जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) नेता वहीद-उर-रहमान पारा के ख़िलाफ़ हाल ही में दायर हुई चार्जशीट से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। चार्जशीट में पीडीपी नेता को राष्ट्रद्रोह की गतिविधियों में आरोपित बनाया गया है।
इस आरोप पत्र में बताया गया है कि पारा आतंकी संगठनों का खास मोहरा था। उसका छात्र जीवन से पत्रकारिता और सियासत का 13 साल (2007-2020) का सफर केवल छल, प्रपंच, अवसरवादिता और दोगलेपन की कहानी है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के सीआईडी विभाग की एक शाखा, काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) द्वारा दायर 19-पृष्ठ के आरोप-पत्र में, पारा पर यह इल्जाम भी है कि पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को आगे बढ़ाने के लिए वह आतंकियों से हाथ मिला रहा था और उनके जरिए ये भी सुनिश्चित कर रहा था कि उसके राजनीतिक प्रतिद्वंदियों का खात्मा हो।
आतंकी संगठनों से मेलजोल
चार्जशीट में बताया गया है कि पारा पुलवामा में एक स्थानीय मीडिया केबल नेटवर्क चलाता था और शुरुआती समय में उसका एंकर भी था। 2013 में वह पीडीपी से जुड़ा और बहुत तेजी से राजनीति में आगे बढ़ते हुए उसने पार्टी के यूथ विंग में अध्यक्ष पद हासिल कर लिया। ऐसा करके उसने खुद को पूरी तरह सुरक्षित करने का काम किया।
बता दें कि वहीद उर रहमान पारा भले ही पीडीपी से 2013 में जुड़ा, लेकिन उसके आतंकियों से संबंध उससे पहले से थे। पुलिस ने अपनी छानबीन में बड़ी गहनता से पड़ताल की है और ये पता लगाया है कि शायद उसका आतंकियों से मेल-जोल 2007 से ही था।
ये वही साल था जब 2007 में पाक जाकर पारा ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सैयद सलाहुद्दीन का साक्षात्कार लिया और पुलवामा लौटने पर इस साक्षात्कार को स्थानीय केबल नेटवर्क पर प्रसारित किया। आरोप पत्र में बताया गया है कि उसका पाकिस्तानी आतंकियों अबु दुजाना और अबु कासिम से संबंध था। वह उनसे निजी तौर पर मिलता था और कई बार ओवरग्राउंड वर्करों के जरिए। दोनों ही सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। अबु दुजाना का विवाह स्थानीय लड़की से करवाने में भी पारा का ही हाथ था।
हिंसा जारी रखने के लिए दिए 5 करोड़
इतना ही नहीं इससे पहले एनआईए द्वारा विशेष अदालत में दायर चार्जशीट में ये खुलासा हुआ था कि वहीद ने बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा जारी रखने के लिए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश को पाँच करोड़ रुपए दिए गए थे।
मालूम हो कि वहीद पारा को राष्ट्रीय जाच एजेंसी (एनआइए) ने बीते साल नवंबर में गिरफ्तार किया था। एनआइए ने उसे आतंकी-पुलिस गठजोड़ में पकड़े गए जम्मू कश्मीर पुलिस के तत्कालीन डीएसपी (अब सेवामुक्त) देविंदर सिंह और उसके साथ पकड़े गए आतंकी नवीद मुश्ताक से मिले सुरागों के आधार पर गिरफ्तार किया था। सके बाद एनआइए की विशेष अदालत में 10 जनवरी, 2021 को पारा को जमानत मिल गई थी, लेकिन अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर पुलिस के काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पारा ने पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद एक बार फिर अदालत में जमानत याचिका दायर की, लेकिन पुलिस ने जाँच का हवाला देते हुए जो तथ्य अदालत में पेश किए, उनके आधार पर याचिका खारिज हो गई थी।
पत्थरबाजों का चलाता था गैंग
गौरतलब है कि इससे पहले एनआईए की चार्जशीट से यह बात सामने आई थी कि पारा कश्मीर में पत्थरबाजों का गैंग चलाता था। आतंकियों के लिए हथियारों का भी इंतजाम करता था। वहीद उर रहमान सहित 3 लोगों के खिलाफ दायर एक चार्जशीट में बताया गया था कि पीडीपी नेता ‘पत्थरबाजी’ का रैकेट चलाता था और दक्षिण कश्मीर में हथियार की तस्करी का काम भी करता था।
चार्जशीट के अनुसार, पारा ने दक्षिण कश्मीर में पत्थरबाजी का रैकेट चलाया, जिसे उसने साल 2010-11 में संगठित किया था। उसने पॉलिटिकल माइलेज पाने के लिए पुलवामा में ऐसे 20-25 लड़कों को इकट्ठा किया था जो पत्थरबाजी में शामिल थे। इसके अलावा चार्जशीट में बताया गया है पारा ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैय्यबा के आतंकी कमांडर अबू दुजाना को 10 लाख रुपए की फंडिंग उपलब्ध कराई थी। वह नियमित रूप से आतंकियों और अलगाववादियों कि फंडिंग कर रहा था, ताकि घाटी में स्थिति खराब बनी रहे। साथ ही चार्जशीट में PDP द्वारा आतंकियों और अलगगववादियों के तुष्टीकरण की नीति के बारे में भी खुलासा किया गया है।