लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। इसी बीच केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान मणिपुर के कुकी या मैतेई समूहों की ओर से विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी दी है। आशंका जताई गई है कि कुछ अराजक तत्व देश की आजादी के जश्न में बाधा डालने की साजिश रच सकते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में खुफिया एजेंसियों ने विशेष सुरक्षा समूह (SPG), सीआईएसएफ, दिल्ली पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के साथ स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेने के लिए आयोजित एक बैठक में कई संभावित खतरों पर चर्चा की। खुफिया इनपुट के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किला पर तिरंगा फहराने और राष्ट्र को संबोधित करने के दौरान देश-विरोधी तत्वों द्वारा तख्तियाँ लहराने, विरोध में नारे भी लगाने की भी आशंका जाहिर की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि इस साल स्वतंत्रता दिवस सितंबर में दिल्ली में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन से एक महीने से भी कम समय पहले पड़ रहा है। ऐसे में इस समारोह से पहले या उसके दौरान किसी भी प्रतिकूल घटना का देश की छवि पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
खुफिया एजेंसियों ने यह भी बताया कि विभिन्न समूह अपने मुद्दों को सुर्खियों में लाने के लिए महत्वपूर्ण घटनाओं से पहले या उसके दौरान विरोध प्रदर्शन का सहारा पहले भी लेते रहे हैं। दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान दो साल पहले 2021 में 26 जनवरी के अवसर पर ऐसा कर चुके हैं, जब उन्होंने लाल किले की प्राचीर पर निशान साहिब फहरा दिया था।
सुरक्षा एजेंसियों ने जिन मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन की आशंका जाहिर की, उनमें किसानों की माँग, समान नागरिक संहिता, श्रम/सेवाओं से संबंधित मुद्दों के अलावा इस साल के आयोजन के लिए सुरक्षा के नजरिए से बताए गए प्रमुख मुद्दों में मणिपुर के हालात भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि इस महत्वपूर्ण बैठक में दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ खतरे की जानकारी साझा करते समय, उन्हें विरोध प्रदर्शनों पर हर अपडेट हासिल करने के लिए कहा गया है। उन्हें भीड़ और आंदोलन पर नजर रखने के लिए पड़ोसी राज्यों के पुलिस विभागों के साथ भी समन्वय करने को कहा गया है। साथ ही हालिया नूहं हिंसा को देखते हुए केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने सोशल मीडिया के बारे में भी चेतावनी दी है, जिसका इस्तेमाल हालिया कुछ वर्षों से कट्टरपंथ, लोगों को संगठित करने, मशहूर लोगों को धमकियाँ देने और ऐसे कामों के लिए इनाम देने के लिए तेजी से किया जा रहा है।
केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा चर्चा किए गए अन्य प्रमुख मुद्दों में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पाकिस्तान स्थित एक ऑपरेटिव का मामला भी शामिल था, जिसने अपने सहयोगियों को दिल्ली में कुछ स्थानों की टोह लेने का निर्देश दिया था। इसमें राष्ट्रीय जाँच एजेंसी और दिल्ली पुलिस का मुख्यालय भी शामिल था।