उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि नेपाल की सीमा से सटे क्षेत्रों में हो रहे ये बदलाव सामान्य नहीं है। इसी स्थिति के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसी ने साल की शुरुआत में गृह मंत्रालय को रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि कौन से इलाके संवेदनशील हैं और कौन से अतिसंवेदनशील हैं। हैरानी की बात यह है कि जिन जिलों के नाम रिपोर्ट में दिए गए थे वहाँ हुआ डेमोग्राफिक चेंज कोई हाल-फिलहाल का नहीं है बल्कि साल 2011 में हुए जातिगत जनगणना में वहाँ मजहब विशेष की आबादी में 2.5 गुना वृद्धि दर्ज की गई थी।
सुरक्षा एजेंसी द्वारा गृह मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट में कुमाऊँ के तीन क्षेत्रों को संवेदनशील करार दिया गया था। ये क्षेत्र ऊधमसिंह नगर, चम्पावत व पिथौरगढ़ हैं। इनमें पिथौरगढ़ के दो कस्बे धारचूला व जौलजीवी को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया था। उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों के अलावा उत्तर प्रदेश में भी कई क्षेत्रों को लेकर अलर्ट जारी हुआ था। इसका कारण था कि पिछले 2 साल के अंदर बहराइच, बस्ती व गोरखपुर मंडल से लगी नेपाल सीमा पर वहाँ 400 से अधिक मजहबी शिक्षण संस्थान और मजहबी स्थल खुले, जिसकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में दी।
डीआइजी डा नीलेश आनंद भरणे ने इस संबंध में बताया कि डेमोग्राफिक चेंज को लेकर सीमावर्ती जिलों में भी चेतावनी जारी की गई है। खुफिया एजेंसियाँ सभी बिंदुओं की जाँच कर रही हैं। पड़ताल के बाद पता चलेगा की संख्या में बढ़ोतरी इतनी तेजी से क्यों हो रही है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, “सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में बांग्लादेश, बिहार, नेपाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा व पंजाब के मध्य सुनियोजित तरीके से मजहब विशेष की ओर से गलियारा तैयार करने की भी जानकारी दी थी। पाकिस्तान को इस गलियारे से जोडऩे की आशंका भी जाहिर की गई है। इसमें बीते 10 वर्षों में शरणार्थियों के नाम पर बड़ी आबादी इस गलियारे में शिफ्ट भी की गई है।”
सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी नेपाल के रास्ते भारत में सक्रिय हैं। इस संबंध में पहले भी चेतावनी जारी गई थी। कथिततौर पर, योजना के तहत मजहब विशेष के शिक्षण संस्थानों को उन्हीं क्षेत्रों में ज्यादातर खोला जा रहा है जो युद्ध नीति लिहाज से अहम हैं। इसी सूची में उत्तराखंड के पिथौरगढ़, ऊधमसिंह नगर व चम्पावत भी आते हैं और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर व बस्ती मंडल को भी इसी खातिर चुना गया है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम आबादी के बढ़ने का विषय काफी दिनों से चर्चा में हैं। इस बाबत सरकारी खुफिया एजेंसियों को सतर्क भी रखा गया है। कल खबर आई थी कि ऐसा बदलाव नैनीताल में भी देखा गया है। खतरे की बात तो ये है कि वहाँ CRST स्कूल के पीछे ऊपरी पहाड़ी, बारापत्थर समेत अन्य संवेदनशील व प्रतिबंधित क्षेत्रों में पहले कच्चा मकान बनाए गए, फिर रातोंरात पक्का अवैध निर्माण कर लिए गए हैं। इसके अलावा कई जगह अवैध कब्जे की भी शिकायतें मिली हैं। इस मामले में उत्तराखंड में भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री गजराज सिंह बिष्ट ने कहा था, “ये मुस्लिम शुरुआत में आपके पैर पकड़ने आएँगे। फिर आपसे हाथ जोड़ेगे और विनती करेंगे, लेकिन जब यही 1 से 10 हो जाते हैं तो आप इनकी गली में घुस भी नहीं सकते हैं।”