Sunday, November 17, 2024
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‘कभी हमारे गुलाम थे काफिर, आज मुस्लिमों का ही हो रहा शोषण’: जम्मू-कश्मीर में चुनाव से बौखलाया आतंकी संगठन ISIS, जिहाद के लिए उकसाया

इतिहास के मुस्लिम आक्रमणकारियों को महिमामंडित करते हुए इस आतंकी पत्रिका में लिखा है, "एक समय हिंदू और सिख मुश्रिकों ने इस भूमि पर पैर रखने की हिम्मत नहीं की थी। उन्हें इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी। लेकिन अब यह क्षेत्र हिंदू और सिख मुश्रिकों के लिए एक आश्रय स्थल है। वहाँ के मुस्लिमों को इनसे अनुमति लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।"

कुख्यात इस्लामी आतंकी संगठन ISIS की आईएस-के (IS-K) ने अपनी पत्रिका ‘वॉइस ऑफ खुरासान’ के हालिया अंक में जम्मू-कश्मीर को लेकर खूब जहर उगला है। कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव होता देख बौखलाए इस आतंकी संगठन ने मुस्लिमों को भड़काने की कोशिश की है। उसने हुए लिखा है कि कश्मीर काफिरों (इस्लाम में गैर-मुस्लिमों के लिए अपमानजनक संबोधन) के कब्जे में है। इसके लिए जिहाद (इस्लामी जंग) का वक्त आ गया है।

पत्रिका में ‘कश्मीर: द पैराडाइज अंडर दि कंट्रोल ऑफ इनफिडेल्स (कश्मीर: काफिरों के नियंत्रण में जन्नत)’ शीर्षक में लिखा गया है कि एक समय था जब इस इस्लाम ने दुनिया पर राज किया और भारत से लेकर अंदलूसिया (स्पेन) तक किसी काफिर ने मुस्लिमों का अपमान करने की हिम्मत नहीं की। उस समय अल्लाह की धरती पर अल्लाह की शरीयत का शासन था।

पत्रिका में उसने लिखा है, “एक समय की बात है, जब काफिर इस गर्वीली उम्माह को जजिया देते थे और इसके हर हुक्म का पालन करते थे। एक समय की बात है, जब उम्माह के पास अरब प्रायद्वीप से आए नौजवान एक ईमान वाली बहन की पवित्रता की रक्षा के लिए भारत में राजाओं को इतनी कड़ी सज़ा देते थे कि उनके दर्द की छाप कई पीढ़ियों तक बनी रही।”

लोगों को भड़काते हुए ISIS ने अपनी पत्रिका में लिखा है कि एक समय इस्लाम के एक हाथ में तलवार और दूसरे में कुरान था, जो पूरब और पश्चिम के काफिरों में डर पैदा करता था। जब से उम्माह ने जिहादी हथियारों की जगह खिलौनों की ओर रुख किया और कुरान की जगह पश्चिमी संस्कृति और कानूनों को अपनाया है, तब से काफिरों ने इसकी शान को दिन-ब-दिन खत्म कर दिया है।

कश्मीर का जिक्र करते हुए इस ऑनलाइन पत्रिका में लिखा गया है, “इस्लामी उम्माह के खंडित अस्तित्व का एक हिस्सा ‘कश्मीर’ है। यह जन्नत जैसी भूमि है, जिस पर दशकों से काफ़िर हिंदुओं, राष्ट्रवादी मिलिशिया और खुफिया एजेंसियों के हितों के लिए काम करने वाले तथाकथित जिहादी संगठनों द्वारा अत्याचार किया गया है।”

इराक में अल्पसंख्यक यजिदी समुदाय के लोगों के विनाश के लिए कुख्यात ISIS ने कश्मीर को अब उत्पीड़न और उजाड़ का प्रतीक बताया है। उसने लिखा है कि कश्मीर पूर्वी तुर्किस्तान की तरह इस्लाम के लोगों के लिए जेल बन गई है, जहाँ पहचान, सभ्यता और संस्कृति खतरे में है। जिस कश्मीर को कभी धरती का ‘जन्नत’ कहा जाता था, वह अब हिंदू बहुदेववादियों द्वारा शासित है।

