भारत के इतिहास में कई वीर गाथाएँ हैं, युद्ध की रणनीतियाँ हैं और एक से बढ़ कर एक कहानियाँ हैं जिनसे काफी कुछ सीखने को मिलता है। अब भारतीय सेना भी हमारे देश के इतिहास से सीखेगी। सेना प्रमुख मनोज पांडे ने बताया है कि न सिर्फ महाभारत, बल्कि रक्षा क्षेत्र में हमारे दृष्टिकोण और धार देने के लिए इतिहास में जो हमारे योद्धा रहे हैं उनकी रणनीतियों से भी भारतीय सेना सीखेगी। इसके लिए ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ लॉन्च किया गया है। 2023 से ही इस पर काम चालू हो गया था।
प्राचीन के प्राचीन वेदों, पुराणों, उपनिषदों और चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र से भी भारतीय सेना के जवान सीखेंगे। गहराई में उतर कर इनमें शामिल प्रासंगिक विषयों का अध्ययन किया जाएगा। इसके साथ ही भारतीय एवं पश्चिमी विद्वानों के बीच जो तथ्यात्मक बौद्धिक विमर्श होता रहा है, उसमें समानताओं को खोज कर उसका भी अध्ययन किया जाएगा। ‘हिस्टोरिक पैटर्न इन इंडियन स्ट्रैटेजिक कल्चर’ समारोह में सेना प्रमुख ने मंगलवार (21 मई, 2024) को ये जानकारी दी।
‘प्रोजेक्ट उद्भव’ के माध्यम से स्वदेशी विमर्श को बल मिलेगा। भारत के इतिहास में जो हमारी रणनीतिक उपलब्धियाँ हैं, उसे हमारी आधुनिक सैन्य क्षमता से जोड़ा जाएगा और इससे हमारा रक्षा क्षेत्र मजबूत होगा। इसके जरिए हमारे जवानों को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है। मनोज पांडे ने कहा कि हमारे ये साहित्य वो विभिन्न राज्यों के संबंधों, धार्मिकता एवं नैतिक मूल्यों से जुड़े हुए हैं। महाभारत के दौरान हुए कई युद्धों में भी गहराई से घुस कर उसका अध्ययन किया जाएगा।
मौर्य, गुप्त और मराठा काल में भी भारत ने कई युद्धों में जीत अपने नाम की। सेना प्रमुख मनोज पांडे का मानना है कि भारत की सैन्य विरासत को आकार देने में इन सबका योगदान है, ऐसे में ये ज़रूरी है कि इनसे सीखा जाए। रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल जानकारी दी कि ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ को एक रणनीतिक शब्दावली और वैचारिक ढाँचे को बुनने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो भारत की दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत में गहराई से अंतर्निहित है।
साथ ही भारतीय एवं पश्चिमी देशों के विद्वानों के विचारों, दृष्टिकोण और सोच को लेकर जो समानताएँ हैं, उन्हें समझने में भी मदद मिलेगी। भारत की जनजातीय परंपराओं, मराठा सैन्य विरासत और खासकर महिलाओं के जो वीरतापूर्ण कारनामे हैं उनका अध्ययन कर नए क्षेत्रों में अन्वेषण के लिए प्रेरित किया जाएगा। इससे नागरिकों और भारतीय सेना के बीच परस्पर संयोग व संपर्क को सुदृढ़ करने में भी मदद मिलेगी। राष्ट्र को एक रूप में देखने का दृष्टिकोण मजबूत होगा।
न सिर्फ भारतीय इतिहास की रक्षा-प्रणाली, बल्कि उनके प्रशासन को लेकर भी हमारे जवानों में समझ विकसित होगी और इसका इस्तेमाल वो आधुनिक युग के हिसाब से करेंगे। जनरल मनोज पांडे का कहना है कि इससे अकादमिक लोगों, विद्वानों, कामकाजी लोगों और सैन्य विशेषज्ञों के बीच परस्पर सहयोग की भावना विकसित होगी। प्राचीन भारत के अध्ययन को लेकर हमारे प्रयासों को व्यापकता भी इस प्रयास से प्राप्त होगी, भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण को भी बल मिलेगा।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा, “जैसे-जैसे हम अपनी सैन्य विरासत के बारे में और अधिक पता करते हैं, हमें समझ आता है कि ऐसी परियोजनाएँ शुरू करना एक सतत प्रयास है। युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों के व्यापक अनुभव, बलिदान और विजय, हमारी रणनीतिक संस्कृति को आकार देते रहेंगे। मुझे विश्वास है कि ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ के रूप में परियोजना के निष्कर्षों से देश के ऐतिहासिक सैन्य ज्ञान से अंतर्दृष्टि प्राप्त करके भारतीय सशस्त्र बलों को प्रगतिशील और भविष्य के लिए तैयार रहने में लाभ मिलेगा।”
#WATCH | Army Chief General Manoj Pande says, "…Project Udbhav was conceptualized with an idea to rediscover the profound Indian heritage of statecraft & strategic thoughts derived from the ancient text of statecraft, warcraft, diplomacy & introduced relevant teachings to the… pic.twitter.com/GPThwS7AxV
— ANI (@ANI) May 22, 2024
बता दें कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अक्टूबर 2023 में ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ को लॉन्च करते हुए कहा था कि इससे ‘भारतीयकरण’ में मदद मिलेगी। न सिर्फ वेदों-पुराणों, बल्कि कामंदकीय नीतिसार और तमिल संत तिरुवल्लुवर के तिरुक्कुरल का भी अध्ययन किया जाएगा। मोदी सरकार हर क्षेत्र के स्वदेशीकरण पर बल दे रही है, अब भारतीय सेना भी इसका हिस्सा है। भारत एक अति प्राचीन सभ्यता है, ऐसे में इतिहास में खँगाल कर ग्रहण करने को काफी कुछ है।
और भारत ही क्यों, बाहर के देश भी इसका लाभ उठा रहे हैं। पेन्सिलवेनिया स्थित ‘यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी वॉर कॉलेज’ में चाणक्य की रणनीति पढ़ाई जाती है। वियतनाम ने अमेरिका को खदेड़ने के लिए महाराणा प्रताप से प्रेरणा ली। पीएम मोदी बात करते रहे हैं कि कैसे मराठाओं ने अपनी नौसेना के जरिए विजय अभियान चलाया। दक्षिण भारत में राजेंद्र चोल जैसे योद्धा रहे। महाभारत काल में चक्रव्यूह रचना से लेकर श्रीकृष्ण की कई रणनीतियाँ हैं। अवश्य ही इन सबसे भारतीय सेना को लाभ मिलेगा।
हाल ही में आपने देखा होगा जब छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा कश्मीर में लगाई गई और भारतीय सेना ने इसमें सक्रियता से हिस्सा लिया। भारत के उत्तरी हिस्से में भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित राज्य के प्राचीन योद्धा प्रेरणा देंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने भारत में स्वदेशी जहाजों के निर्माण पर बल दिया, नौसेना बनाई और गुरिल्ला युद्ध की महत्ता को समझा। उन्होंने कई नौसैनिक बेस बनाए। उन्होंने अपने किलों को रणनीति के हिसाब से सेट किया, उन किलों की रक्षा व्यवस्था भी तगड़ी होती थी।