अकाल तख़्त के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि दुनिया भर में सिख युवकों को राजनैतिक, आर्थिक और धार्मिक रूप से एकदम चौकस रहने की ज़रूरत है। एक प्रेस स्टेटमेंट में उन्होंने याद दिलाया कि आज़ादी के बाद कुछ वरिष्ठ सिख नेताओं ने केंद्र सरकार द्वारा सिखों के साथ किए गए धोखे के कारण ‘हालेमी राज’ के सिद्धांत पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि ये सिखों के संघर्ष और उनके साथ हुई हिंसा से ज्यादा सरकारी अत्याचार का प्रदर्शन था।
उन्होंने कहा कि पंजाब ने काफ़ी दिनों तक दर्द सहे हैं, जहाँ आतंकवाद के नाम पर सिखों का नरसंहार किया गया। उन्होंने पूछा कि आख़िर कौन बूढ़ा पिता चाहेगा कि उसका बेटा पुलिस एनकाउंटर में मारा जाए? उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह कई सिखों को मार कर उनके मृत शरीर की पहचान न होने की बात कही गई और दफ़न कर दिया गया। ज्ञानी ने कहा कि सिखों के लिए ‘हालेमी राज’ उनका जन्मसिद्ध अधिकार है।
उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में सिख नेताओं ने समय-समय पर बयान दिया है और ‘गुरबाणी’ से चीजें उद्धृत की हैं। उन्होंने कहा कि कई सिख नेताओं ने उनके बयान को लेकर गैर-ज़रूरी बयान दिया है लेकिन उन नेताओं ने कभी न कभी अलग सिख प्रदेश का समर्थन किया है। ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर उन्होंने कहा था कि सिख खालिस्तान की माँग करते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहींं है। अगर केंद्र सरकार सिखों को खालिस्तान देती है, तो सिख इनकार नहीं करेंगे। इस पर बयान पर पंजाब में जम कर हंगामा हुआ था।
वहीं अब उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा सिख गुरुद्वारों पर हमला करना और उनके द्वारा सिखों का नरसंहार करना ही ‘हलीम राज’ की माँग का मुख्य काऱण बना। उन्होंने कहा कि कई नॉन-सिख नेताओं ने भी इस नीति का विरोध किया है लेकिन सिखों के घाव को भरने के लिए अभी तक केंद्र सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया है। उन्होंने गुरमत को उद्धृत करते हुए अपनी माँग को सही ठहराया और इसे संविधान के अनुरूप भी बताया। उन्होंने कहा:
“मैं सिखों से गंभीरता से अपील करता हूँ कि वो एक ऐसा राजनीतिक संगठन बनाएँ जो पंजाब को सरकारी अत्याचार, साजिश और बल प्रयोग से बचाए। सिखों को उनसे सावधान रहना चाहिए, जो उन्हें भड़का कर हिंसा करवाना चाहते हैं और ख़ुद किसी राजनीतिक पद भोगने की लालसा लिए बैठे हैं। ये साबित हो चुका है कि तब की सरकार ने सिखों के ख़िलाफ़ घृणा का माहौल बनाने के लिए नरसंहार करवाया था। सोशल मीडिया से सिखों को हिंसा और आतंकवाद की तरफ भड़काने की कोशिश हो रही है।”
Big Breaking: Akal Takht Chief Harpreet Singh has cautioned Sikh community about Khalistani conspiracy & clearly stated about agencies (ISI) trying to mislead Sikh Youths. pic.twitter.com/hZWmtNVSuK
— FrontalAssault (@FrontalAssault1) June 14, 2020
उधर पाकिस्तान भी सिखों को भड़काने के लिए चालें चल रहा है। खालिस्तान के लिए चलाई जा रही मुहिम रेफरेंडम-2020 को लेकर पाकिस्तान इंटरनेट कॉल के जरिए सिखों को भड़का रहा है और साथ ही ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान भी चला रहा है, जो भारत को बाँटने की एक साजिश है। पंजाब में फिर से माहौल ख़राब करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे सुरक्षा और ख़ुफ़िया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।
फोन पर पाकिस्तानी कॉलर की तरफ से लोगों को भड़काते हुए उन्हें एक रेकॉर्डेड आवाज़ सुनाई जाती है। इसमें पंजाबी में कहा जाता है, “खालिस्तान जिंदाबाद। सिखी नूँ मनन वालयो खालिस्तान बनान लई जुलाई 4 तारीख तो शुरू होन वाली रेफरेंडम-2020 मुहिम च हिस्सा लवो ताकि खालिस्तान बनाया जा सके। जय खालिस्तान-जय पाकिस्तान।” इसमें एक साथ कई नंबरों पर कॉल की जाती है। हालाँकि, पंजाब पुलिस ने कहा है कि वो माहौल ख़राब नहीं होने देंगे।
इससे पहले ‘जिन्ने मेरा दिल लुटिया गाने’ से नेम और फेम कमाने वाले भारतीय-कनाडाई पंजाबी गायक जसविंदर सिंह (Jazzy B) ने अपने नए गाने में खालिस्तान का समर्थन किया था। अपने नए गाने “Putt Sardara De” के जरिए उसने ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले का महिमामंडन भी किया था। इस गाने में उसने सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की माँग का भी समर्थन किया है। गाने को लिखने वाले का नमा अमित बोवा है।