इतिहास में इस्लामी आक्रांताओं द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में किए गए विनाश पर गौरव करते हुए इस आतंकी साहित्य में कहा गया है कि कश्मीर कभी मुस्लिमों के लिए भारतीय उपमहाद्वीप पर इस्लाम का किला था। आज उनके लिए यह कैदखाना बन गई है। एक समय था जब मुस्लिमों के घोड़े कश्मीर की धरती से होकर भारत के विशाल भूभाग को शरीयत के शासन के अधीन लाने के लिए गुजरते थे।

अपनी प्रोपेगेंडा के जरिए आम मुस्लिमों को उकसाने का प्रयास करते हुए IS-K ने अपनी मैगजीन में कहा कि भारत से आए मुश्रिकों की सेनाएँ इस्लाम और उसके दीनी रीति-रिवाजों को रौंद रही हैं। आज कश्मीर का हर शहर और गाँव गुलामी और उत्पीड़न से कराह रहा है। हर घर से मुस्लिमों की चीखें निकल रही हैं। हिंदू मुश्रिकों और खासतौर पर ‘भारतीय जनता पार्टी’ के हाथों मुस्लिमों का रोज खून बहाया जा रहा है।

अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद घाटी में लौटे अमन-चैन से तिलमिलाए इस आतंकी संगठन में लोगों के सामने झूठ परोसते हुए लिखा है कि कश्मीर में वहाँ के मुस्लिमों को किसी न किसी बहाने जेलों में डाला जा रहा है। उनका अपहरण किया जाता है। मुस्लिम बहनों की इज्जत को तार-तार किया जाता है। हालाँकि, हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।

कश्मीर विधानसभा के लिए वहाँ हुए पहले चरण के मतदान में स्थानीय लोगों की शानदार भागीदारी से यह आतंकी संगठन तिलमिला गया है। इसलिए तरह-तरह के झूठ दुनिया के लोगों के सामने परोसने की कोशिश कर रहा है, ताकि मुस्लिमों पर अत्याचार के नाम पर इस्लामी आतंकवाद की आग में अधिक से अधिक नौजवानों को झोंका जा सके।

उसने कहा है कि उइगरों के बाद कश्मीरी मुसलमान इस्लामी उम्माह का वह हिस्सा हैं, जो सबसे ज़्यादा नरसंहार झेल रहा है। उनका दीन-ईमान खतरे में है। झूठ फैलाते हुए उसने लिखा है, “हिंदू मुश्रिकों की इच्छा यही है कि कश्मीरी मुसलमान अल्लाह की इबादत वैसे ही करें, जैसा वे करते हैं और इसके बजाय ‘राम राम और भगवान भगवान’ (नवजुबिल्लाह) का जाप करें।”

उसने कश्मीर के लोगों को चीनी के उइगर समुदाय के मुस्लिमों से की है, जिनका खात्मा चीन द्वारा सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। उसने आशंका व्यक्त करते हुए लिखा है, “कल कश्मीर पर एक रणजीत सिंह, एक गुलाब सिंह और एक अमृत सिंह ने अत्याचार किया था, लेकिन आज कश्मीर के हर शहर पर भारतीय मुश्रिकों से अलग एक रणजीत सिंह का शासन है, जो सभी कश्मीरी मुसलमानों की प्रतिष्ठा और सम्मान को नष्ट करने के लिए अथक काम में लगे हुए हैं।”

इतिहास के मुस्लिम आक्रमणकारियों को महिमामंडित करते हुए इस आतंकी पत्रिका में लिखा है, “एक समय हिंदू और सिख मुश्रिकों ने इस भूमि पर पैर रखने की हिम्मत नहीं की थी। उन्हें इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी। लेकिन अब यह क्षेत्र हिंदू और सिख मुश्रिकों के लिए एक आश्रय स्थल है। वहाँ के मुस्लिमों को इनसे अनुमति लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।”

