दिल्ली में इजरायली दूतावास के पास बम ब्लास्ट की सुरक्षा एजेसियाँ हर एंगल से जाँच कर रही हैं। इसी कड़ी में दिल्ली पुलिस ने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) से पिछले एक महीने में दिल्ली आए सभी ईरानी नागरिकों के बारे में जानकारी माँगी है। साथ ही उन ईरानी नागरिकों की लिस्ट भी माँगी है जो पिछले काफी दिनों से भारत मे रह रहे हैं.
इजरायल दूतावास के पास कम तीव्रता के विस्फोट के बाद से ही देश की सुरक्षा एजेंसियाँ हाई अलर्ट पर हैं। ब्लास्ट की घटना के बाद दिल्ली पुलिस शहर में रह रहे ईरानियों की तलाश रही और कुछ से पूछताछ भी की जा रही है। जिन ईरानी नागरिकों के वीजा एक्सपायर हो गए हैं और फिर भी रुके हैं, उनको लेकर FRRO से डेटा लिया गया है।
बता दें, अब तक कि जाँच से पता चला है कि जब धमाका हुआ था तो उस इलाके में लगभग 45,000 मोबाइल नंबर एक्टिव थे। स्पेशल सेल की टीम घटना से जुड़े सबूतों को बरामद करने के लिए लगातार मौके पर पड़ताल कर रही हैं। मीडिया सूत्रों का कहना है कि घटनास्थल से मिले पत्र में लिखी धमकी की लिखावट काफी साफ-सुथरी है, जिसे किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं लिखा गया है। यह इस बात का संकेत देती है कि धमाका पहले से की गई योजना के तहत किया गया है।
गौरतलब है कि इजरायल एम्बेसी के पास हुए धमाके से कोई हताहत नहीं हुआ था, लेकिन कुछ गाड़ियों के शीशे टूट गए थे। इसके बाद एयरपोर्ट, सरकारी इमारतों और अहम जगहों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
जैश उल हिन्द ने इस धमाके की ज़िम्मेदारी ली थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ मैसेजिंग एप्लीकेशन टेलीग्राम पर प्राप्त हुए संदेश (मैसेज) में आतंकी संगठन ने दावा किया था, “सबसे ताकतवर अल्लाह की रहमत और मदद से, जैश उल हिन्द के सैनिकों ने दिल्ली के अति सुरक्षित क्षेत्र में घुसपैठ की और IED हमले को अंजाम दिया। इसके बाद कई प्रमुख शहर निशाने पर होंगे। यह तो बस एक शुरुआत है। इसके ज़रिए हम भारत सरकार द्वारा किए गए अत्याचारों का बदला लेंगे।” मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सुरक्षा एजेंसियॉं इस दावे की पुष्टि करने में फिलहाल जुटी हैं।
इजरायल को इस धमाके के तार 2012 की घटना से जुड़े होने का अंदेशा है। 13 फरवरी 2012 को दिल्ली में इजरायली राजनयिक की कार में धमाका किया गया था। दो बाइक सवार हमलावरों ने इजरायली राजनयिक की पत्नी की गाड़ी में बम चिपका दिया था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को इस धमाके के लिए जिम्मेदार ठहराया था। दिल्ली पुलिस ने 7 मार्च 2012 को इस मामले में जर्नलिस्ट मोहम्मद अहमद काजमी को गिरफ्तार किया था। वह ईरानी मीडिया समूह के लिए काम करता था।