध्ययन में कौटिल्य के अर्थशास्त्र और भगवत गीता जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों को सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश की गई है। अध्ययन में इस बात पर भी जोर देते हुए कहा गया है कि इस क्षेत्र में शोध किया जा सकता है और इसके लिए ‘भारतीय संस्कृति अध्ययन मंच’ भी बनाया जा सकता है। न्यूज 18 ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी।
सिकंदराबाद में कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट का सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है। यहाँ पर सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती है और उच्च रक्षा प्रबंधन के लिए तैयार किया जाता है। News18 को पता चला है कि इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के मुख्यालय द्वारा एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है जिसका नाम है, ‘प्राचीन भारतीय संस्कृति और युद्ध तकनीकों के गुण और वर्तमान समय में सामरिक सोच और प्रशिक्षण में इसका समावेश।’
रक्षा सूत्रों ने News18 को बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों में रणनीतिक सोच और नेतृत्व के संदर्भ में चुनिंदा प्राचीन भारतीय ग्रंथों की खोज करना है। इसके साथ ही इसका मकसद सर्वोत्तम प्रथाओं और विचारों को अपनाने के लिए एक रोडमैप स्थापित करना है, जो वर्तमान समय में प्रासंगिक है। एक शीर्ष रक्षा सूत्र ने कहा, “यह राज कौशल, सैन्य कूटनीति व अन्य क्षेत्रों में हो सकता है।”
उदाहरण के लिए, यह कौटिल्य के अर्थशास्त्र को सशस्त्र बलों के लिए एक ‘खजाना निधि’ (treasure trove) बताता है और कहता है कि यह वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक है। इसमें सशस्त्र बलों के लायक एक सामान्य अधिकारी से लेकर एक पैदल सैनिक तक के लिए सबक शामिल है। इसमें कहा गया है कि तीन ग्रंथ, वर्तमान परिदृश्य में नेतृत्व, युद्ध और रणनीतिक सोच के संबंध में प्रासंगिक हैं।
सेना के पाठ्यक्रम में अर्थशास्त्र और गीता, कॉन्ग्रेस ने की निंदा
कॉन्ग्रेस पार्टी ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि भारतीय सेना के प्रशिक्षण में भागवत गीता और कौटिल्य अर्थशास्त्र को शामिल करना देश के सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण के बराबर है। कॉन्ग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने केंद्र पर भारतीय सेना का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा, “कम से कम सरकार को सैन्य मामलों में राजनीति नहीं करनी चाहिए, हमने मुस्लिम सैनिकों की मदद से कारगिल युद्ध जीता।”