जम्मू-कश्मीर में नवंबर 2003 में एक एंटी टेरर ऑपरेशन में जान गँवाने वाले हरियाणा के पंचकुला के मेजर नवनीत वत्स की बेटी इनायत वत्स अपने पिता की राह पर निकल पड़ी है। इनायत अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। जब वह 2.5 साल की थी, तब उनके पिता ने देश के लिए बलिदान दिया था। अब वह 23 साल की हो गई हैं। इनायत का परिवार भारतीय सेना के लिए समर्पित रहा है। उनके नाना कर्नल थे। अब तीसरी पीढ़ी की इनायत सेना की शान बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
वह प्री-कमीशनिंग बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए अप्रैल 2023 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) चेन्नई में शामिल होंगी। प्री कमीशन बेसिस ट्रेनिंग में वह सेना की बारिकियों को सीखेंगी। इनायत ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। अभी वह डीयू के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं।
इनायत के परिवार पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था, जब उन लोगों को मेजर नवनीत वत्स के बलिदान होने की सूचना मिली थी। पूरे गाँव में सन्नाटा पसर गया था, लेकिन अपने पिता के वीरगति को प्राप्त होने के बाद भी इनायत ने हिम्मत नहीं हारी और जी-तोड़ मेहनत की। इनायत की माँ शिवानी वत्स ने अपनी बेटी के सेना में भर्ती होने के सपने में उनकी मदद की। कम उम्र में पिता का साया उठ जाने के बाद उन्होंने कभी भी इनायत को उनकी कमी महसूस नहीं होने दी। वह माँ के साथ अपनी बच्ची के लिए एक बेहतर शिक्षक भी साबित हुईं, जिन्होंने उसके भविष्य को आकार दिया, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस बीच माँ शिवानी ने मुश्किल परिस्थितियों में भी अपनी बेटी के सपनों से समझौता नहीं किया।
शिवानी ने बेटी के सेना में शामिल होने पर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया कि वह एक बहादुर बेटी है, जब उसने ग्रेजुएशन किया तो सबको लगा कि वह सरकार की ओर से मृतक आश्रितों को मिलने वाली कोई नौकरी ले लेगी। भले ही वह एक बलिदानी की बेटी है, इसके बावजूद उसने सेना में शामिल होने का फैसला किया।
She had the choice of an appointment to a gazetted post yet she chose to don the Uniform, like her father
— Jaishree (@Jaishree_7) February 6, 2023
Maj Navneet Vats SM who made the Supreme sacrifice fighting terrorists in 2003. Hats off to Inayat and her mom Shivani. They are the real heroes and inspiration around us. pic.twitter.com/AgLdgECbu5
शिवानी ने बताया कि उस वक्त वह 27 साल की थीं और शादी को सिर्फ चार साल ही हुए थे, तभी उनके पति की मौत हो गई। अब वह पास के चंडीमंदिर में आर्मी पब्लिक स्कूल में एक टीचर हैं। वह आगे कहती हैं, “इनायत ने एक बार मुझसे पूछा था, अगर मैं लड़का होता, तो आप क्या करतीं? मैंने उससे कहा था कि मैं तुम्हें एनडीए या आईएमए में शामिल होने के लिए कहती। मुझे खुशी है कि एक आरामदायक जीवन जीने का विकल्प होने के बावजूद, उसने अपने पिता की राह पर चलना स्वीकार किया।”