प्रोपगेंडा फैलाते हुए इसमें आगे लिखा गया है कि कश्मीर का क्षेत्र, जो कभी मुस्लिमों का बहुमत था, अब अधिकांश शहरी और प्रभावशाली क्षेत्रों में हिंदू और सिख मुश्रिकों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। इस भूमि पर कभी उनका शासन था, अब मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। उनके घर, जमीन और यहाँ तक ​​कि मस्जिदें भी भारतीय मुश्रिकों को दी जा रही हैं और मुस्लिमों को जबरन बेदखल किया जा रहा है।

पत्रिका में कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तान स्थित अन्य इस्लामी आतंकी संगठन जैसे कि जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा के साथ-साथ पाकिस्तान पर निशाना साधा गया है और उन्हें कश्मीर मुद्दे का व्यापारी बताया गया है। इसमें ‘अल-वाला वल-बारा’ सिद्धांत के तहत भारतीय सेनाओं पर हमले के लिए उकसाया गया है। इसके साथ ही मुस्लिम युवाओं से आतंकवाद की आग में कूदने के लिए आह्वान किया गया है।

इसमें मुस्लिमों को उकसाते हुए कहा गया है, “उठो और अपने ईमान, सम्मान और दीन की रक्षा करो और इस पवित्र पथ पर अपने प्राण और धन का बलिदान दो! मुजफ्फरनगर, श्रीनगर, लद्दाख और कश्मीर के हर शहर की गलियों को मूर्तिपूजकों और देशद्रोहियों के खून से रंग दो! उन्हें ऐसी सजा दो कि आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें याद रखें! कश्मीर को भारतीय सैनिकों का कब्रगाह बना दो।”

इस पत्रिका में गजवातुल-हिंद (भारत पर आक्रमण) को लेकर इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है, “अबू हुरैरा ने बताया कि अल्लाह के रसूल ने कहा- मेरी उम्मत के कुछ लोग भारत पर आक्रमण करेंगे और अल्लाह उन्हें इसमें विजय दिलाएगा और वे भारतीय राजाओं को जंजीरों में जकड़ देंगे। फिर वे अश-शाम लौट आएँगे और वहाँ उन्हें ‘ईसा इब्न मरियम’ मिलेंगे।”

इस आतंकी साहित्य ने आगे लिखा है, “हज़रत अबू हुरैरा ने रिवायत की है: ‘अल्लाह के रसूल ने हमसे भारत पर आक्रमण का वादा किया था। अगर मुझे इसमें भाग लेने का अवसर मिला तो मैं अपनी जान और धन इसमें खर्च करूँगा। अगर मैं मारा गया तो मुझे सबसे अच्छे शहीदों में गिना जाएगा और अगर मैं वापस लौट आया तो मैं जहन्नुम की आग से आज़ाद हो जाऊँगा।”

आतंकी संगठन ने विभिन्न स्रोतों का हवाला देते हुए आम लोगों को जिहाद और आतंकवाद के लिए उकसाया है। उसका कहना है कि ‘अल्लाह सबसे शक्तिशाली है, लेकिन अधिकांश लोग नहीं जानते।’ दरअसल, कश्मीर में अपनी जमीन तलाश रहे इस इस्लामी संगठन ने शांति से अपनी जीवन-यापन करने की कोशिश करने वाले कश्मीरी मुस्लिमों को उकसाने का भरपूर प्रयास किया है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव की प्रक्रिया बेहद शांतिपूर्ण तरीके से चल रही है और लोग आतंकवाद का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

इन सब कारणों से इस्लामी आतंकी संगठन घबराए हुए हैं। यही कारण है कि आम लोगों के सामने गलत तथ्य प्रस्तुत करके उन्हें गुमराह करने की कोशिश किया जा रहा है। हालाँकि, अधिकांश लोग समझ चुके हैं कि शांति ही जीवन जीने का असली तरीका है और वे इस सिद्धांत को धीरे-धीरे अपने जीवन में उतारने लगे हैं। इस कारण कश्मीर में दशकों के आतंकवाद के बाद अद्वितीय शांति लौट रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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