नेपाल की सीमा से लगते उत्तर प्रदेश के जिलों में मुस्लिमों की बढ़ती संख्या एक बार फिर चिंता का विषय बन गई है। एकदम से जनसंख्या में आए उछाल के पीछे पुलिस अंदाजा लगा रही है कि शायद यहाँ मुस्लिमों को बाहर से लाकर बसाया जा रहा है। आँकड़े बताते हैं कि यूपी के 5 जिलों के 116 गाँवों में 50 फीसद मुस्लिम बढ़ गए हैं। वहीं 4 साल में 25% मस्जिद-मदरसों में इजाफा देखा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के 5 जिले जिनकी जनसांख्यिकी में परिवर्तन हुआ, वह पीलीभीत, खीरी, महाराजगंज, बलरामपुर और बहराइच हैं। 2011 के राष्ट्रीय औसत अनुमान के मुकाबले यहाँ 20% ज्यादा मुस्लिम बढ़े हैं। इन पाँचों सीमावर्ती जिलों में 1000 से अधिक गाँव बसे हुए हैं। लेकिन उनमें भी 116 ऐसे छाँटे गए हैं जहाँ मुस्लिम आबादी 50 फीसद तक बढ़ गई है जबकि 303 गाँव वो हैं जहाँ 30-50% का उछाल आया है।
इसके अलावा अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2022 तक में यूपी के सीमावर्ती इलाकों में मदरसों-मस्जिदों की संख्या भी 25% बढ़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में सीमावर्ती जिलों में जहाँ कुल 1349 मस्जिदें और मदरसे थे, वो अब बढ़कर 1688 हो गए हैं।
बता दें कि यूपी पुलिस ने सीमा से जुड़े इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अपनी रिपोर्ट बनाई और इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा। उन्होंने घुसपैठ की आशंका जताते हुए कहा कि इन सीमावर्ती इलाकों में आने वाले ज्यादातर लोग मुस्लिम हैं और पुलिस के सामने चुनौती ये है कि वो ये चीज कैसे पता लगाए कि पंचायत के रिकॉर्ड में जो नए नाम दर्ज हुए हैं वो वैध है या अवैध। सुरक्षा एजेंसियाों को भी संदेह है कि इन इलाकों में लोग बाहर से ही आए हैं और इनके दस्तावेजों की जाँच बेहद मुश्किल है।
असम में भी खतरा
उल्लेखनीय है कि सिर्फ यूपी पुलिस को ही सीमावर्ती इलाकों में अचानक से मुस्लिमों की बढ़ती तादाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं लग रही, बल्कि असम में भी यही हाल है। असम के कुछ इलाके बांग्लादेश से लगते हैं। ऐसे में देखा गया है कि धुवरी, करीमगंज, दक्षिण सलमारा और काछर जैसे इलाकों में मुस्लिमों की संख्या 32% बढ़ी है, जबकि 2011 की जनगणना के राष्ट्रीय औसत अनुमान के हिसाब से ये 12.5 और राज्य स्तरीय अनुमान के मुताबिक 13.5 होना चाहिए था।