अरब सागर में अपना दबदबा बढ़ाने और पड़ोसियों खासकर मालदीव जैसे देशों पर से निगरानी जैसी निर्भरता को खत्म करने के लिए भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। भारत ने लक्षद्वीप में 2 हवाई पट्टियों के निर्माण की योजना बनाई है। ये हवाई पट्टियाँ सैन्य और नागरिक दोनों तरह की उड़ानों के लिए होंगी। खास बात ये है कि इनमें से एक हवाई पट्टी मिनिकॉय द्वीप पर तैयार की जाएगी, जो मालदीव की सीमा से महज 50 मील की दूरी पर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ने गुरुवार (18 जुलाई 2024) को एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। उन्होंने बताया कि सैन्य मामलों के विभाग के नेतृत्व में तीनों सेनाओं का प्रस्ताव मिनिकॉय द्वीप में एक नया एयरबेस बनाने और भारत के पश्चिमी हिस्से में अरब सागर में अगत्ती द्वीप पर मौजूदा एयरफील्ड का विस्तार करने का है। दोहरे उद्देश्य वाले ये हवाई अड्डे, जिनका उपयोग नागरिक एयरलाइनों द्वारा भी किया जाएगा, सभी प्रकार के लड़ाकू और परिवहन विमानों के साथ-साथ लंबी दूरी के ड्रोनों की तैनाती और संचालन करने में सक्षम होंगे और इस क्षेत्र में भारतीय सेनाओं को बढ़त प्रदान करेंगे।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब चीनी नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है और इस क्षेत्र में पाकिस्तानी नौसेना के साथ मिलकर काम कर रही है। अब इन दोनों पट्टियों के निर्माण के बाद भारत की पकड़ इन इलाकों पर मजबूत हो जाएगी और वो आस-पास के इलाकों पर भी निगरानी में सक्षम हो जाएगा। इन पट्टियों का उपयोग सेना के तीनों अंगों के साथ ही तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड) भी करेगा। कोस्ट गार्ड ने ही इन पट्टियों को बनाने का सुझाव रक्षा मंत्रालय को दिया था।
सरकार द्वारा पास किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, मिनिकॉल हवाई पट्टी का इस्तेमाल मूल रूप से एयरफोर्स करेगी। मिनिकॉय में हवाई अड्डा रक्षा बलों को अरब सागर में निगरानी के अपने क्षेत्र का विस्तार करने की क्षमता भी प्रदान करेगा। मिनिकॉय में हवाई अड्डा क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, जैसा कि सरकार ने योजना बनाई है।