भारत में अवैध रूप से घुसकर बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों ने फर्जी पासपोर्ट बनवाए और यूरोपीय देशों तक पहुँच गए। इनमें इटली, फ्रांस सहित कई विकसित देश शामिल हैं। ऐसे लोगों की संख्या हजारों में तक बताई जा रही है। इस बात की जानकारी कोलकाता पुलिस ने विदेश मंत्रालय को भी दी है। इस बात का खुलासा हाल ही में फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह के पर्दाफाश से हुआ है।
कोलकाता पुलिस ने पिछले कुछ दिनों में ऐसे पाँच लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें डाकघर के दो संविदा कर्मचारी- दीपंकर दास और दूसरा दीपक मंडल भी शामिल हैं। इस गिरोह का सरगना समरेश बिश्वास और उसका बेटा रिपन बिश्वास है। दोनों फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं। वहीं, जाँच एजेंसियाँ इस मामले में कई डाकघरों के साथ-साथ पासपोर्ट सेवा केंद्रों की भूमिका की भी जाँच कर रही है।
पुलिस का अनुमान है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में कई और लोग शामिल हो सकते हैं। एजेंसियों को आशंका है कि संविदा कर्मचारियों के अलावा भारतीय डाक विभाग के कुछ स्थायी कर्मचारियों भी इस रैकेट का हिस्सा हो सकते हैं। खास करके बांग्लादेश के साथ राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे गाँवों से संचालित होने वाले डाक विभाग के केंद्र ज्यादा निगाह पर हैं।
पुलिस को पता चला है कि पिछले कुछ महीनों में फर्जी पासपोर्ट गिरोह के सदस्यों ने बांग्लादेशियों को भारतीय बताकर 121 पासपोर्ट बनाए हैं। इनमें से 73 पासपोर्ट क्षेत्रीय पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए हैं। बाकी 48 पासपोर्ट के बनने का इंतजार था। हालाँकि, अब इन आवेदनों को खारिज कर दिया गया है। यहाँ स्थिति ऐसी है कि आतंकी भी आसानी से पासपोर्ट बनवा सकते हैं।
दरअसल, यह गिरोह भारत में अवैध रूप से आने वाले बांग्लादेशियों का सबसे पहले फर्जी दस्तावेज बनाते थे। इनमें बांग्लादेशियों के नाम पर नकली मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड आदि प्रमुख दस्तावेज हैं। इन दस्तावेजों के आधार पर अन्य जरूरी दस्तावेज हासिल करते थे और उसे कोलकाता के विभिन्न क्षेत्रों में फर्जी पते से पासपोर्ट के लिए आवेदन करते थे।
गिरोह का सरगना समरेश बिश्वास एक पासपोर्ट के लिए इन बांग्लादेशियों से दो से पाँच लाख रुपए तक लेता था। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता से गिरफ्तार पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र के संविदा कर्मचारी दीपंकर दास ने गैजेट से जानकारी मिली कि गिरोह ने लगभग 30,000 व्यक्तियों (मुख्य रूप से बांग्लादेशी) के जाली पासपोर्ट तैयार किए थे। उन सबके नाम मिले हैं।
दरअसल, मालदा जिले में लोगों के भारी संख्या में पासपोर्ट बनने के बाद खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए। इस बीच जानकारी मिली कि मालदा में पिछले एक साल में ही 16,000 से अधिक पासपोर्ट बने हैं। पता चला कि मालदा के वैष्णवनगर, कालियाचक, हबीबपुर में भारत-बांग्लादेश सीमा पार करके कई बांग्लादेशी भारतीय पासपोर्ट बनवा रहे हैं।
दरअसल, पश्चिमी देशों में बांग्लादेशियों को आसानी से वीजा नहीं मिलता। इसलिए बांग्लादेशी भारतीय पासपोर्ट बनवाते हैं, ताकि वीसा के साथ-साथ वहाँ आसानी से नौकरी भी मिल जाए। गिरोह का खुलासा होने के बाद अब राज्य खुफिया विभाग पासपोर्ट के आवेदकों से 1971 के पहले के दस्तावेज दिखाने की माँग कर रहा है।
यूपी ATS ने भी पिछले साल किया था खुलासा
उत्तर प्रदेश ATS ने हिन्दू नाम से भारतीय लोगों के फर्जी दस्तावेज लगाकर बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को विदेश भेजने वाले रैकेट का नवंबर 2021 को पर्दाफाश किया था। ATS ने इस रैकेट से जुड़े एक आरोपित को सहारनपुर से गिरफ्तार किया है। आरोपित का नाम अजय घिल्डियाल था, जो एयर इंडिया के कस्टमर केयर में काम करता था।
अजय पर अब तक लगभग 40 लोगों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे स्पेन, ब्रिटेन सहित अन्य यूरोपीय देशों भेजे जाने का आरोप लगे थे। ATS ने बांग्लादेश और म्यांमार से मुस्लिमों को भारत में हिन्दू नाम से प्रवेश करवाने वाले रैकेट का खुलासा किया था। इस मामले में मानव तस्करी गिरोह का मददगार विक्रम को गाज़ियाबाद और समीर मंडल को भी पश्चिम बंगाल के 24 परगना से गिरफ्तार किया गया था।
समीर मंडल ट्रैवल एजेंसी चलाता था। ये आरोपित बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों को भारत की नागरिकता दिलाने का भी काम करते थे। इसी भारतीय नागरिकता के सहारे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को विदेश भेजा जाता था। विक्रम से हुई पूछताछ के बाद उसके सहयोगी अजय घिल्डियाल को पकड़ा गया था।
अजय फर्जी दस्तावेजों के सहारे विदेश भेजे जाने वाले हर व्यक्ति पर 15 हजार रुपए लेता था। इस पैसे में कई अन्य कर्मचारी भी हिस्सा बँटवाते थे, जो एयरलाइंस ड्यूटी में तैनात थे। इस मामले में एक अन्य आरोपित गुरप्रीत था, जो लंदन पासपोर्ट ऑफिस में काम करता था। गुरप्रीत आरोपित अजय को फोन पर निर्देश दिया करता था।