चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में टैंक और बख्तरबंद वाहनों को तैनात किया है। सेना ने BMP-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ T-90 और T-72 टैंकों की तैनाती की है। अंधेरे में मार करने में सक्षम इन टैंकों की खासियत यह है कि इन्हें माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में संचालित किया जा सकता है। सर्दियों की आहट के बीच सेना की ओर से यह बेहद सूझबूझ भरा सामरिक कदम उठाया गया है।
#WATCH Tanks and infantry combat vehicles of Indian Army deployed near the Line of Actual Control (LAC) in Chumar-Demchok area in eastern Ladakh.
— ANI (@ANI) September 27, 2020
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जारी किए गए एक वीडियो में पूर्वी लद्दाख में फॉरवर्ड पोस्ट पर भारतीय सेना के टैंक और बख्तरबंद वाहन खड़े नजर आ रहे हैं। पूर्वी लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सेना के टी-90 भीष्म टैंक को तैनात किया गया है। सर्दियों में यहाँ का तापमान माइनस में चला जाता है। ऐसे में इन टैंक में तीन प्रकार के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है ताकि सर्दियों में यह जम न जाए।
Soldiers of Indian Army operating T-90 Bhishma tank near Line of Actual Control in Chumar-Demchok area of Eastern Ladakh. Army uses 3 types of different fuels to ensure that it does not freeze during the harsh winters.
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सेना की इस तैनाती को लेकर 14 कोर्प्स के चीफ ऑफ स्टाफ के मेजर जनरल अरविंद कपूर ने कहा, “फायर ऐंड फ्यूरी कॉर्प्स केवल भारतीय सेना ही नहीं, दुनिया का इकलौता ऐसा बल है जिसकी तैनाती इतने मुश्किल हालातों में की गई है। इस तरह के हालात में टैंक, बख्तरबंद वाहनों और भारी हथियारों का रखरखाव एक बड़ी चुनौती होती है।”
To ensure crew and equipment readiness, adequate arrangements are in place for both man & machine: Major General Arvind Kapoor, Chief of Staff, 14 Corps to ANI https://t.co/hz0R05Wtbv
— ANI (@ANI) September 27, 2020
बता दें कि 29-30 अगस्त को पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना ने उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए यथास्थिति में बदलाव की कोशिश की थी। भारतीय जवानों ने इसका मुँहतोड़ जवाब दिया था और चीनी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में मौजूद एक अहम चोटी पर नियंत्रण कर लिया था। ये चोटी रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जाती है।
भारतीय सेना के जवानों ने 29 अगस्त और सितम्बर के दूसरे सप्ताह के बीच छ: नई चोटियों को अपने नियंत्रण में लिया था। इनमें मागर हिल, गुरुंग हिल, रेसेहेन ला, रेजांग ला और मोकपारी के साथ ही फिंगर 4 के पास स्थित ऊँचाई वाली चोटी शामिल हैं।
भारत और चीन के बीच बीते दिनों पैंगोंग त्सो झील, नॉर्थ सब सेक्टर और लद्दाख के चुशुल क्षेत्र में संघर्ष हुए हैं। वहीं जून में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के दौरान 20 भारतीय सैनिकों के बलिदान के बाद भारत ने हथियारों के उपयोग न करने के नियम में भी बदलाव किया है। इससे पहले एलएसी पर दोनों पक्ष किसी भी स्थिति में गोली न चलाने के नियम का लंबे समय से पालन कर रहे थे, लेकिन गलवान में हुए संघर्ष के दौरान चीनी सेना की करतूत के बाद भारतीय पक्ष ने इस नियम में बदलाव किया है।